फ्रांसिस का कुत्ता, फॉक्स के एंकर और मालिक की आवाज !

आप पत्रकार हैं?
किस पार्टी के ?
अगर ये त्रासदी न होती तो जरूर चुटकुला होता!
इंडिया गठबंधन ने नई दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक में टीवी न्यूज चैनलों के कुछ एंकर्स का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
जिन एंकरों का बहिष्कार किया जा रहा है वो इस खबर से ज्यादा परेशान नहीं हैं।
सुधीर चौधरी को देख कर हो सकता है कुछ लोगों को दूसरी बातें याद आएँ लेकिन अपने ट्वीटर प्रोफाइल में पत्रकारिता के सबसे प्रतिष्ठित सम्मान रामनाथ गोयनका अवार्ड के बारे में बताने से वो नहीं चूकते।
सवाल है टीवी पर जो एंकर या उनका डिबेट शो आपको बेहद पसंद था, अब वहां होने वाली बहस क्या फीकी हो जाएगी? सवाल है इंडिया गठबंधन के इस ऐलान का एंकर्स पर फर्क पड़े ना पड़े क्या आपको इससे फर्क पड़ता है? जवाब देने से पहले एक बार सोचिए -आपका पसंदीदा टीवी पत्रकार कौन है?
क्या रवीश कुमार या फिर अरनब गोस्वामी? आपकी पसंद दो हजार के नोट में नैनो चिप की तलाश करती पत्रकार हो या फिर वो जिन्होंने प्रधानमंत्री से ये ऐतिहासिक सवाल पूछा था कि आप थकते क्यों नहीं, कुछ टॉनिक लेते हैं क्या ?
मोनालिसा की तस्वीर की खासियत ये है कि वो पेन्टिंग में नजर आ रही महिला की नहीं, उस तस्वीर को देखने वाले के मूड को बयां करती है।
कुछ उसी तरह, हमारा सच आपके सच से ज्यादा सच है के इस दौर में आपका जवाब किसी पत्रकार की पत्रकारिता के बारे में कुछ नहीं बताता, वो सिर्फ ये बताता है कि आपकी राजनीतिक प्रतिबद्धता किस ओर है? यानी आप INDIA के साथ हैं या भारत के साथ। एक न्यूज एंकर अपनी आवाज, अपने आकर्षक व्यक्तित्व और लिबास के साथ कब टीवी के परदे से निकल कर हमारे घर, परिवार का हिस्सा बन जाता है, उसकी हंसी, उसकी खुशी, उसके गम में हम कब साझीदार बन जाते हैं हमें पता भी नहीं चलता। लेकिन उसके सवाल और उसके जवाब क्या उसके अपने होते हैं या फिर वो महज एक कलाकार की तरह एक किरदार को जी रहा होता है? इसके पहले कि आप जल्दबाजी में किसी नतीजे पर पहुंचें,एक कहानी सुनिए। ये कहानी एक कुत्ते की पेन्टिंग के बारे में है जिसने संगीत की दुनिया ही बदल डाली।

1856 में जब झारखंड के संथाल अंग्रेजी हुक्मरानों के खिलाफ हूल आंदोलन कर रहे थे, तब उसी साल इंग्लैंड में Francis James Barraud पैदा हुए। वो एक पेंटर थे जिन्हें पहचान मिली अपने पालतू कुत्ते Nipper की तस्वीर से। फ्रांसिस ने गौर किया कि जब भी वे फोनोग्राफ( रिकार्ड प्लेयर) चलाते थे, तब निप्पर ये जानने की कोशिश करता था कि मालिक की आवाज कहां से आ रही है। निप्पर की बुद्धिमत्ता और दुविधा को दुनिया को दिखाने के लिए फ्रांसिस ने 1899 में एक पेन्टिंग बनाई और इसे नाम दिया His Master’s Voice
निप्पर की तस्वीर ने संगीत की दुनिया ही बदल डाली। EMI, HMV, RCA Victor और JVC जैसी कंपनियों ने अपने ट्रेडमार्क और लोगो के तौर पर इसका इस्तेमाल किया और जल्द ही फ्रांसिस का कुत्ता दुनिया के सबसे मशहूर कमर्शियल लोगो में से एक बन गया।
तो कहानी ये है कि एचएमवी का लोगो कुत्ते के संगीत प्रेम के बारे में नहीं मालिक के लिए उसकी ऐसी वफादारी का प्रतीक है जिसमें रिकार्ड प्लेयर से निकलने वाली किसी गायक की आवाज को वो अपने मालिक की ही आवाज समझता था।
आज का पत्रकार अपने मालिक की आवाज आप तक पहुंचाने का महज एक माध्यम है। इसे और बेहतर तौर पर समझने के लिए सुनिए फ़ॉक्स की कहानी।
अमेरिका में जब ABC, CBS, और NBC को चुनौती देने के लिए 1996 में Fox न्यूज आया तो उसकी पहचान महज चौथे चैनल की थी। 9-11 के हमले को रुपर्ट मर्डोक ने एक मौके की तरह देखा और आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी मानस की नाराजगी को अपने न्यूज चैनल की व्यूअरशिप बढ़ाने में बेहद दक्षता के साथ इस्तेमाल किया। न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा
Fox has pushed television news where it has never gone before
Osama bin Laden, according to Fox News Channel anchors, analysts and correspondents, is ”a dirtbag,” ”a monster” overseeing a ”web of hate.” His followers in Al Qaeda are ”terror goons.” Taliban fighters are ”diabolical” and ”henchmen.”Ever since the terrorist attacks on Sept. 11, the network has become a sort of headquarters for viewers who want their news served up with extra patriotic fervor.
फॉक्स के एंकर John Gibson ने अपने शो ”The Big Story,” में कहा कि आतंकवादियों की सुनवाई मिलिटरी ट्रिब्यूनल में हो। अफगानिस्तान में फॉक्स के वार करेस्पोन्डेंट Geraldo Rivera ने टीवी पर कहा कि अगर रिपोर्टिंग करते हुए ओसामा कहीं मुझे मिल जाए तो मैं उसे गोली मार दूंगा। उन्होंने अपनी पिस्टल भी दिखाई जो वो अपनी हिफाजत के लिए अफगानिस्तान में रखते थे।
अमेरिका में नाइन इलेवन के बाद के करीब दस साल तक फॉक्स अमेरिका के सभी राज्यों में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला नेटवर्क बना रहा। अमेरिकियों को ये समझने में दस साल लग गए कि गिब्सन या रिविरा का राष्ट्रवाद दरअसल ऑस्ट्रेलियाई मूल के रुपर्ट मर्डोक के न्यूज बिजनेस प्लान का हिस्सा था…कुछ और नहीं।
वैसे इस लिस्ट के आने के बाद कई टीवी पत्रकार बेहद आहत महसूस कर रहे हैं। टीपी पढ़ने से पहले..बस थोड़ी-थोड़ी पिया करो वाले पत्रकार और अखिलेश यादव की नजर में देश की सबसे ईमानदार पत्रकार को लग रहा है कि हमसे क्या भूल हुई जो हम सुर्खरू न हुए। वैसे होमवर्क की कमी तो है, जब तक इस लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट के जजों को सकते में लाने वाले सुदर्शन टीवी और सुरेश चव्हानके साहब का नाम नहीं आएगा तब तक इंडिया गठबंधन से अपन दूर ही रहेंगे। जय महाराष्ट्रा।