#Loan apps: कभी सुना है गाली देने वाला कॉल सेंटर?

हमने वाकई बड़ी तरक्की कर ली है, बिजनेस प्रोसेस की आउट सोर्सिंग करते-करते अब हम गालियों की आउटसोर्सिंग तक पहुंच गए हैं। नॉन बैंकिंग फाइनांस कंपनियां कर्ज वसूली के लिए दिन रात गालियां देने वाले कॉल सेंटर चला रहे हैं और जो लोग कर्ज देने में देर करते हैं, उनके फोन के कांटैक्ट लिस्ट में जाकर उनके सभी साथियों और रिश्तेदारों को गालियां दे रहे हैं।
हैदराबाद के 29 साल के, पी सुनील ने 17 दिसंबर को खुदकुशी कर ली
तेलंगाना में मेडक के, 23 साल के एड्डु श्रवण यादव और सिद्दीपेट के 28 साल के क्रिनी मौनिका ने बीते हफ्ते खुदकुशी कर ली
बीते दो महीने में कमोबेश हर राज्य से इस तरह से खुदकुशी करने के मामले सामने आए हैं, सब की वजह एक है- कर्ज वसूली के लिए लोन एप कंपनी का तरीका जिसने उन्हें खुदकुशी करने को मजबूर कर दिया। बीते 27 नवंबर को तारक मेहता का उल्टा चश्मा के लेखक अभिषेक मकवाना की खुदकुशी की वजह डिजीटल लोन एप बताने के बाद इस तरह के मामले में दक्षिण भारतीय राज्य विशेष कर आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल की पुलिस सक्रिय हुई है।
लोन एप(#Loan apps) कंपनियां कौन हैं?
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोगों की नौकरियां छिन गईं। बैंकों का एनपीए बढ़ गया तो कर्ज देने के नियम और सख्त हो गए। इसी का फायदा उठा कर कई लोन देने वाली कंपनियां पांच से दस हजार के छोटे कर्ज के अवैध कारोबार में आ गई हैं। ये कंपनियां हैं
Bubble Loan, Liquid Cash, Cash Bee, Rupee Factory, Paisa Loan, SnapIt Loan, In Need, Rupee Plus, Pan Loan, Cash Port, Wow Paisa, Gold Bowl, Ok Cash, Udhaar Loan, Go Cash, FlashCash, Cash Pot, One Hope, Bily Cash. QuickCash, Kissht, LoanCloud, InstaRupee Loan, Flash Rupee-Cash Loan, MasterMelon, Cashtrain, GetRupee, ePay Loan, Panda, iCredit, EasyLoan , RupeeClick, OCash, Cashmap, Snapit, RapidRupee, ReadyCash, Loan Bazaar, Loanbro, Cash Post, Rupeego, Cash Port, RsRush Pro, Fortune Bag, Rupee Loan, Robocash, Cash TM, Udhaar Loan और Credit Free
ये white label apps हैं। यानी किसी लोकप्रिय एप की क्लोन एप्स हैं। देखने में इनका एप लोकप्रिय भारतीय लोन एप Udhaar या FlipCash की तरह लगता है। लेकिन गौर से देखने पर पता चलता है कि न तो इनका कोई वेबसाइट है न किसी तरह का कांटैक्ट डिटेल्स। ये फिनटेक की एप कंपनियां फेसबुक जैसे सोशल साइट पर अपना प्रचार करती हैं। पैन कार्ड और आधार नंबर देने पर बगैर किसी पूछताछ या कागजी कार्रवाई के यें कंपनियां एक हफ्ते या दस दिन के लिए दस हजार तक का कर्ज दे देती हैं। इसके लिए वो रोजाना एक फीसदी सूद वसूलती हैं। सूद के अलावा ये प्रोसेसिंग फी और 18% जीएसटी भी चार्ज करती हैं। 4000 के कर्ज के लिए ये 1425 रु प्रोसेसिंग फी, 256 रु GST और 31 रु रोजाना सूद वसूलती हैं। एक हफ्ते के लिए 4000 का कर्ज लेने वाला सातवें दिन 5712 रुपया लौटाता है। और अगर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर पाता तो वो कंपनी उस ग्राहक के मोबाइल नंबर से एक वहाट्सएप ग्रुप बनाती है। लोन एप डाउनलोड करते वक्त ग्राहक की कांटैक्ट लिस्ट कंपनी के पास होती है। उन सभी कांटैक्ट को वहाट्सएप ग्रुप पर मैसेज भेज कर उस ग्राहक की बेइज्जती की जाती है। जाली लीगल नोटिस भेजा जाता है और इसके बाद ग्राहक और उसके सभी कांटैक्ट को धमकी वाले कॉल और मैसेज का सिलसिला शुरू हो जाता है जो कर्ज चुकाने के बाद ही बंद होता है। ज कई ग्राहकों ने इस बाबत ट्वीटर और फेसबुक पर इन कंपनियों के खिलाफ #OperationHaftaVasooli हैशटैग से आंदोलन भी चलाया लेकिन जांच एजेंसियों ने तवज्जो नहीं दी। कई लोग पुलिस के पास भी जाते हैं लेकिन जब पुलिस को पता चलता है कि ये मामला सिर्फ चार या पांच हजार का है तो वो केस दर्ज करने की जगह उन्हें कर्ज चुकाने की सलाह देते हैं।
(#Loan apps)तेलंगाना पुलिस की बड़ी कार्रवाई
जहां ज्यादातर राज्यों की पुलिस इन मामलों में उदासीन रही, वहीं मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खुद दिलचस्पी लेने की वजह से तेलंगाना पुलिस ने इन मामलों में बड़ी कार्रवाई की है।
‘Cash Mama’, ‘Dhana Dhan Loan’ और ‘Loan Zone’ कंपनी के पास 1.5 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड और 70 हजार से ज्यादा एक्टिव ग्राहक हैं। इनका दिल्ली, नागपुर, बंगलुरू और मुंबई के नौ NBFC से एग्रीमेंट होने का पता चला है। पुलिस ने इन कंपनियों के साथ बिजनेस कर रही सभी NBFC के मैनेजिंग डायरेक्टर और गूगल को नोटिस जारी किया अब तक हैदराबाद पुलिस ने 14लोगों को इस आरोप में गिरफ्तार किया है, इनमें दो इन कंपनियों के डायरेक्टर हैं। इसके अलावा पुलिस ने गूगल को प्ले स्टोर से 158 अवैध लोन एप हटाने को कहा है। नवंबर में गूगल ने प्ले स्टोर से OkCash, Go Cash, Flip Cash, ECash और SnapIt Loan को प्ले स्टोर से हटा दिया है।
#Loan apps- गूगल की जिम्मेदारी
गूगल इन एप्स को अपने प्ले स्टोर पर इसलिए चलने देता है क्योंकि इनमें से हर एक एप दस लाख से ज्यादा बार डाउनलोड हो चुका है। इन एप्स के हर ट्रांजेक्शन पर गूगल अपनी फीस वसूलता है। लिहाजा वेबसाइट लिंक और असली एड्रेस को वो अनिवार्य शर्त नहीं बनाता ।नवंबर 2019 में गूगल की नई डेवलपर पॉलिसी के तहत दो महीने से कम अवधि के कर्ज देने वाले एप्स को इजाजत नहीं मिलेगी, इसी तरह अधिकतम सूद की दर को लेकर भी प्ले स्टोर पर बंदिशें हैं, जिनका ये कंपनियां उल्लंघन कर रही हैं, लेकिन सब कुछ जानते हुए भी ऐसे पांच सौ से ज्यादा अवैध लोन एप गूगल प्ले स्टोर में आज भी मौजूद हैं। इतना ही नहीं क्योंकि इन एप्स पर हर रोज बहुत सारे ट्रांजेक्शन होते हैं, लिहाजा गूगल प्ले स्टोर की टॉप लिस्ट में ये हमेशा शामिल रहती हैं, इससे इन फर्जी कंपनियों को एक तरह का डिजिटल एक्सेपटेन्स हासिल होता है।
#Loan apps-देश की सुरक्षा के लिए खतरा
सुरक्षा के नजरिए से हमारे लिए बड़ा खतरा ये है कि करीब-करीब ये सारे एप चाइनीज हैं जिनका डाटा अलीबाबा के क्लाउड सर्वर पर स्टोर होता है और इनके जरिए हमारे नागरिकों का बहुत सारा पर्सनल, क्रेडिट और बैंकिंग इन्फो चीन के सर्वर में हर रोज जमा हो रहा है। RBI Act, 1934 के Section 45-IA के तहत बगैर रजिस्ट्रेशन के देश में कोई भी Non-banking Financial Company काम नहीं कर सकती। लेकिन लोन एप वाली ज्यादातर कंपनियां रिजर्व बैंक से रजिस्टर्ड नहीं हैं। Citizen Collective, Banbreach और Cashless Consumers जैसी संस्थाओं के रिसर्च से पता चला है कि इनमें से कुछ कंपनियां money laundering में लिप्त हैं।
तमिलनाडु से ग्राहकों को परेशान करने के कई मामले सामने आने के बाद DMK MP Dr S Senthilkumar ने वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman को November 16, 2020 को खत लिखकर कार्रवाई की मांग की। केरल के विधायक PV Anvar ने मुख्यमंत्री विजयन को खत लिखकर फिनटेक एप्स पर बैन लगाने की मांग की है। मुंबई के प्रवीण कलइसेलवन ने सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत एक PIL भी फाइल की है।
23 दिसंबर को रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के लिए इस संबंध में एक एडवायजरी जारी की है।
Members of public should verify the antecedents of the company/ firm offering loans online or through mobile apps. “There have been reports about individuals/small businesses falling prey to growing number of unauthorised digital lending platforms/Mobile Apps on promises of getting loans in quick and hassle-free manner,” “Moreover, consumers should never share copies of KYC documents with unidentified persons, unverified/unauthorised Apps and should report such Apps/Bank Account information associated with the Apps to concerned law enforcement agencies or use Sachet portal (https://sachet.rbi.org.in) to file an on-line complaint.”
इस मामले में रिजर्व बैंक की भूमिका बेहद अहम है। चिट फंड मामलों में भी देखा गया कि शारदा चिट फंड घोटाला सामने आने से पहले तक रिजर्व बैंक कोई रेगुलेशन लाने को तैयार नहीं था। रिजर्व बैंक ने जैसे ही क्रिप्टोकरेंसी को बैन किए बगैर जैसे ही कुछ नोटिफिकेशन जारी किए, क्रिप्टो करेंसी के एक-एक कर सारे स्टार्टअप बंद हो गए और उनमें हो रहा निवेश भी रुक गया। इसी तरह अगर रिजर्व बैंक अखबार में विज्ञापन देकर ग्राहकों को जागरूक करे तो इसका बड़ा असर इन फिनटेक स्टार्ट अप्स पर भी हो सकता है.