नाम में क्या रखा है?
शोले में जब जय ने बसंती से पूछा –तुम्हारा नाम(#name) क्या है बसंती? तब जवाब देते वक्त बसंती की हसरत शायद ये थी कि वो वीरू को अपना नाम बोलते सुने।
हम जिन्हें पसंद करते हैं उनकी जुबान पर अपना नाम सुनना अच्छा लगता है। बच्चे के जन्म के दसवें दिन नामकरण संस्कार में माता-पिता बच्चे की राशि के अनुसार एक अक्षर चुन कर उससे बच्चे का नाम रखते हैं।
सोच शायद ये है कि नाम से ही नाम होगा। कहते हैं उड़न पड़ी, पायोली एक्सप्रेस, पी टी उषा ( Pilavullakandi Thekkeparambil Usha ) के नाम में उनके दादाजी से लेकर उनके गांव तक का नाम शामिल है। आज उनका नाम सिर्फ उनके गांव वाले नहीं सारा देश जानता है।
फिर भी कुछ लोग मानते हैं कि नाम में कुछ नहीं रखा। वर्षा नाम की लड़की जिंदगी में आग लगा देती है और बड़ी पत्थरदिल थी वो लड़की जिसका नाम कोमल था। आम जनता नामकरण को लेकर चाहे जितनी मेहनत कर ले, लेकिन सरकार इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देती। वो अपनी पार्टी या आधुनिक भारत के चंद नामों से काम चला लेती है।
एक RTI से पता चला है कि कांग्रेस शासनकाल में एक परिवार के नाम से 600 से ज्यादा सरकारी योजनाएं चल रही थीं। अभी भी देश में राजीव गांधी के नाम से केंद्र सरकार की 11 और राज्य सरकारों की 25 योजनाएं चल रही हैं। इसके अलावा स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम से 23 खेल टूर्नामेंट, पुरस्कार, 55 शैक्षणिक संस्थान,74 सड़क, भवन, स्मारक, एयरपोर्ट हैं। जब हैदराबाद एयरपोर्ट का नाम राजीव गांधी के नाम पर रखा गया तब एक अखबार में कार्टून छपा था – सर लालकिला और ताजमहल बाकी रह गए हैं, इनका नाम क्या रखा जाए?
मोदी सरकार ने जनवरी में कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा तो फारवर्ड ब्लॉक पार्टी के नेताओं का कहना था कि ये नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अपमान है जिनका नाम यहां पहले से अंकित था। ग्रेटर हैदराबाद नगरपालिका चुनाव के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर करने का प्रस्ताव दिया। ताजा विवाद तिरुअनंतपुरम से है। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन से खत लिखकर आग्रह किया है कि त्रिवेंद्रम के RGCB यानी Rajiv Gandhi Centre for Biotechnology का नाम बदल कर RSS विचारक एमएस गोलवलकर के नाम पर नहीं किया जाए। उनका कहना है कि RGCB एक एडवांस्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट है और इसे राजनीतिक विभाजन से अलग रखा जाना चाहिए। अगर नाम बदलना ही है तो नए कैंपस का नाम देश के किसी मशहूर साइंटिस्ट के नाम पर रखा जाए। इसके पहले डॉ हर्षवर्धन ने RGCB के दूसरे कैंपस का नाम श्री गुरुजी माधव सदाशिव गोलवलकर नेशनल सेंटर फॉर काम्प्लेक्स डिजीज इन कैंसर एंड वायरल इन्फेक्शन रखने का ऐलान किया था। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी नाम बदलने पर एतराज किया है।
नाम बदलने को लेकर अगर किसी का नाम हुआ है तो वो हैं यूपी के सीएम आदित्यनाथ। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने के बाद ट्वीटर की दुनिया में मीम्स की बाढ़ ही आ गई।
कोविड के वक्त जब सारा देश परेशान था तब तमिलनाडु सरकार ने ये तय किया कि राज्य के 1018 जगहों के नाम का अंग्रेजी उच्चारण उनके मूल तमिल नाम से मिलना चाहिए। इस तरह कोयंबटूर का अब नया नाम है कोयमपुत्थूर।
अगर बॉलीवुड में भी मूल नाम पर लौटने का रिवाज हो जाए तो पोस्टर, ट्रेलर और कास्टिंग में अक्षय कुमार की जगह नाम होगा हरि ओम भाटिया। अच्छा सोच कर देखिए अगर शोले में गब्बर सिंह का नाम शांता प्रसाद होता तब भी क्या वो कैरेक्टर इतना आइकोनिक लगता ? क्या आप अब भी कहेंगे – नाम में क्या रखा है?