बिहार में उद्घाटन से पहले ही बह गया करोड़ों रुपए का पुल
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बिहार (Bihar) में विधानसभा चुनाव (Assembly elections) जल्द होने वाले हैं और इसकी जल्दबाजी में विकास परियोजनाओं को कुछ इस कदर अमलीजामा पहनाने की कोशिश हो रही है, जो खड़े दिख सकते हैं, मगर टिकाऊ नहीं है। सबसे बुरा हाल तो नदी-नालों पर बन रहे पुलों का है। जिन्हें करोड़ों रुपये लगाकर खड़ा तो कर दिया जाता है, मगर उनके टिके रहने की कोई गारंटी नहीं है। हालात ये हैं जो पुल बनकर तैयार हो गए हैं, उनमें से एक पुल तो उद्घाटन से पहले ही टूट कर गिर गए हैं।
अब ताजा मामला बिहार के गोपालगंज से सामने आया है। जहां एक निर्माणाधीन पुल बह गया है। यह मामला दिघलबैंक प्रखंड के पथरघट्टी पंचायत का है।
दिघलबैंक प्रखंड की पत्थरघट्टी पंचायत के ग्वाल टोली के पास से बह रही कनकई नदी में बनी नई धार की चपेट में आने से गुवाबाड़ी के पास करीब 1 करोड़ 42 लाख की लागत से बन रहा पुल धंस गया। पुल उद्घाटन से पहले ही गुवाबाड़ी के पास पुल का एक पाया पुरी तरह धंस गया है और कनकई नदी के इस नये धार के बीचों बीच इस प्रकार खड़ा है मानो नदी ने पुल को अपने आगोश में ले लिया है।
फिलहाल पुल के धंस जाने के कारण इस रास्ते खुद को मुख्य धारा से जोड़ने का आस वर्षों से संजोए ग्वाल टोली, गुवाबाड़ी, दोदरा, कमरखोद, बेलबारी, संथाल टोला आदि गांवों के हजारों की आबादी का इंतजार एक बार फिर से बढ़ गया है। साल 2017 में आयी भीषण बाढ़ में किशनगंज का दिघलबैंक प्रखंड तबाह हो गया था। उस दौरान गोआबाड़ी-कुढ़ेली के बीच भी सड़कें कट गईं थीं। वहां लोगों की सुविधा के लिए इस पुल का भी निर्माण किया गया, लेकिन उद्घाटन के पहले ही उम्मीदों पर पानी फिर गया।
इस बीच पुल के ध्वस्त होने के कारणों की जांच की मांग भी उठने लगी है। एआइएमआइएम के नेता हसन जावेद ने कहा है कि करीब एक महीने से कंकई नदी की स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब पुल भी ध्वस्त हो गया है। उन्होंने प्रशासन ने पूरे मामले की जांच की मांग की है।
ग्रामीणों ने लगाया आरोप –
ग्रामीणों का आरोप है कि पुल के निर्माण में लापरवाही बरती गई. नियमों को ताक पर रखकर पुल निर्माण कार्य किया और उसे बनाने के लिए माल मसाला बेहद कम लगाया गया।