क्या ज्यादा खतरनाक हो गया है कोरोना?
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मलेशिया ने दावा किया है कि कोविड-19 की एक बेहद खतरनाक किस्म D614G का पता चला है। मलेशियाई विशेषज्ञों के मुताबिक, यह किस्म आम कोरोना वायरस से 10 गुना ज्यादा खतरनाक है। लेकिन, इस दावे पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने सवाल उठाये हैं और इसके ज्यादा खतरनाक होने की थ्योरी को खारिज कर दिया है।

क्या था मामला?
मलेशिया में जांचकर्ताओं ने दावा किया कि उन्हें कोरोना की ऐसी किस्म का पता चला है जो सामान्य से 10 गुना ज्यादा संक्रामक है। कोविड-19 के इस म्यूटेशन को दुनिया में D614G के नाम से जाना जाता है। एक बेहद प्रतिष्ठित जर्नल, सेल जर्नल में जून में छपे आर्टिकल में भी कहा गया था कि कोरोना की D614G नस्ल दुनिया भर में बहुत तेजी से फैल रही है।
मलेशियाई अधिकारियों के मुताबिक, एक मलेशियाई रेस्टोरेंट मालिक के हाल में ही भारत से लौटने पर हुई जांच के दौरान कोरोना की इस नई किस्म का पता चला।। ऐसा ही मामला फिलीपींस से लौटने वाले एक समूह में भी देखने को मिला है। मलेशियाई स्वास्थ्य विभाग के डॉयरेक्टर जनरल ने कहा कि कोरोना वायरस के नए म्यूटेशन के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इन्होंने ये आशंका भी जताई कि अभी जो वैक्सीन विकसित की जा रही है…. हो सकता है वो कोरोना वायरस के इस वर्जन(D614G) के लिए उतनी प्रभावी ना हो।

किसने किया विरोध?
उधर, सिंगापुर के वैज्ञानिकों ने कहा है कि 10 गुना ज्यादा संक्रामक होने के मलेशिया के इस दावे का कोई आधार नहीं है और कोरोना वायरस की D614G किस्म पहले से ही सिंगापुर में मौजूद है। संक्रामक रोगों के एक अन्य विशेषज्ञ हसू लियांग ने कहा कि वायरस की यह नई किस्म फरवरी से ही दुनिया भर में मौजूद है। अकेले सिंगापुर में ही फरवरी से लेकर जुलाई तक के बीच में कोरोना वायरस की इस किस्म के शिकार लोगों के 100 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
वहीं, फिलीपीन्स के जीनोम सेंटर ने बताया कि क्यूजेन शहर से इकट्ठा किए गए नौ नमूनों में G614 किस्म मिली है। फिलीपीन्स के वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि ऐसा अभी तक कोई अध्ययन नहीं हुआ है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि D614G ज्यादा संक्रामक है।

क्या कहता है WHO?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वैज्ञानिकों ने फ़रवरी में ही इस बात की खोज कर ली थी कि कोरोना वायरस में म्यूटेशन हो रहा है और वो यूरोप और अमरीका में फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये भी कहना है कि इस बात के कोई सुबूत नहीं हैं कि वायरस में बदलाव के बाद वो और घातक हो गया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ के अध्यक्ष ने बताया कि दुनिया के कुछ इलाक़ों में कोरोना के D614G म्यूटेशन के फैलाव के बाद वहां मौत की दर में कमी देखी गई, इससे पता चलता है कि वो कम घातक हैं।
विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि म्यूटेशन के कारण कोरोना वायरस में इतना बदलाव नहीं होगा कि उसकी जो वैक्सीन बनाई जा रही है, उसका असर कम हो जाए।

क्या है इसका मतलब?
इसका सीधा मतलब ये है कि डरने की कोई जरुरत नहीं है। ये सही है कि कोविड-19 वायरस, अलग-अलग माहौल में खुद जिंदा रखने के लिए लगातार म्यूटेट कर रहा है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो ज्यादा खतरनाक या संक्रामक हो रहा है।
दूसरी बात, दुनिया भर के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन तैयार करने में जुटे हैं, और अगले कुछ महीनों में ही कोरोना के वैक्सीन बाजार में मिलने लगेंगे। तब तक सावधान रहिए, बचे रहिए। ध्यान रहे, दुनिया भर में सबसे बड़ा बाजार है…डर का बाजार।