अब तो जेल में जाना पड़ेगा!!!!
भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को बड़ा कानूनी झटका लगा है। ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने भारत में अपने प्रत्यर्पण के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था। ये याचिका ख़ारिज होने के बाद विजय माल्या के पास सभी तरह के क़ानूनी विकल्प लगभग ख़त्म हो चुके हैं। भारत-ब्रिटेन की प्रत्यर्पण संधि के तहत, ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल की ओर से अब 28 दिनों के भीतर विजय माल्या को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के अदालती आदेश पर अंतिम मुहर लगानी है।
हालांकि, माल्या अभी भी यूरोपीय मानवाधिकार अदालत में अपनी अर्ज़ी दे सकते हैं, क्योंकि तकनीकी रूप से ब्रिटेन अभी भी यूरोपीय संघ में शामिल है। लेकिन इस बात की कम ही संभावना है कि ये अदालत ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ कोई फ़ैसला सुनाए। इसलिए माना जा रहा है कि माल्या के लिए सभी रास्ते बंद हो चुके हैं और उसे अब भारत आना ही पड़ेगा।
आपको बता दें कि भारत ने माल्या को भगोड़ा घोषित किया है और आरोप है कि उसने भारतीय बैंकों से 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज ले रखा है। भारतीय अधिकारियों का तर्क है कि माल्या का इस कर्ज को चुकाने का कोई इरादा नहीं है, इसलिए उसका प्रत्यर्पण जरुरी है। वहीं, माल्या अपने खिलाफ लगे आरोपों को साजिश बताता है, और अपनी तरफ से कई बार लोन का राशि चुकाने की बात कही है। हाल ही में उसने एक बार फिर भारत सरकार से लोन की पूरी राशि चुकाने के प्रस्ताव को स्वीकार करने और अपने खिलाफ मामला बंद करने का आग्रह किया था।
मान क्यों नहीं रही सरकार?
- माल्या के मुताबिक लोन की राशि 300 करोड़ के आसपास ही है और वो सिर्फ मूलधन लौटाने की बात करते हैं।
- सरकारी अधिकारियों को उनकी शर्त मंजूर नहीं, और वो सूद सहित पूरा लोन वसूलने की कोशिश कर रहे हैं।
- किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर विजय माल्या पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के भी कई आरोप हैं।
- संभव है कि सरकार इस बहाने ये साबित में जुटी हो कि आर्थिक अपराध कर भागनेवालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
- भविष्य के आर्थिक अपराधियों के लिए ये एक कड़ा संदेश होगा, और भारत का इस मामले में स्टैंड स्पष्ट करेगा।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ भारतीय सरकार के लिए बड़ी न्यायिक जीत माना जा रहा है।
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