हाथरस कांड: अब CBI दिलाएगी न्याय!

हाथरस (Hathras) मामले में सीबीआई (CBI) ने जांच का काम संभाल लिया है। मंगलवार को सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम पीड़िता के गांव बूलगढ़ी पहुंची और छानबीन शुरु कर दी। इनके साथ एक फॉरेंसिक टीम भी है, जो मौका-ए-वारदात से सबूत इकट्ठे करने की कोशिश कर रही है। पीड़िता के भाई को भी क्राइम सीन पर लाया गया है और घटनास्थल पर क्राइम सीन रिक्रिएट करके सबूत इकट्ठा करने की कोशिश की जाएगी। जांच अधिकारी तमाम छानबीन की वीडियो रिकॉर्डिंग भी करवा रहे हैं। उधर सीबीआई (CBI) के आने से पहले ही हाथरस पुलिस ने घटनास्थल को अपने घेरे में ले लिया और किसी को भी उसके आसपास फटकने नहीं दिया जा रहा है।
अब तक सीबीआई ने स्थानीय पुलिस स्टेशन से केस से जुड़े कागजात इकट्ठे कर लिए हैं। साथ ही मामले के मुख्य आरोपी संदीप के खिलाफ आईपीसी की धारा 376डी (गैंगरेप), 307 (हत्या का प्रयास) और 302 (हत्या) के साथ ही एससी-एसटी ऐक्ट की धारा 3 के तहत केस दर्ज किया है।

कोर्ट में क्या हुआ?
इससे पहले सोमवार को हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान पीड़ित परिवार ने अपना बयान दर्ज कराया, और आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन ने बिना उनकी सहमति के जल्दबाजी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। पीड़िता के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा के मुताबिक, हाई कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने और परिवार से अनुमति ना लेने पर फटकार भी लगाई।
पीड़ित पक्ष के वकील के मुताबिक, परिवार ने कोर्ट से मांग की है कि सीबीआई की रिपोर्ट को गोपनीय रखी जाए, केस को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर किया जाए और जब तक मामला पूरी तरह से खत्म नहीं होता तब तक परिवार को सुरक्षा प्रदान की जाए। परिवार की ओर से जो आरोप लगाए गए हैं, उनपर अब दो नवंबर से बहस शुरू होगी। दूसरी ओर 15 अक्टूबर को इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई होनी है, जहां यूपी सरकार की ओर से परिवार की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जाएगी।

क्या पीड़िता को मिलेगा न्याय?
हाथरस कांड में शुरुआत से ही ये बात साफ हो गई थी कि इस मामले को प्रशासन ने जितना दबाने की कोशिश की, मामला उतना ही बेकाबू होता गया। प्रशासन के खिलाफ जनाक्रोश बढ़ता गया और पीड़िता के साथ देश भर के लोगों की संवेदनाएं जुड़ गई। इस दौरान मीडिया और राजनीतिक पार्टियों ने भी काफी हो-हल्ला मचाया। मामले को बढ़ता देख योगी सरकार ने कड़े फैसले लेते हुए कुछ अधिकारियों को सस्पेंड किया, और खुद ही एसआईटी जांच और फिर सीबीआई (CBI) को जांच की अनुशंसा भेजी। फिलहाल बीजेपी ये मानकर चल रही है कि हाथरस केस में योगी सरकार और पुलिस की जिस तरह से किरकिरी हुई है, सीबीआई की जांच रिपोर्ट से उसकी भरपाई हो पाएगी और उनकी खोई साख वापस मिल जाएगी। लेकिन जनता का विश्वास फिर से हासिल करना इतना आसान भी नहीं होगा।
सीबीआई (CBI) के सामने मुश्किलें
वैसे, इस मामले में सच्चाई की तह तक पहुंचना सीबीआई (CBI) के लिए भी आसान नहीं। इसकी वजह ये है कि इस केस में यूपी पुलिस की तरफ से भारी लापरवाहियां हुई हैं। उदाहरण के लिए –
- सबसे बड़ी लापरवाही इस केस की जांच में हुई देरी है। घटना के 72 घंटे गुजर जाने तक भी हाथरस पीड़िता की मेडिकल जांच नहीं हुई।
- युवती के साथ रेप के 11 दिन बाद सैंपल लिए गए थे जबकि सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक घटना के 96 घंटे तक ही फरेंसिक सबूत मिल सकते हैं।
- इतनी देरी की वजह से ही फरेंसिक रिपोर्ट में ना तो सीमन मिला और ना ही रेप को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हो सका।
- केस की शुरुआती जांच में किसी महिला पुलिस अधिकारी को इंचार्ज नहीं बनाया गया था, जो कि रेप के मामलों में अनिवार्य होता है। इसके पीछे वजह यह है कि यूपी पुलिस इसे रेप केस मामने को तैयार ही नहीं थी।

क्या हो सकते हैं सबूत?
पीड़िता के पक्ष में सबसे मजबूत सबूत है, वो वीडियो, जिसमें 22 सितंबर को मौत से पहले पीड़िता ने बयान दिया है और गैंगरेप का आरोप लगाया है। इसके अलावा चारों आरोपियों से पूछताछ से भी सच्चाई सामने आ सकती है। आपको बता दें कि यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद, कोर्ट से आरोपियों की कस्टडी बिना मांगे ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मुख्य आरोपी संदीप 20 सितंबर को गिरफ्तार हुआ था, जबकि बाकी तीन आरोपी 23 से 27 सितंबर के बीच गिरफ्तार हुए थे। वहीं घटनास्थल पर मिले फोरेंसिक सबूतों के आधार पर भी केस को मजबूत बनाया जा सकता है।
अब अपने अगले कदम में सीबीआई (CBI) कोर्ट से चारों आरोपियों की कस्टडी की मांग करेगी और उनसे पूछताछ करेगी। सीबीआई (CBI) आरोपियों के साथ ही पीड़िता के परिवार से भी पूछताछ कर सकती है। पीड़िता की मां मामले की मुख्य गवाह हैं, इसलिए सीबीआई इनसे मैजिस्ट्रेट के सामने बयान देने को भी कह सकती है।

क्या सीबीआई (CBI) पर भरोसा कर सकते हैं?
ऐसे माहौल में जहां सीबीआई (CBI) की साख और कार्यशैली पर लगातार प्रश्नचिन्ह लगते रहे हों, वहां ये सवाल उठना स्वाभाविक है। इस बारे में फिलहाल इतना ही कहा जा सकता है कि योगी सरकार इस मामले में अपनी साख पर कोई बट्टा लगने देना नहीं चाहती। वहीं इसकी जांच कर रही सीबीआई (CBI) टीम की प्रमुख सीमा पाहुजा हैं, जो सीबीआई (CBI) की गाजियाबाद यूनिट की डीएसपी स्तर की अधिकारी हैं। वह इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश में नाबालिग बच्ची के साथ रेप जैसे कई चर्चित मामलों को देख चुकी हैं। उनके साथ सेंट्रल फरेंसिक साइंस लैब से एक टीम भी बूलगढ़ी पहुंची है। ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि ये महिला अधिकारी ईमानदारी से अपना काम करेंगी और….बिना किसी दबाव में आये, पीड़िता को न्याय दिलाने की हर संभव कोशिश करेंगी।