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मैं तुलसी तेरे आंगन की!!!

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मैं तुलसी तेरे आंगन की!!!

ljp president chirag says he is hanuman of pm modi
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चुनाव में बयानबाजी कोई बड़ी बात नहीं, लेकिन नौटंकीबाजी शुरु हो जाए, तो मामला दिलचस्प हो जाता है। बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ ऐसा ही दिखने लगा है। एक तरफ बीजेपी सरेआम एलजेपी (LJP) को ‘वोटकटवा’ कह रही है…तो दूसरी ओर चिराग पासवान (chirag paswan) खुलेआम खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बता रहे हैं।

कहानी बिल्कुल फिल्मी लग रही है। लगता है जैसे बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के बीच, ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ स्टाइल में एक तीसरी पार्टी खड़ी हो गई है, जो कह रही है…’चाहे रिश्ता (गठबंधन) टूट जाए, चाहे आप सौतन (जेडीयू) की वजह से मुझे दुत्कार दो, लेकिन फिर भी रहूंगी आपकी ही’। इसमें ये भरोसा भी शामिल है….’आपके जिसके साथ हो, उसके साथ ज्यादा दूर नहीं चल पाओगे और देख लेना…एक दिन आपको मेरे पास ही आना होगा’।

क्या है एलजेपी (LJP) का स्टैंड?

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने मीडिया से बातचीत में खुलकर अपना मोदी प्रेम प्रदर्शित किया। पीएम मोदी की तस्वीर के इस्तेमाल को लेकर उठे विवाद के बीच एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि मुझे मोदी की तस्वीर कहीं नहीं लगानी, वो मेरे दिल में बसते हैं। मैं उनका हनुमान हूं, मेरा सीना चीर कर देख लें। मैं मोदी के साथ था, हूं और रहूंगा। उन्होंने कहा कि तस्वीर लगाने की जरूरत मुझे नहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को है, क्योंकि वही हमेशा नरेंद्र मोदी का अपमान और विरोध करते रहे हैं। जाहिर है चिराग पासवान साफ संदेश दे रहे हैं कि उन्हें सिर्फ नीतीश कुमार और उनकी सरकार से परेशानी है, बीजेपी से नहीं।

चिराग का इमोशनल कार्ड

हाल ही में एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए चिराग पासवान अपने पिता को याद करते हुए ऑनस्क्रीन रोने लगे और एंकर को मजबूरन ये इंटरव्यू बीच में ही रोकना पड़ा। उनके विरोधियों की नजर में ये सिर्फ इमोशनल ड्रामा था और चिराग का मकसद इसी बहाने सहानुभूति वोट हासिल करना था। आपको बता दें कि 8 अक्टूबर को उनके पिता रामविलास पासवान का निधन हो गया था और इसमें कोई दो राय नहीं कि बिहार के एक खास वर्ग पर उनकी खासी पकड़ थी।

चिराग अभी जनता के बीच ना अपनी पहचान बना पाए हैं, और ना ही रामविलास पासवान जैसी पकड़। ऐसे में पिता के कहने पर गठबंधन छोड़ने की बात हो, उनके सपने पूरे करने का वादा हो या उनकी याद में आंसू बहाना…ये सब उन्हें चुनावी फायदा पहुंचा सकता है। बिहार की भावुक जनता, उनमें अपने ‘रामविलास’ को देख सकती है। ऐसे में राजनीति से पहले एक्टिंग में हाथ आजमा चुके चिराग के आंसू असली हैं या चुनावी…ये पता लगाना बहुत मुश्किल है।

क्या कहती है बीजेपी?

बीजेपी-एलजेपी के छुपे लेकिन जाहिर गठबंधन को लेकर चर्चाएं इतनी आम हैं कि आखिरकार बीजेपी को खुलकर सामने आना पड़ा। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को साफ बयान दिया – ‘चिराग पासवान ने बिहार में एक अलग रास्ता चुन लिया है। हमारी कोई भी B और C टीम नहीं है। बिहार में एनडीए को तीन चौथाई बहुमत मिलने जा रहा है। लोजपा (LJP) बस एक वोटकटवा पार्टी बन कर रह जाएगी।’

वहीं प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के उस दावे को झूठा बताया जिसमें कहा गया है कि लोजपा नेता और अमित शाह के बीच चुनाव को लेकर कोई बात हुई है। उन्होंने कहा कि जो पार्टी बिहार में एक सीट भी नहीं जीत सकती, वह आज सरकार बनाने का दावा कर भ्रम फैला रही है। 

चिराग का जवाब

उधर लोजपा (LJP) अध्यक्ष के पास इन सबका जवाब मौजूद है। प्रकाश जावड़ेकर के वोटकटवा वाले बयान को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि मुझे उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है। वहीं उन्होंने ये भी दावा किया कि बीजेपी नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दबाव में आकर ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं। चिराग ने जोर देकर कहा कि एलजेपी (LJP) 20 साल पुरानी पार्टी है, ऐसे में मेरी पार्टी की अपनी सोच और राय क्यों नहीं हो सकती?

क्यों ऐसा कर रहे हैं चिराग?

अगर राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार बिहार में जबरदस्त सत्ता-विरोधी लहर है। ऐसे में जेडीयू के ज्यादातर उम्मीदवारों के हारने की आशंका जताई जा रही है। इसका फायदा या तो आरजेडी को मिलेगा या बीजेपी को। इसलिए एलजेपी (LJP) ने सोची-समझी रणनीति के तहत सभी जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं। इसके पीछे सोच ये है कि उनके उम्मीदवार या तो नीतीश-विरोधी वोटों की मदद से जीत जाएंगे, या फिर जेडीयू के वोट काटेंगे और उनके उम्मीदवारों को हराएंगे। वहीं बीजेपी उम्मीदवारों की अनुपस्थिति में अगर कुछ सीटों पर भी उन्हें सवर्णों के वोट मिल गये, तो अपने दलित वोटों की मदद से उनके उम्मीदवारों के जीतने की संभावना बढ़ जाएगी। फिर उनके पास बीजेपी के बागी उम्मीदवार तो हैं ही।

यानी चिराग सुनिश्चित कर रहे हैं कि जेडीयू को कम से कम सीटें मिलें, बीजेपी के सभी उम्मीदवार जीत जाएं और कुछ सीटें उन्हें भी मिल जाएं। चिराग पासवान एक्टिंग में पक्के हों या ना हों, राजनीति के कच्चे खिलाड़ी नहीं लगते। वैसे कौन जानता है कि इसके पीछे किसका दिमाग है? देखिये मैंने बीजेपी का नाम नहीं लिया है।

Shailendra

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