क्या एक करोड़ चुनौतियों के लिए तैयार हैं हम ?

देश के अलग-अलग कोनों से मजदूरों की घर वापसी शुरू हो गई है।
और इसके सथ ही शुरू हो गई है चुनौतियां …वो भी एक नहीं, दो नहीं, कम से कम एक करोड़ चुनौतियां
राजस्थान के कोटा से भी कई छात्र घर वापस आए हैं।
घर वापसी के बाद की चुनौतियां –
- बिहार में 30 लाख, झारखंड में 9 लाख की तरह अगर सारे देश में अपने घरों की ओर लौट रहे लोगों की कुल तादाद का अनुमान लगाया जाए तो ये संख्या कम से कम एक करोड़ जरूर होगी।
- चेन्नई की Institute of Mathematical Sciences. ने आशंका जताई है कि कोरोना मरीजों की तादाद के मामले में, तीन हफ्ते बाद महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली की जगह बंगाल, बिहार और झारखंड ले सकते हैं। जब ये रपट तैयार हुई थी, उस वक्त तक घर वापसी को लेकर केंद्र सरकार का फैसला नहीं आया था।
- आइसोलेशन, सोशल डिस्टेंसिंग, क्वारंटीन, थर्मल स्क्रीनिंग, टेस्टिंग …के लिए ये बहुत बड़ी चुनौती है।
- इनमें से ज्यादातर लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं वाले शहरों से निकल कर कम सुविधा वाले जिले और गांवों में आ रहे हैं।
- आशंका है कि झारखंड, बिहार और यूपी जैसे गरीब राज्यों को मिलाकर देश भर में जो 319 ग्रीन जोन हैं, उनमें से कई आने वाले हफ्तों में रेड या ऑरेंज जोन में तब्दील हो सकते हैं।
क्या होना चाहिए ?
- प्रीवेन्टिव मेडिसीन – ICMR ने कोरोना मरीजों की देखभाल में लगे मरीजों के लिए प्रीवेन्टिव मेडिसीन के तौर पर हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन देने का सुझाव दिया है। सवाल है क्या ये दवा बाहर से आए इन लोगों को भी दी जा सकती है? ये एक बहुत बड़ा सवाल है, जिसका जवाब ICMR जैसी संस्था ही दे सकती है। इसी तरह पुलिस और मीडिया में काम करने वाले लोगों की जान बचाने के लिए भी इस दवा को दिए जाने की संभावना पर विचार होना चाहिए।
ये भी देखें – http://sh028.global.temp.domains/~hastagkh/what-medicine-is-given-to-the-health-workers-for-covid19/
- रोजगार के लिए रोडमैप – जो मजदूर झारखंड और बिहार के गांव से रोजगार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसी जगहों पर गए थे, उनको जिंदा रहने के लिए अब अपने घर गांव के पास रोजगार चाहिए। मनरेगा का बजट बढ़ाना शायद सबसे कारगार उपाय होगा।
- निजी अस्पताल खोले जाएं – कोरोना के खौफ को लेकर तमाम प्राइवेट नर्सिंग होम और अस्पताल बंद हो गए हैं। इससे कई दूसरे मरीज जैसे डायलिसिस पेशेंट को तकलीफ हो रही है।
- जो मजदूर रजिस्ट्रेशन करवा कर बड़े शहरों से अपने गांव लौट रहे हैं, उनका डाटा बैंक तैयार किया जाए। इससे केंद्र और राज्य सरकार को आगे इनके लिए डीबीटी के जरिए टारगेटेड वेलफेयर स्कीम चलाने में सहूलियत होगी।
- कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, हॉट स्पॉट सर्विलांस, कम्यूनिटी अवेयरनेस जैसे जरूरी मगर अस्थायी कामों के लिए इनकी सेवा ली जा सकती है।