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अभी हवा में मत उड़िए!

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अभी हवा में मत उड़िए!

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25 मार्च को lock down शुरू होने के ठीक दो महीने बाद 25 मई से फ्लाइट सर्विस शुरू हो रही है। फ्लाइट शुरू करने का फैसला थोड़ी जल्दबाजी में लिया गया लगता है। इस फैसले से मुसाफिर, एयरपोर्ट, एयरलाइन्स, सिक्योरिटी और हेल्थ वर्कर की जिंदगियां प्रभावित होंगी।

क्या ये फैसला जरूरी था ?

दुनिया की जीडीपी में 10.3% टूरिज्म इंडस्ट्री से आता है।  14 April को IATA यानी International Air Transport Association की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक कोविड19 की वजह से एयरलाइन्स को पैसेंजर ट्रैफिक में 55% और रिवेन्यू में 314 बिलियन $ का नुकसान हो सकता है। अमेरिकी सरकार ने अपने देश में एयरलाइन्स इंडस्ट्री को बचाने के लिए 61बिलियन $ का बेलआउट पैकेज दिया है।  आर्थिक स्थिति के मद्देनजर हमारे देश में बेल आउट पैकेज देना शायद मुश्किल हो, लेकिन फ्लाइट शुरू कर सरकार ने जोखिम भरा साहसिक कदम उठाया है।

फैसले में जोखिम क्या है ?

सबसे पहला मुद्दा है राष्ट्रीय सुरक्षा का। हमारे लिए आतंकवाद कोई कहानी नहीं है जो हम दूसरे देशों के बारे में सुनते हैं। ये हमारी जिंदगी की सच्चाई है। एयरपोर्ट सिक्योरिटी का सबसे अहम पहलू है फिजिकल चेकिंग।  शरीर को टच एंड फील वाली सिक्योरिटी कोरोनाकाल में मुमकिन नहीं है। 9/11 की साजिश में  पाकिस्तानी दहशतगर्द खालिद शेख मोहम्मद ने अमेरिकी एयरपोर्ट पर फिजिकल चेकिंग न होने का फायदा उठाया था। इसी वजह से दहशतगर्द चाकू लेकर फ्लाइट में सवार होने में कामयाब रहे। एसिम्टोमैटिक कोरोना फिदायीन के लिए क्या कोई तैयारी मुमकिन है?

फ्लाइट सिक्योरिटी के लिए IATA  ने पांच सिद्धांत तय किए हैं।

IATA के  director general Alexandre de Juniac ने CART यानी  COVID-19 Aviation Recovery Task Force का गठन किया है। जिसमें हर तरह की इमरजेंसी के लिए प्रोटोकॉल तैयार किया गया है। ये जरूरी है कि IATA की ओर से बताई गई हर सावधानी हमारे यहां भी लागू की जाए। ये इसलिए जरूरी है क्योंकि ज्यादातर देश इसे अपनी सुविधा के मुताबिक लागू कर रहे हैं। जैसे एमिरेट्स हर पैसेंजर का इंस्टैंट कोविड टेस्ट कर रही है- लेकिन दुनिया की बाकी 289 एयरलाइंस इत्तेहाद की तरह सिर्फ थर्मल स्क्रीनिंग कर रही हैं। प्री फ्लाइट पैसेंजर कान्टैक्ट ट्रेसिंग और electronic travel authorization platform की ठोस व्यवस्था करने के बाद फ्लाइट शुरू करना चाहिए था।

क्या थर्मल स्क्रीनिंग काफी है?

2003 में सार्स महामारी के दौरान कनाडा में सभी एयरपोर्ट पर 65 लाख यात्रियों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें से 23 लाख की थर्मल स्क्रीनिंग हुई। लेकिन सार्स के एक भी मरीज का थर्मल स्क्रीनिंग से पता नहीं चला। कोरोना मरीजों का पहला सिमटम बुखार हो जरूरी नहीं है। कई बार संक्रमण के पांच दिन बाद बुखार आता है, जबकि वायरस लोड पहले तीन दिन सबसे ज्यादा होता है।

यूके और स्पेन में एयरलाइंस  के मुसाफिरों के लिए 14 दिन का क्वारंटीन जरूरी है, लेकिन हमारे यहां ये सिर्फ बस और ट्रेन के मुसाफिरों के लिए. वो भी आंशिक तौर पर लागू की गई है। कनाडा ने मिडल सीट पर बैठना बैन कर दिया है, जबकि हमारे यहां टिकट की कीमत बढ़ने की आशंका को लेकर ऐसा नहीं किया गया है। ऐसे में संभावना है कि लोग बुकिंग के वक्त आइल और विन्डो सीट ज्यादा बुक करेंगे…एयरलाइन्स पहले भी विन्डो सीट प्रीमियम पर बेच रही थीं, अब ये ट्रेन्ड उनको समझ आ गया, तो वो विन्डो और आइल. दोनों सीटों की सर्ज प्राइसिंग करेंगी।  

विमान में खाना नहीं दिया जाएगा… सिर्फ पानी मिलेगा  जिसे कप या बोतल में दिया जाएगा। लेकिन कप या बोतल सर्व तो एयरहोस्टेस को करना होगा। उनकी जिंदगी खतरे में डालने के बजाए क्या ये अच्छा नहीं होता कि यात्रियों को पानी खुद लेकर चलने के लिए कहा जाता? इन फ्लाइट फूड बंद लेकिन एयरपोर्ट के फूड कोर्ट खुला रखने से क्या खतरे में इजाफा नहीं होगा? एयरपोर्ट और इन फ्लाइट वाशरूम में किस तरह की सैनिटाइजिंग होगी ये भी अहम सवाल है। फ्लाइट ट्रॉली के रेगुलर सैनिटाइजेशन के लिए ट्रॉली प्वाइंट पर ही सैनिटाइजेशन की व्यवस्था करनी होगी।

चांगी एयरपोर्ट पर automatic sanitation robot

सिंगापुर के चांगी एयरपोर्ट पर 26 automatic sanitation robots और 1200 मोशन एक्टिवेटेड सैनिटाइजर डिस्पेंसर रखे गए हैं। हमारे यहां भी क्लिनिंग प्रोटोकॉल का बनना और लागू होना जरूरी है।  मुसाफिरों के लगेज के साथ-साथ मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट जैसे गजट का सैनिटाइजेशन भी जरूरी है। एयरपोर्ट स्टाफ को सेफ रखने के लिए जरूरी है कि एयरपोर्ट पर उसी तरह का हेल्थ प्रोटोकॉल हो जो कोरोना मरीजों के लिए डेडिकेटेड अस्पताल में होता है।

हर मुसाफिर को संदिग्ध कोरोना मरीज माना जाए… सिक्योरिटी चेक करने वाले, लगेज हैंडलर, बोर्डिंग पास चेक करने वाले को हेल्थ वर्कर समझा जाए और उन्हें पीपीई उपलब्ध कराया जाए। आरोग्य सेतु एप के जरिए इम्यूनिटी पासपोर्ट दिया जाए। जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं, उनके लिए ट्रैवल की शर्तें ज्यादा आसान हो।

कोरोना ने हमारे ट्रेवल पैटर्न को शायद हमेशा के लिए बदल डाल है। सफरनामे के लिए सबसे ज्यादा शोहरत हासिल करने वाले. आज की दुनिया के इब्नबतूता पिको अय्यर कहते हैं – यात्रा का मतलब सिर्फ घर छोड़ना नहीं , पुरानी आदतें छोड़ना भी है।

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