‘माता’ आई है!

अंधविश्वास के प्रभाव… और इलाज…टीके के अभाव, वाले भारत में एक वक्त चेचक बड़ी बीमारी थी। गांव में किसी को चेचक होता तो बड़े-बूढ़े कहते – ‘माता’ आई है। माता के भी दो प्रकार थे- छोटी माता और बड़ी माता। 1975 में आखिरी बार माता आई। बड़ी जिद्दी थी …ललाट के टीके से नहीं ,राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन कार्यक्रम के टीके से गई।
अब जेएनयू से तालीम लेने वाली हमारी वित्त मंत्री कह रही हैं कि इकोनॉमी को माता आई है।
GST यानी goods and services tax से होने वाली आय में भारी कमी आई है। ये कमी 3 लाख करोड़ की है। cess से हासिल ₹65 हजार करोड़ घटा दें तो कुल नुकसान ₹ 2.35 लाख करोड़ का है।
GST Council की 41 वीं बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- कोरोना वायरस दैवीय प्रकोप है, जिसकी वजह से GST से होने वाली आय में कमी आई है।
‘’This year we are facing an extraordinary situation. We are facing an act of God where we may even see a contraction”
इस साल फरवरी तक ये ईटली से आई बीमारी थी, मार्च के आखिर में केंद्र सरकार को कोरोना के दैवीय प्रकोप होने का पता चला। वैसे GST में कमी दैवीय प्रकोप से पहले ही शुरू हो गया था।
साल | GST में कमी की वजह से राज्यों को मिला मुआवजा |
2017 | ₹41,146 करोड़ |
2018 | ₹69,275 करोड़ |
2019 | ₹69,556 करोड़ |
GST में कमी क्यों आई ?
रिजर्व बैंक के मुताबिक इस कमी की वजह थी कैश आधारित अर्थव्यवस्था में demonetization और बगैर पूरी तैयारी के GST को लागू करने का फैसला।
GST Council की 41 वीं बैठक क्यों बुलाई गई?
GST Council की 41 वीं बैठक राज्यों के भारी दबाव के बाद बुलाई गई थी। राज्यों का कहना था कि कोरोना की वजह से उनके राजस्व में अभूतपूर्व कमी आई है, जैसे अकेले पंजाब को 25हजार करोड़ के राजस्व नुकसान का अनुमान है, लेकिन बजाय अतिरिक्त सहायता देने के, केंद्र उन्हें GST में उनका हिस्सा भी नहीं दे रहा… GST लागू करते वक्त केंद्र सरकार ने राज्यों को 14% की दर से मुआवजा देने की बात कही थी। इस लिहाज से झारखंड का केंद्र पर ₹2481.68 करोड़ और पंजाब का ₹ 4,400 करोड़ बकाया है।
राज्य | GST का मुआवजा बकाया |
उत्तराखंड | 1000 करोड़ |
उड़ीसा | 3,647 करोड़ |
मध्यप्रदेश | 5,995 करोड़ |
केंद्र और राज्यों में GST को लेकर क्या विवाद है?
राज्यों का कहना है कि 1 जुलाई 2017 को GST तय होते वक्त ही सहमति बनी थी कि 2017 से 2022 तक राज्यों को GST से जो रकम मिलेगी उसमें 2015-16 में राज्यों को टैक्स से होने वाली आय को आधार मान, हर साल 14% की दर से इजाफा होता जाएगा। अगर GST राजस्व में कमी आती है तो राज्यों को 14% की सालाना वृद्धि दर से रकम का आकलन कर इस रकम की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। अब केंद्र सरकार कह रही है कि अगर GST कलेक्शन मे कमी आती है तब राज्यों को मुआवजा देने को हम बाध्य नहीं हैं।
दूसरा विवाद GST कलेक्शन से राज्यों को मिलने वाले हिस्से के समय को लेकर है। ये तय हुआ था कि राज्यों को उनका हिस्सा हर दो महीने पर मिलेगा। लेकिन अप्रैल-जुलाई2020 यानी इस साल की पहली तिमाही के हिस्से में से राज्यों को 1.5 लाख करोड़ अब तक नहीं मिला है।
तीसरा विवाद ये है कि केंद्र टैक्स की जगह सेस लगाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहा है। 2019 में केंद्र सरकार के कुल राजस्व में सेस का हिस्सा 4.7% था, जो महज दो साल में यानी 2021 में 8.2% तक पहुंचने का अनुमान है। ये इसलिए अहम है क्योंकि टैक्स में राज्य भी साझेदार हैं, जबकि सेस अकेले केंद्र की मिल्कियत है।
राज्यों के लिए GST क्यों अहम है?
GST में किस स्रोत से कितनी आय ( अक्टूबर 2019 के आंकड़े)
GST के प्रकार | आय (करोड़ में ) |
CGST | 7,582 |
SGST | 23,674 |
IGST | 46,517 |
Cess | 7,607 |
कुल GST | 95,380 |
राज्यों के कुल राजस्व में GST का हिस्सा करीब एक तिहाई है। इस रकम के नहीं मिलने से राज्यों को अपने बजट में तय किए गए खर्च को पूरा करने में परेशानी आती है। उन्हें इस कमी को पूरा करने के लिए कर्ज लेना पड़ता है, खर्च में कटौती करनी पड़ती है। इस साल GST कलेक्शन कम होने की वजह से राज्यों को 2.35 लाख करोड़ का नुकसान होने की आशंका है।
राज्यों को केंद्र सरकार की क्या सलाह है?
केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य रिजर्व बैंक से कम सूद पर कर्ज ले लें। ये ऐसा ही है कि आपका किसी पर बकाया है और वो कहे कि मैं बकाया तो नहीं लौटा सकता, लेकिन आपको जरूरी है तो चलिए मैं आपको बैंक से लोन दिलवा देता हूं।
दैवीय प्रकोप से पहले का सच !
वित्त मंत्रालय दैवीय प्रकोप की बात आज कह रहा है, लेकिन साल भर पहले सितंबर 2019 के GST कलेक्शन पर अगर सरकार ध्यान देती तो उसे पता चलता कि ये बीते 19 महीने में सबसे कम कलेकशन था। अप्रैल 2017 में जब जीएसटी का ऐलान किया गया था तब से सिवाय अगस्त 2018 के, GST से इतनी कम आय सरकार को कभी नहीं हुई थी।
सरकार को तब चेतना चाहिए था जब सितंबर 2019 में कोयला,स्टील, सीमेंट, बिजली जैसे 8 सबसे अहम इंडस्ट्री के उत्पादन में अप्रैल 2005 यानी पंद्रह साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। अकेले कोयला के उत्पादन में 20.5% की कमी दर्ज की गई।अप्रैल के बाद सरकार को टैक्स से सबसे ज्यादा आय अक्टूबर के महीने में होती है। लेकिन अक्टूबर 2019 में सरकार को GST से महज 95,380 करोड़ की आय हुई जो साल भर पहले अक्टूबर 2018 (1,00,710 करोड़ ) से 5.29% कम थी। लेकिन टैक्स में महीने दर महीने आ रही गिरावट से सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा, और अब जब राज्य किसी तरह मानने को तैयार नहीं, तब.. वित्त मंत्री दैवीय प्रकोप वाला यूरेका मोमेंट ढूंढ लाई हैं।
आर्ट्स के स्टूडेंट अक्सर कहते हैं… इकोनॉमिक्स प्योर साइंस है जिसकी जिल्द पर आर्ट्स लिखा है, अब उनकी शिकायत वित्त मंत्री ने दूर कर दी है। अर्थशास्त्र दरअसल भूत-प्रेत, डायन-जोगिन भगाने वाले मंत्रों की किताब है, जिसके सही उच्चारण से GST की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
काश इकोनॉमिक्स प्याज होता ?