मरेगा नहीं, पर घायल जरूर हो जाएगा कोरोना !
कोरोना क्या चीन की साजिश है?
भारत में इसके फैलने की असली वजह क्या है ?
आखिर कब खत्म होगा कोरोना ?
इन सवालों के जवाब अब मिलने लगे हैं
जो लोग सैनिटाइजर से अल्कोहल हासिल करने का फार्मूला गूगल में तलाश रहे थे, अब चालीस दिन बाद उन्हें वो सकून वाला सुरूर वाला माहौल मिला है जिसमें वो चंद जरूरी सवालों के जवाब इत्मीनान से तलाश सकते हैं
जिन्हें दवा की दरकार थी वो दवा दुकान जाते थे
जिन्हें राशन चाहिए था वो राशन दुकान जाते थे
लेकिन कई लोग हैं हमारे देश में जिनके लिए दवा से ज्यादा दारू इसेंसियल है
मास्क लगाकर शराब के ठेके के बाहर कतार में खड़े लोगों की ये भारत में पहली तस्वीर बता रही है कि कोरोना का डर अब भी है, लेकिन जरा आराम के साथ
कहते हैं अवध में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1856 में इसलिए विद्रोह हो गया, क्योंकि अंग्रेज हाकिमों ने अफीम पर टैक्स में इजाफा कर दिया था ….लोगों ने ऐलान कर दिया…याचना नहीं अब रण होगा
इतिहास गवाह है हमने जरूरी चीजों पर कभी समझौता नहीं किया
कोरोनाकाल में श्रमिक एक्सप्रेस के बाद लॉकडाउन 3 में सरकार का ये दूसरा तोहफा है। ठेके खुल गए …मान लो कोरोना बंद हो गया … अब काहे को …रोना
ट्वीटर पर #liquorshops टॉप में ट्रेंड कर रहा है
दरअसल इन चालीस दिनों में जो लोग बिहार से बाहर किसी दूसरे राज्य में रह रहे थे, उन्हें भी बिहार वाली फिलींग आ रही थी
ऐसा नहीं कि शराब के लिए ये जज्बा सिर्फ हमारे देश में है। ब्रिटेन में सरकार ने जैसे ही लॉकडाउन में शराबबंदी का ऐलान किया, सुपरमार्केट में वाइन और व्हिस्की की ऐसी बिक्री हुई कि तमाम रिकार्ड टूट गए। मजबूरन सरकार को चार दिन में ही ये फैसला वापस लेना पड़ा। तो अभी हालत ये है कि यूरोप के ज्यादातर देशों में दारू इसेंसियल सर्विस में है। और हमारे यहां कई लोग मानते हैं कि भारत को यूरोप से अभी बहुत कुछ सीखना है, लेकिन शुरूआत यहां से की जा सकती है।
देश भर के ठेकों के बाहर मय के मस्तानों की भीड़ ने बता दिया है कि शराबबंदी का नीतीश कुमार मॉडल फेल है। शराब पीना कानून बनाने से कम नहीं होता, बस राज्य सरकार की आय कम हो जाती है। अभी जबकि लॉकडाउन की वजह से पेट्रोलियम की आय शून्य हो गई है, जीएसटी वाले टैक्स रेजिम में शराब ही राज्य सरकार के लिए टैक्स का सबसे बड़ा सहारा है।