NASA का कोरोना वेंटिलेटर
कोरोना के खिलाफ साइंस और टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी जंग में अब नासा भी शामिल हो गया है। कैलिफोर्निया में नासा के JPLयानी जेट प्रोपल्शन लैब के स्पेसक्राफ्ट साइंटिस्ट्स की टीम ने महज 37 दिन में कोरोना के मरीजों के लिए खास वेंटिलेटर बनाया है। न्यूयॉर्क के माउंट सिनाई के आईकान स्कूल ऑफ मेडिसीन ने इस वेंटिलेटर को कोरोना मरीजों के लिए उपयुक्त करार दिया है।
JPL के डायरेक्टर माइकल वाटकिंस ने एक बयान जारी कर कहा है- हमें स्पेसक्राफ्ट में महारत हासिल है, मेडिकल डिवाइसेज में नहीं। लेकिन हमारी विशेषता बेहतरीन इंजीनियरिंग, कड़े मानकों पर टेस्टिंग, और जल्द प्रोटोटाइप तैयार करने की भी है। ये हमारा फर्ज था कि वैज्ञानिक के तौर पर अपनी काबिलियत, विशेषज्ञता और ऊर्जा का इस्तेमाल समाज खास कर हेल्थ वर्कर्स के लिए करें।
इस वेंटिलेटर में क्या है खास ?
इस वेंटिलेटर को नासा ने नाम दिया है VITAL यानी “Ventilator Intervention Technology Accessible Locally”
इसका डिजायन लचीला है, मतलब ये कि इसे आसानी से और कम वक्त में बनाया जा सकता है
इसे अस्थायी अस्पतालों, होटलों जैसे नॉन मेडिकल जगहों पर इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है। यानी इसके इस्तेमाल के लिए अस्पताल का संक्रमण मुक्त वातावरण या खास तापमान की जरूरत नहीं है
अमेरिका की कुछ सबसे नामचीन कंपनियां जैसे फोर्ड, जेनरल मोटर्स, स्पेस एक्स और टेस्ला ने अपने सबसे बेहतरीन इंजीनियरों को वेंटिलेटर बनाने के काम में लगाया है।
ये कैसे अस्पताल के आम वेंटिलेटर से अलग है ?
सामान्य वेंटिलेटर डायनैमिक होते हैं, कई तरह के मरीजों की जरूरतों के हिसाब से इस्तेमाल किए जाते हैं, इन्हें मजबूत बनाया जाता है ताकि ये सालों-साल चलते रहें। नासा का वायटल उस तरह का वेंटिलेटर नहीं है। ये सभी तरह के मरीजों के लिए नहीं, खास तौर पर कोरोना के मरीजों की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। ये पुराने वेंटिलेटर को रिप्लेस नहीं बस सप्लीमेंट करेगा। ये सालों साल चलने के लिए नहीं तीन से चार महीने तक इस्तेमाल के लिए बनाया गया है।
अमेरिका के Food and Drug Administration से इजाजत मिलने के बाद नासा इस वेंटिलेटर का मुफ्त लाइसेंस देने की योजना पर काम कर रहा है।