मजदूरों के इंतज़ार में मुख्यमंत्री!
एक ओर जहां मजदूरों के पैदल चलकर आने की खबरें मिल रही हैं, तमाम दुश्वारियां झेलने की कहानियां सामने आ रही हैं, वहां किसी सीएम का खुद उनके स्वागत के लिए खड़ा होना, कोई कम बड़ी बात नहीं है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लेह में फंसे झारखंड के 60 प्रवासी मजदूरों के लिए ना सिर्फ एयरलिफ्ट कर वापस लाने का इंतजाम किया, बल्कि एयरपोर्ट पर खुद खड़े होकर उनका स्वागत किया।
शुक्रवार को जब लेह से रांची पहुंचे श्रमिकों ने अपने स्वागत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को खड़ा पाया, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुख्यमंत्री ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर उनसे मुलाकात की और हालचाल पूछा। इसके अलावा उन्होंने श्रमिकों को पहुंचाये जाने के इंतजामों के साथ-साथ उन्हें दिये जानेवाले भोजन के पैकेट की भी गुणवत्ता खुद परखी। इस दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हवाई जहाज से प्रवासी मजदूरों को विधिवत तरीके से लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है । अब अंडमान में फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को भी हवाई मार्ग से झारखंड लाने की कोशिश की जा रही है । इस सिलसिले में राज्य के अधिकारी केंद्र सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं ।
इसमें बड़ी बात क्या है?
खास बात ये है कि झारखंड देश का ऐसा पहला राज्य है जिसने सबसे पहले हवाई जहाज से मजदूरों को वापस लाने की मांग केंद्र सरकार से की थी । लेह से मजदूरों के लाने के लिए झारखंड के अधिकारी लद्दाख प्रशासन, स्पाइस जेट, इंडिगो और सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों से लगातार संपर्क में थे। आपको बता दें कि लॉकडाउन के वक्त मजदूरों को वापस लाने के लिए सबसे पहले ट्रेनों की मांग करनेवाला राज्य भी झारखंड ही था। पहली श्रमिक स्पेशल तेलंगाना से झारखंड के लिए ही चली थी। झारखंड सरकार शुुरुआत से ही अपने प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए भी केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र सरकार से लगातार बातचीत करती रही थी।
सभी प्रवासी मजदूरों को लाएंगे वापस
मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रवासी मजदूरों को सकुशल और सुरक्षित लाने का सिलसिला तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी वापस नहीं आ जाते। अब तक राज्य में विशेष ट्रेनों और बसों के माध्यम से लगभग 4.5 लाख मजदूरों को वापस लाया जा चुका है। उन राज्यों से सरकार लगातार संपर्क में हैं, जहां प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं। झारखंड के कोरोना संबंधित मामलों के मुख्य नोडल पदाधिकारी श्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वंदे भारत मिशन के तहत अब तक 66 लोगों को विदेश से वापस लाया जा चुका है जबकि एक जून तक 12 लोगों को और झारखंड लाया जायेगा। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से बांग्लादेश में काम करने वाली भेल कंपनी के 170 कर्मचारियों को वापस लाने के लिये एनओसी दे दी गयी है।
अब तक की क्या है स्थिति?
- बस के माध्यम से अब तक लगभग 1 लाख 1 हजार 852 लोग राज्य में वापस आ चुके हैं। वहीं 193 ट्रेनें विभिन्न राज्यों से झारखंड आई है और 12 ट्रेन आगे के लिए शेड्यूल्ड है।
- श्रमिक एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेनों से अभी तक 2 लाख 57 हजार 411 प्रवासी मजदूर वापस आ चुके हैं।
- राज्य में निजी वाहनों से भी आवागमन के लिए पास निर्गत किया जा रहा है। अभी तक कुल 3 लाख 58 हजार 263 लोगों को झारखंड लाया जा चुका है।
- वहीं, झारखंड से अब तक दूसरे प्रदेश के 16 हजार 875 लोगों को वापस भेजा गया है। जिनमें से ट्रेन से जाने वाले 550 लोग भी शामिल हैं।
- राज्य में जो भी प्रवासी मजदूर वापस आये हैं, उनका जिला स्तर पर डाटाबेस तैयार किया जा रहा है, जो 8-10 दिनों में तैयार हो जायेगा।
झारखंड ने प्रवासी मजदूरों के मामले में जितनी गंभीरता दिखाई है, वो बिहार या पश्चिम बंगाल में नहीं दिखती। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को मजदूरों की वापसी से ज्यादा कोरोना के संक्रमण की चिन्ता है। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री को 30 लाख प्रवासी मजदूरों को संभाल नहीं पाने और आगामी चुनाव पर इसके असर की चिन्ता सता रही है। लेकिन जिन राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने, तात्कालिक राजनीति से ज्यादा भविष्य की संभावनाओं पर गौर किया, उन्होंने मजदूरों की खुलकर मदद की। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी यही कर रहे हैं, और दीर्घावधि में उन्हें इसका राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।