फिर मुख्यमंत्री बनेंगे नीतीश!
बिहार में नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है। जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार (Nitish kumar) सोमवार को शाम 4.30 बजे बिहार के सीएम (CM) पद की शपथ लेंगे। रविवार को पटना में मुख्यमंत्री आवास पर एनडीए (NDA) नेताओं की अहम बैठक हुई, जिसमें नीतीश कुमार को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनके नाम की घोषणा की। इसके बाद नीतीश कुमार ने अन्य नेताओं के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल तो 126 विधायकों का समर्थन पत्र सौंपा, और सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसके बाद राज्यपाल ने उन्हें सरकार गठन करने का निमंत्रण दिया है।
इस दौरान नीतीश कुमार के साथ बिहार बीजेपी अध्यक्ष संजय जायसवाल, पूर्व सीएम और HAM के मुखिया जीतनराम मांझी, VIP अध्यक्ष मुकेश सहनी भी मौजूद थे। वहीं बीजेपी नेताओं में राजनाथ सिंह, देवेंद्र फडणवीस और सुशील मोदी भी राजभवन पहुंचे और राज्यपाल से मुलाकात की।
कौन बनेगा डिप्टी सीएम (Dy CM)?
राज्यपाल से मुलाकात के बाद जब राजनाथ सिंह से पत्रकारों ने बिहार के डिप्टी सीएम ((Dy. CM)) को लेकर सवाल किया तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से मना कर दिया। जबकि पिछली सरकार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी उनके साथ ही खड़े थे। सूत्रों के मुताबिक ये लगभग तय है कि सुशील कुमार मोदी इस बार बिहार के उप-मुख्यमंत्री नहीं होंगे।
दरअसल नीतीश कुमार चाहते हैं कि इस बार भी सुशील मोदी ही डिप्टी सीएम बनें। सूत्रों के मुताबिक बिना सुशील मोदी के, वो सीएम (CM) भी बनना नहीं चाहते। लेकिन बीजेपी किसी दूसरे नेता को मौका देना चाहती है, और सुशील मोदी को केंद्र में मंत्री बनाने की सोच रही है। इसकी एक वजह तो ये है कि नीतीश पर नकेल कसने के लिए पार्टी किसी दमदार शख्स को ये पद देना चाहती है। और दूसरी वजह है पार्टी विधायकों की सुशील मोदी से नाराजगी।
क्यों फंसा है पेंच?
पार्टी सूत्रों के मुताबिक शनिवार शाम से ही इसको लेकर प्रदेश भाजपा में गुटबाजी चरम पर थी। रविवार को राजनाथ सिंह की मौजूदगी में बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी थी। अगर जीते हुए विधायकों से राय ली जाती, तो कई विधायक सुशील कुमार मोदी का विरोध कर सकते थे। ये गुटबाजी उजागर न हो, इसीलिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को पटना पहुंचकर भी पार्टी विधायकों से नहीं मिले, और सीधे मुख्यमंत्री आवास पर पहुंच गये।
इस बीच तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधायक दल का नेता और रेणू देवी को उपनेता चुना गया है। सामान्य रूप से NDA का उपनेता ही उपमुख्यमंत्री होता है, इसलिए डिप्टी सीएम(Dy. CM) पद के लिए उनका नाम सबसे आगे चल रहा है।
एनडीए की बैठक
इससे पहले पटना में मुख्यमंत्री आवास पर NDA के घटक दलों की संयुक्त बैठक हुई। इस बैठक में नीतीश कुमार के अलावा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) पार्टी के नेता मुकेश सहनी शामिल हुए।बैठक में पर्यवेक्षक के तौर राजनाथ सिंह, बिहार में भाजपा के चुनाव प्रभारी देवेंद्र फडणवीस और बिहार भाजपा के प्रभारी भूपेंद्र यादव भी मौजूद थे।
एनडीए विधानमंडल का नेता चुने जाने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि वे मुख्यमंत्री (CM) नहीं बनना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वे चाहते थे भाजपा का कोई नेता मुख्यमंत्री बने। लेकिन भाजपा के आग्रह पर उन्होंने इस पद को स्वीकार किया है।
बैठक में डिप्टी सीएम को लेकर कोई सहमति नहीं बनी। वहीं किस पार्टी से कितने मंत्री बनेंगे, ये भी स्पष्ट नहीं है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस बार भाजपा कोटे से 18 से 20 तक मंत्री बन सकते हैं। हालांकि, अभी मंत्रिमंडल गठन की घोषणा होने के बाद ही तस्वीर साफ होगी।
दीवार पर लिखी इबारत
बात सिर्फ ये नहीं है कि कौन मुख्यमंत्री (CM) बनेगा या कौन उपमुख्यमंत्री, बात इसके आगे की है। बिहार में इस बार चुनाव के नतीजों से भविष्य की राजनीति के कई गंभीर सकेत मिलते हैं।
- नतीजों के बाद नीतीश की सियासी जमीन भले ही कमजोर हुई हो, लेकिन बिहार की राजनीति से उनकी विदाई का वक्त नहीं आया है।
- नीतीश कुमार सीएम तो बने रहेंगे, लेकिन अब उन्हें गठबंधन के सबसे बड़े दल बीजेपी के पूरे दबाव में रहना होगा।
- बिहार में नीतीश की जमीन खिसकी है, पीएम मोदी की नहीं। अमित शाह की गैरमौजूदगी में, पीएम मोदी के चुनाव अभियान ने साबित किया है कि अब भी जनता के बीच उनका ही सिक्का चलता है।
- बीजेपी ने ये तो कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बनेंगे, लेकिन यह किसी ने नहीं कहा कि पूरे पांच साल तक बने रहेंगे। इस चुनाव में अपनी कामयाबी को देखते हुए बीजेपी अगली बार अपना मुख्यमंत्री चाहेगी और इसके लिए जल्द ही किसी नये चेहरे को आगे करेगी।
- इस चुनाव ने बिहार के कई युवा नेताओं के लिए आगे के लिए सियासी जमीन तैयार कर दी है। तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, पुष्पम प्रियम चौधरी जैसे नेताओं को अगले पांच साल में अपना जनाधार बढ़ाने पर काम करना होगा, क्योंकि भविष्य इन्हीं का है।
- बिहार के अगले चुनाव में जाति के आधार पर नहीं, बल्कि रोजगार, स्कूल, अस्पताल, सड़क के मुद्दों पर वोट पड़ेंगे। जनता ने बदलाव के संकेत इसी चुनाव में दे दिये हैं। पांच सालों में तो पूरी पीढ़ी बदल जाएगी।