प्रवासी मजदूरों को मिलेगा रोज़गार!
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केंद्र सरकार ने बिहार-झारखंड समेत देश के छह राज्यों के प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए 50 हजार करोड़ की एक बड़ी योजना का ऐलान किया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने 6 राज्यों में बड़ी संख्या में लौटे प्रवासी श्रमिकों के कौशल की सावधानीपूर्वक पहचान की है, जिन्हें रोजगार मुहैया कराने की पहल की जा रही है। 20 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस योजना का उद्घाटन करेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्रम मंत्री संतोष गंगवार और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे।
वित्त मंत्री ने बताया कि देश के छह राज्यों के 116 जिलों में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं। इनमें बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान शामिल हैं। इन छह राज्यों के 116 जिलों के प्रवासी मजदूरों को साल में 125 दिनों का रोजगार मिलेगा। वित्तमंत्री ने कहा कि जिन जिलों की पहचान की गई है, उसमें हर जिले में 25 हजार प्रवासी मजदूर वापस लौटे हैं, इसलिए इन चिह्नित जिलों में से प्रत्येक में करीब 25,000 लोगों को रोजगार दिया जाएगा।
योजना की खास बातें
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के खगड़िया जिले से 20 जून को ये योजना लॉन्च करेंगे।
- इसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और रोजगार पैदा करना है।
- गरीब कल्याण रोजगार अभियान को 12 अलग-अलग मंत्रालय और विभागों के साथ कोआर्डिनेशन कर चलाया जाएगा।
- इसमें बिहार में 32 जिलों, उत्तर प्रदेश में 31 जिलों, मध्य प्रदेश में 24 जिलों, राजस्थान में 22 जिलों, उड़ीसा में 4 जिलों, झारखंड में 3 जिलों को शामिल किया जाएगा।
- इस कैंपेन को मिशन मोड के रूप में चलाया जाएगा जिसमें 125 दिनों का काम मुहैया कराया जाएगा।
- इसमें 25 अलग-अलग प्रकार के कामों को चुना गया है जिसमें मुख्य रुप से ग्रामीण विकास, पंचायती राज, रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे, माइंस, ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटाइजेशन, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम, बॉर्डर रोड, टेलीकॉम और एग्रिकल्चर जैसे क्षेत्र शामिल होंगे।
- इस कैंपेन के लिए सरकार 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी और इसके जरिए ग्रामीण इलाकों में इतनी ही राशि का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हो जाएगा।
- केंद्र और राज्य सरकार मिलकर इस कैंपेन को चलाएंगी और 116 जिलों में कामगारों के स्किल मैपिंग का काम करेंगी।
- 116 जिलों के गांवों को गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत कॉमन सर्विस सेंटर और कृषि विज्ञान केंद्र से जोड़ा जाएगा।
- इस कैपेंन के जरिए वापस लौटे करीब दो-तिहाई प्रवासी मजदूरों को कवर किए जाने की उम्मीद है।
क्या है सरकार का इरादा?
पीएम मोदी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत में ये बात साफ तौर पर सामने आई कि कोरोना महामारी की वजह से कई राज्यों में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों की वापसी हुई है। इनकी वजह से ना सिर्फ कोरोना का संक्रमण बढ़ गया है, बल्कि इन राज्यों की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह चरमरा गई है। जिन 6 राज्यों को शामिल किया गया है, वो वही राज्य हैं जहां से सबसे ज्यादा मजदूरों का पलायन होता है। साथ ही इनमें से ज्यादातर गरीब और पिछड़़े राज्यों की श्रेणी में आते हैं। वहीं इन 6 राज्यों में से 4 में बीजेपी की सरकार है, जबकि बिहार में कुछ ही महीनों में चुनाव होने वाले हैं। इनकी तरफ से, केन्द्र सरकार पर आर्थिक पैकेज देने का दबाव भी डाला जा रहा था।
ऐसे में केन्द्र सरकार ने इस योजना के जरिए कई निशाने साधे हैं। एक तरफ बिहार के करीब 30 लाख प्रवासी मजदूरों का चुनावी समर्थन हासिल करने की कोशिश की है, तो दूसरी तरफ मजदूरों के बहाने इन राज्यों को आर्थिक पैकेज भी दे दिया है। अब बाकी के राज्य मजदूरों के नाम पर शुरु की गई इस योजना का ना तो विरोध कर सकते हैं, ना अपनी हिस्सेदारी मांग सकते हैं। इस तरह सरकार ने सस्ते में मांग भी पूरी कर दी , मजदूरों को आस बंधा दी और किसी की नाराजगी भी नहीं झेली। वैसे, देखा जाए तो जनता का फायदा ये है कि अगर इन पैसों से ग्रामीण क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत हुआ, तो भविष्य में उनके विकास की संभावना बढ़ जाएगी।