भारत को महंगी ना पड़ जाए यूक्रेन-रूस पर न्यूट्रल नीति! US लगा सकता है भारत पर बैन
नई दिल्ली – रूस-यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध जारी है। यूक्रेन अब भी रूस के सामने खड़ा दिख रहा है। इस बीच अमेरिकी मीडिया ने कहा कि अमेरिकी सरकार का मानना है, रूस कुछ ही दिनों में यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जा कर लेगा और फिर प्रतिरोध को बेअसर कर देगा. यूक्रेन को चारों तरफ से घेरकर रूस लगातार हमला किए जा रहा है. इधर रूस के हमले के बाद यूक्रेन में तबाही मची हुई है. यूक्रेन की राजधानी कीव को रूस घेरने की प्लानिंग बना चुका है.
यूक्रेन में रूस के हमले के बाद वहां हजारों भारतीय फंसे हैं. ऐसे में भारत ने गुरुवार को यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए एक बड़ी कूटनीतिक पहल की. यूक्रेन में रूस के हमलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की. इस दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं के बारे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अवगत कराया. साथ ही पीएम ने कहा, भारत अपने नागरिकों के सुरक्षित निकास और भारत लौटने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है.
भी बता दें कि भारत फिलहाल यूक्रेन संकट पर तटस्थ बना हुआ है। रूस के साथ पुरानी दोस्ती इसका बड़ा कारण हो सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि रूस के साथ रक्षा संबंधों को लेकर भारत के साथ उनके मतभेद अभी सुलझे नहीं हैं और उन पर बातचीत चल रही है। यूक्रेन में रूसी कार्रवाई पर भारत का नपातुला रुख अमेरिका को ज्यादा रास नहीं आ रहा है। गुरुवार को जब पत्रकारों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से यह सवाल पूछा, तो उन्होंने बहुत कम शब्दों में इस ओर इशारा किया कि अमेरिका भारत के रुख से ज्यादा संतुष्ट नहीं है।
बाइडेन सरकार की चीन को लेकर कड़ी नीति के तहत भारत अमेरिका के लिए एक अहम साझेदार के तौर पर उभरा है, लेकिन रूस के साथ उसकी नजदीकियों और यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई पर भारत की चुप्पी ने दोनों देशों के बीच एक असहज स्थिति पैदा कर दी है। यूक्रेन पर भारत ने अब तक खुलकर कुछ नहीं कहा है। हालांकि गुरुवार को भारतीय प्रधानमंत्री ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत में हिंसा रोकने का आग्रह किया था। किंतु, बीते मंगलवार को पेरिस में एक विचार गोष्ठी में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर जो कुछ हो रहा है, वह नाटो के विस्तार और सोवियत-युग के बाद रूस के पश्चिमी देशों के संबंधों से जुड़ा है। जबकि हिंद-प्रशांत यूरोपीय फोरम में शामिल अन्य विदेश मंत्रियों की तरह जापानी विदेश मंत्री योशीमासा हायाशी ने रूस की कड़ी निंदा की। भारतीय विदेश मंत्री ने अपना पूरा ध्यान चीन द्वारा पैदा किए गए कथित खतरों पर केंद्रित रखा।
इससे पहले सुरक्षा परिषद में भी भारत ने जिस तरह का बयान दिया था, उसे रूस का पक्षधर माना गया। यूक्रेन पर भारत ने कहा था कि सारे पक्षों की रक्षा संबंधी चिंताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए। रूस ने भारत के इस रुख का स्वागत करते हुए कहा है कि यूक्रेन के हिस्सों को मिली मान्यता अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वैध है।
रूस के साथ भारत के संबंध काफी पुराने हैं लेकिन बीते कुछ सालों में अमेरिका और भारत की नजदीकियां बढ़ी हैं। फिर भी, रूस भारत के लिए सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना हुआ है। भारत 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य है, जहां शुक्रवार रूस की निंदा में एक प्रस्ताव पर मतदान हो सकता है। संभावना जताई जा रही है कि रूस इस प्रस्ताव पर वीटो करेगा जबकि अमेरिका इस वीटो का इस्तेमाल रूस को अलग-थलग करने के लिए कर सकता है।
अमेरिका को उम्मीद है कि मौजूदा गणित में 13 सदस्य उसके पक्ष में वोट करेंगे जबकि चीन गैरहाजिर रहना चुनेगा। लेकिन भारत अमेरिका के पक्ष में मतदान करेगा या नहीं, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। इस मुद्दे पर एक बार पहले भी इसी महीने मतदान हो चुका है जिसमें भारत ने गैरहाजिर रहना चुना था।
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