कैसे मुख्यमंत्री से पूर्व मुख्यमंत्री बन गए उद्धव ठाकरे, जानें किस वजह से पार्टी में शुरू हुई बगावत
महाराष्ट्र में सियासी उथल-पुथल के बीच कल रात बड़ा उलट फेर हो गया है. आज सीएम उद्धव ठाकरे को अपना बहुमत साबित करना था, लेकिन उससे पहले ही उन्होंने कल ही अपना इस्तीफा देकर हलचल मचा दी है. उद्धव ने जैसे इस्तीफा सौंपा उसके ठीक बाद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर कहा कि वह गुरुवार को सूबे के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर अपने अगले कदम के बारे में जानकारी देंगे. कहा जा रहा है कि 1 जुलाई को देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ लेंगे।
बता दें कि एकनाथ शिंदे गुट ने जब से शिवसेना का साथ छोड़ा है तभी से राज्य में सत्ताधारी दल पर संकट के बादल मंडरा रहे थे. तमाम राजनीतिक सूझ-बूझ के बावजूद शिवसेना में रार देखने को मिली. हालांकि आपको यह भी जानना होगा कि आखिर उद्धव ठाकरे कैसे मुख्यमंत्री से पूर्व मुख्यमंत्री बन गए।
- शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई जो कि हिंदुत्ववादी विचारधारा के मुखर समर्थक कभी नहीं रहे. ऐसे में शिवसेना ने इन दोनों पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन किया और इस कारण शिवसेना और उद्धव ठाकरे को आलोचना का भी सामना करना पड़ा. क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी को लेकर बालासाहब ठाकरे के विचार स्पष्ट थे.
- बाला साहेब ठाकरे के समय से ही शिवेसना एक हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि में रही है. राजनीति की समझ रखने वाले लोगों की मानें तो उद्धव ठाकरे पार्टी के मूल सिद्धांत से भटक गए और हिंदुत्व की उनके लिए कोई कीमत ही नहीं है. उनकी सरकार में कई ऐसे मामले देखने को मिले जहां वो बोलने से बचते दिखे. पालघर में साधु की हत्या का मामाल हो या फिर कंगना रणौत और नवनीत राणा से जुड़ा मामला हो. हनुमान चालीसा और लाउडस्पीकर मामले पर भी वह बोलने से बचते रहे और जब बोले तब उन्होंने नापतोल कर बोला. वीर सावरकर पर भी कांग्रेस नेता जब टिप्पणी कर रहे थे तब उद्धव ठाकरे खामोश थे. इससे उनके हिंदुत्व वाली छवि को नुकसान पहुंचा है.
- शिवसेना और उद्धव ठाकरे को फर्श पर लाने का काम किया उनके ही पार्टी के नेताओं ने. दरअसल एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत की. उनका कहना था कि उद्धव ठाकरे नेताओं से मिलते नहीं वहीं उनकी आदित्य ठाकरे से कुछ अनबन की भी बात सामने आई थी. ऐसे में उन्होंने बगावत की और एकनाथ शिंदे के साथ शिवसेना के कई विधायक और सांसद मिल गए. ऐसे में उद्धव ठाकरे पर उनकी सहयोगी पार्टी एनसीपी ने सवाल किया कि शिवसेना में इतनी बड़ी विद्रोह की भनक मुख्यमंत्री को क्यों नहीं लगी. ऐसे में पार्टी में हुई बगावत शिवसेना गठबंधन वाली सरकार को गिराने में भूमिका निभा रही है.
- अगर उद्धव ठाकरे और बालासाहब ठाकरे की तुलना करें तो बाला साहेब ने आजीवन किसी पद को स्वीकार नहीं किया. हालांकि महाराष्ट्र में सरकार किसी की भी रही हो चलती बालासाहब की थी. ऐसे में बालासाहब के समक्ष उद्धव ठाकरे की शिवसेना को लेकर जब भी बात होती है तो सबसे पहले कुर्सी का ही मोह दिखता है. ठाकरे परिवार में पहली बार ऐसा हुआ जब कोई मुख्यमंत्री बना और बेटे आदित्य ठाकरे मंत्री बने. मुख्यमंत्री बनने के कारण कई बार उद्धव ठाकरे की लोग आलोचना भी करते हैं और बालासाहब से तुलना करते हैं. वहीं विपक्ष भी इसपर हमेशा हमला करता है.
How Uddhav Thackeray became former Chief Minister from Chief Minister, because of this the rebellion started in the party