मास्क वाली मुस्कान !
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कोरोना ने हमसे हमारा चेहरा, हमारी पहचान छीन ली ह
चेहरा पर पहरा
एस्ट्रोनॉट, रायट पुलिस, डीप शी डाइवर्स हमारे लिए नए नहीं हैं, लेकिन संपर्क,संचार और संवाद में हम अब तक पूरे चेहरे का इस्तेमाल करते आए हैं, मास्क ने हमारे चेहरे को ही नहीं ढंका, उसने हमारे चेहरे के कई भाव, भंगिमा और भावनाओं को भी कैद कर लिया है। बच्चे, बूढ़े, मूक और वधिरों के लिए कई संकेत स्विच ऑफ हो गए हैं। सिर्फ आंखों को देख कर किसी की पहचान हमारे दिमाग में पूरी तरह नहीं बनती, न उसके मनोभाव पूरी तरह समझ आते हैं, ये इत्तेफाक नहीं है कि अपराधी अक्सर जुर्म से पहले मास्क या रुमाल से अपना चेहरा छिपा लेते हैं। अब क्या कहा जा रहा है? ये अहम है न कि कैसे कहा जा रहा है?
फैशन से पैशन गायब
फैशन की दुनिया अब आंखों में सिमट आई है। चीन में T Mall के मुताबिक आईलाइनर, आई शैडो, मस्करा और आईब्रो पेन्सिल की बिक्री 40% तक बढ़ी है, जबकि फेसियल मेक अप 19% और लिपिस्टिक की बिक्री 39% तक गिरी है। नया ट्रेंड है फेस मास्क से मैचिंग आई मेक अप का।

वहीं कुछ लोग ड्रेस से मैचिंग मास्क पहन रहे हैं।


ClearMask नाम की एक कंपनी पारदर्शी मास्क ही ले आई।
बात शायरी की हो तो मास्क ने फराज़ की गुंजाइश रखी है
हज़ार बार मरना चाहा निगाहों मैं डूब कर हमने फ़राज़
वो निगाहें झुका लेते हैं हमें मरने नहीं देते
लेकिन क़मर मुरादाबादी को अभी इंतजार करना होगा