अब NCP की बारी? शरद पवार के साथ भी खेला कर सकते हैं देवेंद्र फडणवीस
ढाई साल पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार महाराष्ट्र और देश की गैर-भारतीय जनता पार्टी की राजनीति के शिखर पर थे। भाजपा को महाराष्ट्र की सत्ता से बाहर रखने पर शरद पवार की खूब सराहना की गई। पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र विकास अघाड़ी को लेकर चिंता जताई जा रही है। लोगों का ज्यादातर ध्यान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सियासी भविष्य पर टिका है, क्योंकि उनकी पार्टी टूट गई है। आगे भी बिखराव की संभावना है।
वहीं शरद पवार का भाग्य भी उतना ही अस्पष्ट है। पवार के सामने अपनी पार्टी के भविष्य, उसके नेतृत्व और अपनी विरासत को लेकर कई सवाल हैं। सत्ता से जाने के बाद पवार को अपनी पार्टी और अपनी विरासत की रक्षा के लिए कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ेगा। एनसीपी के कई नेताओं ने स्वीकार किया है कि पार्टी का नेतृत्व पार्टी को विभाजित करने और अपने कुछ शीर्ष नेताओं को लुभाने के लिए भाजपा द्वारा एक नए प्रयास के लिए तैयार है। शिवसेना को सफलतापूर्वक तोड़ने के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही है कि भाजपा पवार की एनसीपी पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकती है।
एमवीए सरकार में एनसीपी के दो मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख महीनों से जेल में हैं। ईडी पहले ही एनसीपी नेता एकनाथ खडसे की कथित मनी लॉन्ड्रिंग के लिए संपत्तियों को कुर्क कर चुकी है। आयकर ने पिछले साल कर चोरी के आरोप में अजीत पवार से जुड़े व्यवसायों पर छापा मारा था। एनसीपी के पूर्व मंत्री हसन मुश्रीफ पर भी उनसे जुड़ी एक चीनी मिल में गड़बड़ी और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं।
जानकारी के मुताबिक, शिंदे सरकार के शपथ लेने के कुछ ही घंटों बाद अजित पवार के करीबी एनसीपी नेता धनजय मुंडे ने गुरुवार देर रात फडणवीस के साथ बैठक की। मुंडे राज्य में बड़े ओबीसी नेता हैं। महाराष्ट्र विधान परिषद में एक आक्रामक नेता के तौर पर उनकी अपनी पहचान है। पहले भी विपक्ष में रहते हुए उनके और फडणवीस के मधुर संबंधों की खूब चर्चा होती थी।
कई लोगों को डर है कि बीजेपी फिर से अजीत पवार पर दांव खेल सकती है। 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद दो दिनों तक चलने वाली अल्पमत सरकार के दौरान उनके खिलाफ कुछ मामलों को बंद कर दिया गया था। आयकर विभाग की नजर भी पवार पर है। पिछले साल उनके ठिकानों पर कई छापे मारे हैं। शरद पवार के बाद अजीत पवार और सुप्रिया सुले के बीच प्रतिद्वंद्विता के भड़कने की संभावना है। ये सभी पार्टी के अस्तित्व के सवाल खड़े करते हैं।
Now NCP’s turn? Devendra Fadnavis can also play with Sharad Pawar