Type to search

टाटा एथलेटिक्स एकेडमी 4-5 मिल्खा पैदा करेगा… – मिल्खा सिंह का जमशेदपुर कनेक्शन

Breaking खेल जरुर पढ़ें दुनिया देश राज्य संपादकीय

टाटा एथलेटिक्स एकेडमी 4-5 मिल्खा पैदा करेगा… – मिल्खा सिंह का जमशेदपुर कनेक्शन

Milkha Singh Tata Jamshedpur
Share on:

टाटा एथलेटिक्स एकेडमी 4-5 मिल्खा पैदा करेगी। ये कहा था मिल्खा सिंह ने जब वे मई 2004 में टाटा एथलेटिक्स एकेडमी का उद्घाटन करने जमशेदपुर पहुंचे थे।तब मीडिया से रूबरू होते हुए टाटा के कर्मचारियों-अधिकारियों को खेल कूद को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की सलाह दी थी।लेकिन जमशेदपुर से सिर्फ इतना कनेक्शन नहीं था कि एकेडमी का उद्घाटन करने आए बल्कि ये एकेडमी उन्हीं की बदौलत अस्तित्व में आई।

दरअसल 2003 में मिल्खा सिंह टाटा ओपन गोल्फ का उद्घाटन करने जमशेदपुर पहुंचे थे.तब पत्नी निर्मला कौर और बेटे जीव मिल्खा भी आए थे।जीव मिल्खा अंतरराष्ट्रीय गोल्फर होने के नाते टाटा ओपन गोल्फ में शिरकत करने पहुंचे थे।तब टाटा स्टील के तत्कालीन एम डी बी मुत्थुरमण के साथ जेआरडी स्पोर्ट्स और अन्य जगहों के भ्रमण के दौरान मिल्खा सिंह ने कहा था–जब टाटा आर्चेरी एकेडमी बन सकती है और टाटा फुटबॉल एकेडमी भी है तो टाटा एथलेटिक्स एकेडमी क्यों नही?? मिल्खा सिंह तो चले गए लेकिन टाटा स्टील ने उनका मान रखा और तत्कालीन एमडी बी मुत्थुरमण की पहल पर छह महीने के भीतर ही जेआरडी स्पोर्ट्स complex परिसर में टाटा एथलेटिक्स एकेडमी अस्तित्व में आ गई।अर्जुन अवार्ड विजेता एथलीट बागीचा सिंह मुख्य कोच और अंतरराष्ट्रीय एथलीट सतनाम सिंह सहायक कोच बनाए गए।

उसके बाद की कहानी ऊपर लिखी है जिसे पढ़कर आज की पीढ़ी ये समझ पाएगी कि मिल्खा सिंह जैसे सितारे जब किसी शहर की जमीं पर कदम रख जाते हैं तो क्या कुछ बदलाव हो जाता है।

मिल्खा सिंह जैसा जांबाज खिलाड़ी बनना कोई आसान बात नहीं होती। भाग मिल्खा भाग’ , बंटवारे के समय दंगाईयों से जूझते अपने पिता की ये बात मिल्खा सिंह ने हमेशा याद रखी।बंटवारे में अपना परिवार खोने के बाद टूट सकते थे मगर हार नहीं मानी।

Milkha Singh Tata Jamshedpur connection

मशहूर धावक बनने के पहले का उनका अथक संघर्षरत जीवन किसी के लिए भी प्रेरणादायक है, लेकिन अब सबके प्यारे मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं हैं।किसी को यकीं नहीं हो रहा है कि कोरोना ने उनको भी छीन लिया।कोरोना ने बहुत कुछ छीन लिया लेकिन जाने क्यों मिल्खा सिंह जैसे जीवट इंसान का चले जाना सबको खल गया।अभी तो वे अपना record टूटते देखना चाहते थे।रोम ओलंपिक में record बनाने के बावजूद पदक से वंचित मिल्खा ताउम्र इस record के टूटने का इंतजार करते रहे।बकौल मशहूर एथलीट अश्विनी नाचप्पा मिल्खा सिंह अक्सर कहते–record टूटते रहना चाहिए।मिल्खा सिंह को उड़न सिख का नाम पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल अयूब ने दिया था जब साठ के दशक में मिल्खा ने लाहौर के स्टेडियम में पाकिस्तान में अपने समक्ष अब्दुल खलीक को दौड़ रेस में पछाड़ा।तब जीतने के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने मिल्खा से कहा कि तुम दौड़े नहीं यार तुम तो उड़े।मिल्खा सिंह ने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेल से लेकर एशियाई खेलों में अपना खूब डंका बजाया।

मिल्खा सिंह जैसी शख्सियत कभी मरा नहीं करते।वे सबके दिलों में सदैव विराजमान रहेंगे।जमशेदपुर हमेशा इनका आभारी रहेगा।उम्मीद है कि मिल्खा सिंह का record टूटने का सपना जरूर पूरा होगा।

— अन्नी अमृता

Share on:
Tags:

You Might also Like

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *