‘मैंने अपने पत्नी के साथ नहीं बनाए है शारीरिक संबंध, फिर कैसे हुआ बच्चा’, केरल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
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केरल उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के बेटे के डीएनए परीक्षण की अनुमति दी है। जिससे यह साबित हो सके कि सैन्य अधिकारी का वो बच्चा नहीं है। सेना में कार्यरत तिरुवनंतपुरम के व्यक्ति ने नपुंसक होने का हवाला देते हुए अदालत में एक चिकित्सा प्रमाण पत्र भी जमा किया है। न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुश्ताक और कौसर यूप्पागथ की पीठ ने यह आदेश पारित किया।
सेना में कार्यरत अधिकारी ने मांग की है कि उसकी पत्नी को इस आधार पर तलाक दिया जाए कि उसने उसे धोखा दिया है। इसमें उसने अपनी पत्नी पर उसकी बहन के पति के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप लगाया है। उसका जो लड़का है वह उसी व्यक्ति का है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, उनकी शादी 7 मई 2006 को हुई थी। लड़के का जन्म 9 मार्च 2007 को हुआ था। इस दौरान वह अपनी पत्नी के साथ केवल 22 दिन ही रहे। बाद में वह सेना में अपनी ड्यूटी के चलते लद्दाख चले गए। उनका दावा है कि इन 22 दिनों के दौरान उन्होंने कभी अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध नहीं बनाए।
इसके चलते अधिकारी ने अपनी पत्नी की बेवफाई साबित करने के लिए बच्चे के डीएनए परीक्षण की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। यह वैवाहिक संबंधों के लिए विश्वासघात साबित हो सकता है। इसी के चलते केरल हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के नपुंसकता प्रमाणपत्र के आधार पर यह फैसला दिया है। मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम के एक डॉक्टर ने उन्हें प्रमाण पत्र दिया।
‘I did not have physical relationship with my wife, then how did the child happen’, the big decision of Kerala High Court