Type to search

चीन का निकलेगा दम!!

जरुर पढ़ें देश बड़ी खबर

चीन का निकलेगा दम!!

India fighting on various fronts with china
Share on:

अंग्रेजी में एक पुरानी कहावत है…..hit where it hurts most. यानी मारो, तो ऐसी जगह जहां सबसे ज्यादा दर्द हो। चीन को सबक सिखाने के लिए भारत इसी रणनीति पर चल रहा है। सीमा पर आक्रामकता के साथ विरोध करने के अलावा सरकार ने चीन को आर्थिक मोर्चे पर भी चोट देने की ठान ली है। सरकार ने भी इस दिशा में धीमे-धीमे ही सही, पर सख्त कदम उठाने शुरु कर दिये हैं।

एक उदाहरण देखिये, चीन और हांगकांग के सीमा शुल्क (कस्टम) विभाग ने भारतीय निर्यातकों के सामानों की कई खेप रोक ली है। निर्यातकों के संगठन फियो ने मामले में दखल के लिए वाणिज्य सचिव को पत्र लिखा है। दरअसल, इसकी वजह ये है कि भारत सरकार ने चीन से आने वाले सामान को 22 जून से ही बंदरगाहों और एयरपोर्ट पर रोक रखा है। चेन्नई और मुंबई बंदगाह पर सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी चीन से आयात होने वाले सामानों की खेप रोककर जांच कर रहे हैं और इनकी क्लियरिंग रोक दी गई है। इसी के जवाब में चीन और हांगकांग के कस्टम विभाग ने भी भारत से भेजे गए सामानों की खेप रोक ली है और उनकी गैरवाजिब जांच कर रहे हैं।

उधर, मोदी सरकार देश में चीनी माल की डंपिंग को रोकने के लिए भी सख्त मूड में दिख रही है। चीन सहित तीन देशों से स्टील आयात पर सरकार ने 5 साल के लिए एंटी डंपिंग ड्यूटी लगा दी गई है। इसी तरह, चीन से आने वाले सोलर आइटम पर भी अगस्त से बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) लगाने की तैयारी की जा रही है।

चीनी स्टील पर लगेगी एंटी डंपिंग ड्यूटी

राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके मुताबिक चीन, दक्षिण कोरिया और वियतनाम से आने वाले फ्लैट रोल्ड स्टील उत्पादों और अल्युमिनियम या जिंक प्लेटेड या कोटेड उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई जाएगी। यह ड्यूटी अगले पांच साल तक रहेगी। यह एंटी डंपिंग ड्यूटी 13.07 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से 173.07 डॉलर प्रति मीट्रिक टन तक होगी, जो तीनों देशों के लिए अलग-अलग होगी। जाहिर है, इसमें असली निशाना चीन ही है।

सोलर उपकरणों पर बढ़ेगा शुल्क

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह के मुताबिक देश में आयात होने वाले सोलर उपकरणों पर इस साल 15-25 फीसदी सीमा शुल्क लगाया जाएगा, जिसे अगले साल बढ़ाकर 40 फीसदी तक ले जाया जाएगा। इससे पहले नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने अगस्त से इन उत्पादों पर सीमा शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो अभी शून्य शुल्क के दायरे में आते हैं। इसका सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ेगा, क्योंकि अभी आयात होने वाले 90 फीसदी सोलर उपकरण चीन से ही आते हैं। आपको बता दें कि साल 2019-20 के पहले नौ महीने में भारत ने कुल 1.5 अरब डॉलर के सोलर इक्विपमेंट का आयात किया था, जिसमें से 1.2 अरब डॉलर का आयात चीन से ही हुआ था।

क्यों जरुरी हैं ये कदम?

  • पिछले दो दशकों में भारत और चीन के बीच का व्यापार 30 गुना बढ़ा है। 2001 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार तीन अरब डॉलर का था, जो 2019 आते-आते ये 90 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
  • भारत और चीन के बीच सालाना व्यापार 6 लाख करोड़ का है, जिसमें से चीन भारत को हर साल 4.9 लाख करोड़ का निर्यात करता है, जबकि भारत से हर साल 1.2 लाख करोड़ का आयात करता है। यानी हम जितना चीन को निर्यात करते हैं, उसका चार गुणा चीन से आयात करते हैं।
  • चीन ने आर्थिक मोर्चे पर भी भारत के खिलाफ एकपक्षीय नियम बना रखे हैं। उसने 2,848 वस्तुओं के आयात पर नॉन-टैरिफ बैरियर लगा रखा है, इसके कारण इन्हें चीन नहीं भेजा जा सकता। जबकि, भारत में 433 वस्तुओं के आयात पर ही बैरियर हैं।
  • भारत में लगभग हर सेक्टर चीन से होने वाले आयात पर निर्भर है। चीन से होने वाले आयात पर हमारी निर्भरता, बल्क ड्रग्स सेक्टर में 68 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक्स में 43 फीसदी, गारमेंट्स में 27 फीसदी और ऑटो सेक्टर में करीब 9 फीसदी है।
  • यूं तो जेनेरिक दवाएं बनाने और उनके निर्यात में भारत अव्वल है। साल 2019 में भारत ने 201 देशों से जेनेरिक दवाई बेची और अरबों रुपए की कमाई की। लेकिन इन इन दवाओं को बनाने का कच्चा माल या बल्क ड्रग्स (API) का 70% चीन से ही आता है।

जाहिर है, चीन से व्यापार पूरी तरह खत्म करने में भी भारत को उतना नुकसान नहीं है, जितना चीन को है। चीनी कंपनियों ने महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में बड़े पैमाने पर निवेश का लक्ष्य रखा था, जो अब खटाई में पड़ गया है। चीन के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, और व्यापार संतुलन भी उसके पक्ष में है। ऐसे में चीनी आयात पर रोक लगाने का फैसला चीनी निर्यातकों और निवेशकों की परेशानी बढ़ा सकता है। वहीं जनता में भी चीनी सामानों के बहिष्कार की भावना जोरों पर है, जिसका व्यापक असर पड़ेगा।

इसके अलावा भारत के साथ सीमा विवाद के कारण, वैश्विक स्तर पर उसकी छवि आक्रामक देश की बन गई है। कई देश उसके खिलाफ गोलबंद हो गये हैं…और जो बचे हैं, वो सतर्क हो गये हैं। अगर यही स्थिति बरकरार रही, तो अगले कुछ महीनों में चीन को ना सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। चोट भारत को भी पहुंचेगी, लेकिन चीन जितनी नहीं। चीन का दर्द धीरे-धीरे बढ़नेवाला है, ये और बात है कि अकड़ में उन्हें इसका जल्दी अहसास नहीं होगा।

Shailendra

Share on:
Tags:

You Might also Like

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *