अब महंगा हो सकता है FASTag
बैंकों ने फास्टैग के जरिये होने वाले टोल भुगतान के एवज में अपना मार्जिन बढ़ाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है. बैंकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को पत्र लिखकर फास्टैग प्रोजेक्ट मैनेजमेंट फीस बढ़ाने की बात कही है. इंडियन बैंक एसोसएिशन ने एनएचएआई और सड़क परिवहन मंत्रालय को भेजी अपनी सिफारिश में कहा है कि बैंकों के हितों को देखते हुए पीएमएफ़ की पुरानी दर को ही बहाल किया जाए.
बैंकों को टोल पर हर भुगतान के लिए कुल राशि का 1.5 फीसदी पीएमएफ़ मिलता था. लेकिन, एनएचएआई ने अप्रैल, 2022 से इस राशि को घटाकर 1 फीसदी कर दिया है. एसोसिएशन ने कहा कि पीएमएफ़ की पुरानी दर को कम से कम दो साल के और लागू किया जाना चाहिए और इसमें 31 मार्च, 2024 के बाद ही बदलाव किया जाए. सरकार ने जबसे देश के सभी टोल प्लाजा पर फास्टैग से टोल वसूली अनिवार्य बनाया है, इसके जरिये भुगतान में बड़ा उछाल दिखा है. जब कोई वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है तो बैंक ऑटोमेटिक तरीके से उसके फास्टैग के जरिये टोल कर भुगतान करते हैं.
इस सेवा के लिए बैंक शुल्क भी लेते हैं. अभी टोल प्लाजा पर होने वाले कुल भुगतान में 95 फीसदी हिस्सेदारी फास्टैग की रहती है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बैंकों का मार्जिन दोबारा बढ़ाया जाता है तो काफी संभावना है कि फास्टैग इस्तेमाल करने का शुल्क भी और बढ़ सकता है. बैंकों ने आईबीए के जरिये भेजी सिफारिश में कहा है कि इंटरचेंज फीस में कटौती की वजह से उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है.
Now FASTag can be expensive