मंदी की दहलीज पर पहुंचा भारत? ये आंकड़े दे रहे हैं सबूत

दुनिया भर में मंदी का खतरा मंडरा रहा है. अमेरिका समेत कई देश इसकी जद में दिखाई दे रहे हैं. अब लगता है कि भारत भी इससे अछूता नहीं है. हालांकि, सरकार की ओर से लगातार यह दावा किया जा रहा है कि देश में मंदी का कोई खतरा नहीं है. इसके बावजूद जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उन्हें देखकर यह सवाल जेहन में उठ जाता है कि क्या हम भी मंदी की दहलीज पर पहुंच गए हैं?.
शेयर बाजार में मचा हाहाकार –
अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा एक के बाद एक ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले का असर शेयर बाजारों पर दिखाई दे रहा है. भारतीय शेयर बाजार में भी हाहाकार मचा हुआ है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लगातार चार दिन से बाजार बुरी तरह टूटकर बंद हो रहा है. सोमवार को दिन भर के कारोबार के अंत में बीएसई का सेंसेक्स 953.70 अंक लुढ़ककर 57,145.22 के स्तर पर बंद हुआ. मंदी की बढ़ती आशंका के चलते विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने घरेलू बाजारों में यह हलचल पैदा की है.
शेयर बाजार के बीते चार दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स इंडेक्स करीब 2500 अंक टूट गया। 20 सितंबर को सेंसेक्स 59,719.74 अंक पर बंद हुआ था और 26 सितंबर को यह 57,145.22 पर बंद हुआ. इस गिरावट के चलते शेयर बाजार के निवेशकों के इन चार दिनों में करीब 13 लाख करोड़ रुपये डूब गए. बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 26 सितंबर को 270 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो चार दिन पहले 20 सितंबर को 283 लाख करोड़ रुपये था। सेंसेक्स के साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी इंडेक्स भी 311.05 अंक की जोरदार गिरावट के साथ 17,016.30 अंक पर बंद हुआ।
रुपये में लगातार गिरावट –
सोमवार को अमेरिकी डॉलर (Dollar) के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया (Rupee) एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया. यह 89 पैसे कमजोर होकर 80.87 पर बंद हुआ. रुपये में गिरावट का दौर लगातार जारी है. रुपये में यह गिरावट बीते 7 महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है. वैसे देखा जाए तो साल 2022 भारतीय करेंसी (India Currency) के लिए अच्छा साबित नहीं हो रहा है. इस साल अब तक रुपये में करीब 10 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है. यही नहीं महज दो हफ्ते में में ही रुपया लगभग 1.35 पैसे तक टूट चुका है. गौरतलब है कि रुपये में गिरावट का सीधा असर आम आदमी पर पड़ता है और महंगाई (Inflation) बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है.
हालांकि, डॉलर की दहाड़ के आगे भारतीय करेंसी रुपया ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों की करेंसी भी पस्त नजर आ रही है. डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड (British Pound) सोमवार को शुरुआती कारोबार में गिरकर 1.0349 प्रति डॉलर के निचले स्तर तक गिर गया. यह इसके 40 साल का निचला स्तर है. पौंड में भारी गिरावट से ब्रिटेन में मंदी की संभावना की चर्चाएं तेज हो चुकी हैं. अन्य करेंसियों की बात करें तो साउथ कोरिया की करेंसी won में 1 फीसदी, फिलीपींस की करेंसी पेसो (peso) में 0.73 फीसदी , जापानी करेंसी येन (yen ) में 0.57 फीसदी की गिरावट आ चुकी है.
कंपनियों ने शुरू की छंटनी –
बीते कुछ समय से कई बड़ी कंपनियों में हजारों लोगों की छंटनी के मामले सामने आए हैं. मंदी के बढ़ते खतरे के बीच लागत कम करने का हवाला देते हुए धड़ाधड़ कर्मचारी निकाले जा रहे हैं. चीन की अलीबाबा (Alibaba) ने एक झटके में 10,000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया. इससे पहले रिटेल दिग्गज वॉलमार्ट (Wallmart) ने 200 लोगों को नौकरी ने निकाल दिया था. भारत भी इससे अछूता नहीं है. हाल ही में टेक सेक्टर में भारत की तीसरी सबसे बड़ी सॉप्टवेयर कंपनी एचसीएल टेक्नोलॉजिस (HCL Technologies) ने वैश्विक स्तर पर बड़ी छंटनी की है. इसके तहत 350 कर्मचारियों की छंटनी की गई है.