देश में चेक बाउंस के 33 लाख से अधिक मामले लंबित, सुप्रीम कोर्ट लगाएगा विशेष अदालतें

Cheque bounce cases: देशभर में चेक बाउंस के 33 लाख से अधिक मामले लंबित है. सुप्रीम कोर्ट विशेष अदालतें लगाकर इन लंबित मामलों का निपटारा करेगा. 25 विशेष अदालतें महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पांच-पांच जिलों में बनाई जाएंगी, जहां चेक बाउंस के मामले सबसे ज्यादा लंबित हैं.
चेक बाउंस (Check Bounce) के 33 लाख से अधिक मामले लंबित होने के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक पायलट अध्ययन को हरी झंडी दे दी, जिसमें मामलों को विशेष रूप से निपटाने के लिए सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों की अध्यक्षता में विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और एस. रवींद्र भट ने कहा, “पायलट अध्ययन 1 सितंबर, 2022 से 31 अगस्त, 2023 तक 1 वर्ष की अवधि के लिए आयोजित किया जाएगा. कुल 25 विशेष अदालतें आयोजित की जाएंगी. पांच न्यायिक जिलों में से प्रत्येक में एक विशेष अदालत होगी. ऐसी अदालतों को एनआई अधिनियम के मामलों की उच्चतम पेंडेंसी के साथ राज्यों के पांच हाईकोर्टों में से प्रत्येक द्वारा उच्चतम पेंडेंसी के रूप में पहचाना गया है.”
25 विशेष अदालतें महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पांच-पांच जिलों में बनाई जाएंगी, जहां चेक बाउंस के मामले सबसे ज्यादा लंबित हैं. पीठ ने कहा कि वह अपने एक साल के कामकाज का मूल्यांकन करने के बाद देशभर में इसका विस्तार करेगी.
पीठ ने कहा, “इस पायलट अध्ययन के तहत विशेष अदालतों के संचालन के लिए सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों और सेवानिवृत्त अदालत कर्मचारियों, अधिमानत: जो पिछले 5 वर्षो के भीतर सेवानिवृत्त हुए हैं, उनको नियोजित किया जा सकता है. संबंधित उच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि इस अवधि के दौरान कोई रिक्ति उत्पन्न न हो.”
पीठ ने कहा कि विशेष अदालतें केवल उन्हीं मामलों पर फैसला सुनाएंगी, जिनमें विधिवत समन तामील किया गया है और आरोपी वकील व्यक्तिगत रूप से पेश हुए हैं.
पीठ ने कहा, “सबसे पुराने लंबित मामले, जिनमें समन की तामील पूरी हुई है, उन्हें सिलसिलेवार तरीके से पहचाना जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कोई भी मामला, जिसमें समन की तामील अधूरी है, विशेष अदालतों को नहीं भेजा जाएगा.”
“पायलट अध्ययन के लिए स्थापित विशेष अदालतें आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 द्वारा अनिवार्य मुकदमे के संबंध में उसी प्रक्रिया का पालन करेंगी. मामलों के त्वरित निपटान को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से स्थगन आदेश नहीं दिया जाना चाहिए. उपयुक्त प्रोटोकॉल का पालन करके बाहरी गवाहों की आगे की परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की जा सकती है, ताकि गवाहों के आवागमन के कारण मुकदमे में देरी से बचा जा सके.”
पीठ ने कहा कि उसके महासचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि वर्तमान आदेश की एक प्रति उपरोक्त पांच हाईकोर्टों के रजिस्ट्रार जनरल को सीधे भेजी जाए, जो इसे तत्काल कार्रवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखेंगे.
“प्रगति और अनुपालन की रिपोर्ट के लिए उन पांच हाईकोर्टों में से प्रत्येक 21 जुलाई, 2022 को या उससे पहले एक हलफनामा दाखिल करेगा. आगे की कार्यवाही की समीक्षा के लिए 26 जुलाई, 2022 को सूची पेश की जाएगी.”
More than 33 lakh cases of check bounce pending in the country, Supreme Court will set up special courts