Type to search

वायलिन पर बीन की जादू रचने वाला संगीतकार

जरुर पढ़ें सोशल अड्डा

वायलिन पर बीन की जादू रचने वाला संगीतकार

kalyanji, the magical musician
Share on:

फ़िल्मी गाने सुनने के शौकीनों में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने पुरानी ‘नागिन’ फिल्म का गाना ‘तन डोले, मेरा मन डोले, मेरे दिल का गया करार कौन बजाये बांसुरिया’ न सुना हो। वैजयंती माला पर फिल्माए गए इस गीत को लता मंगेशकर ने गाया है और संगीत हेमंत कुमार का है। इस गाने को सपेरे की बीन की धुन के लिए खास तौर पर याद किया जाता है। गाने के अंत में अभिनेता प्रदीप कुमार परदे पर बीन बजाते दिखते भी हैं।

फिल्म संगीत में, श्रोता के स्तर से ऊपर उठकर गहरी दिलचस्पी रखने वाले लोगों को छोड़कर, शायद बहुत कम लोगों को यह मालूम होगा कि हकीकत में इस गाने में बीन की धुन एक पश्चिमी वाद्य क्ले वायलिन पर निकाली गयी थी। बीन के बिना बीन की धुन का जादू पैदा करने वाले शख्स का नाम था कल्याण जी शाह। कल्याण जी और उनके छोटे भाई आनंद जी का नाम हिंदी फिल्म संगीत के इतिहास की सफलतम संगीतकार जोड़ियों में लिया जाता है जिनकी तमाम धुनों का जलवा आज तक कायम है।

कल्याण जी-आनंद जी

अगर किसी से अचानक पूछा जाए तो कल्याण जी-आनंद जी के अलावा शंकर-जयकिशन और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ियों का ही नाम एक झटके में याद आएगा। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल स्वतंत्र रूप से संगीत निर्देशक बनने से पहले कल्याणजी-आनंदजी के सहायक थे। यह भी एक दिलचस्प संयोग है कि श्रीदेवी की सुपरहिट फिल्म नगीना के लिए उन पर फिल्माए गए एक गीत में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने भी लता मंगेशकर की ही आवाज़ के ज़रिए एक बेहद कामयाब गाना रचा है। इसमें बीन की आवाज़ सुनाई देती है और परदे पर खलनायक अमरीश पुरी और उनके साथी बीन बजाते दिखते हैं। सैफ अली खान की फिल्म लव आज कल के एक गाने में कल्याण जी की रची नागिन की बीन धुन का रीमिक्स देखा -सुना जा सकता है।

कल्याण जी-आनंद जी ने लता मंगेशकर और मुकेश से लेकर नाज़िया हसन, बिड्डू , कंचन, मनहर, साधना सरगम और सपना मुखर्जी की आवाज़ों के खूबसूरत इस्तेमाल से ऐसे गाने रचे हैं जो लोगों की ज़ुबान पर चढ़े हुए हैं। कुमार शानू और अलका याग्निक जैसे गायक उनकी सरपरस्ती में आगे बढ़े।

30 जून 1928 को पैदा हुए कल्याण जी का पूरा नाम था कल्याण जी वीरजी भाई शाह। गुजरात के कच्छ के एक छोटे से गाँव से मुंबई (तब बम्बई ) आकर उनके पिता वीर जी शाह ने पंसारी की दुकान खोली थी। कल्याण जी का मन संगीत में रमता था। फिल्म संगीत में हाथ आज़माना चाहते थे लेकिन कोई जान पहचान या सिफारिश तो थी नहीं। क्या करते… तो शंकर-जयकिशन के ऑर्केस्ट्रा का हिस्सा बन गए।

फिल्म संगीत में पश्चिमी वाद्यों के इस्तेमाल को लेकर उनकी दिलचस्पी शुरू से ही थी। जानकारियां भी रखते थे और समझ भी। अपने पिता जी के संपर्कों के ज़रिये उन्होंने क्ले वायलिन उस समय विदेश से मंगवाया, जब फ्रांस में उसके ईजाद को कुछ ही समय हुआ थ। क्ले वायलिन को उन्होंने सबसे पहले 1953 में बनी नाग पंचमी नाम की एक फिल्म में इस्तेमाल किया था। चूँकि फिल्म चली नहीं, तो उसके संगीत की चर्चा भी नहीं हुई।

लेकिन क्ले वायलिन की बदौलत कल्याण जी गायक संगीतकार हेमंत कुमार तक पहुँच गए। फिर हेमंत कुमार, कल्याण जी और तब के संघर्षरत एक और संगीतकार रवि ने मिलकर 1954 में नागिन के संगीत के ज़रिये धूम मचा दी। नागिन की कामयाबी ने कल्याण जी के लिए फिल्म संगीत के दरवाज़े खोल दिए। सुभाष देसाई ने सम्राट चन्द्रगुप्त नाम की फिल्म में उन्हें मौका दिया। फिर, मुहावरे की भाषा में , कल्याण जी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

किशोर कुमार के साथ कल्याणजी (सबसे दाएं)

बाद मे उनके छोटे भाई आनंद जी भी उनके साथ आ गए और फिर बनी फिल्म संगीत के इतिहास की एक बेहद कामयाब संगीतकार जोड़ी, जिसने संगीत प्रेमियों को सुरीले , शास्त्रीय और बेहद लोकप्रिय गाने दिए। इनकी विविधता का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि एक तरफ सरस्वती चंद्र के मीठे गाने हैं तो दूसरी तरफ डॉन में हेलेन पर फिल्माए गए कैबरे – ये मेरा दिल प्यार का दीवाना से लेकर क़ुरबानी के आप जैसा कोई मेरी ज़िन्दगी में आए और लैला ओ लैला और त्रिदेव के तिरछी टोपी वाले जैसे झूमने नाचने वाले गाने भी हैं जो युवाओं की पसंद को ध्यान में रखकर बनाये गए थे।

फिल्म सरस्वती चंद्र का एक सीन

सरस्वती चंद्र को नूतन के अभिनय के साथ साथ इंदीवर के गीतों और कल्याणजी- आनंदजी के बेहद मधुर संगीत के लिए भी याद किया जाता है। लता मंगेशकर और मुकेश की आवाज़ों में सरस्वती चंद्र के गाने फिल्म संगीत के खज़ाने की अनमोल धरोहर हैं। मुकेश के चंद सबसे लोकप्रिय गाने कल्याण जी आनंद जी के ही संगीत बद्ध किये हुए हैं। लोकप्रिय कार्टून सीरीज सिम्पसंस में कल्याण जी आनंद जी का गाना- पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले – इस्तेमाल किया गया है, जो जॉनी मेरा नाम फिल्म में देव आनंद और हेमा मालिनी पर फिल्माया गया था ।

साभार: अमिताभ श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार

Shailendra

Share on:
Tags:

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *