अब सांसदों की सैलरी में होगी 30 फीसद की कटौती
संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पारित हो गया। कोरोना संक्रमण के दौरान देश में अर्थव्यस्था की स्थिति को देखते हुए यह प्रस्ताव पेश किया गया था। दरअसल सोमवार को लोकसभा में सांसदों की वेतन कटौती वाला एक विधेयक पेश किया गया था, लोकसभा में संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लोकसभा में संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेशन संशोधन विधेयक 2020 को पेश किया था। अब यह विधेयक संसद सदस्यों के वेतन, भत्ता एवं पेंशन अध्यादेश 2020 का स्थान लेगा।
संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेशन विधेयक लोकसभा में आज पास होने के बाद एक साल तक सांसदों की सैलरी 30 फीसद कटकर मिलेगी। इस बिल का ज्यादातर सांसदों ने खुलकर समर्थन किया है। इसके साथ ही सांसदों ने सरकार से मांग की है कि सांसद निधि में कटौती न की जाए। जब यह बिल लोकसभा में पास किया जा रहा था तब चर्चा के दौरान कुछ सांसदों ने कहा कि सरकार हमारी पूरी सैलरी ले ले, लेकिन सांसद निधि पर कोई कटौती नहीं करनी चाहिए। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार इस बिल के माध्यम से सरकार हमारी पूरी सैलरी ले ले हमें कोई दिक्कत नहीं हैं और कोई भी सांसद इसका विरोध नहीं करेगा, लेकिन हमें सांसद निधि पूरी मिलनी चाहिए।
इसके साथ ही टीएमसी के एक और सांसद सौगत रॉय ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि 30 फीसदी कटौती के बजाए आप हमारी पूरी सैलरी ले सकते हैं लेकिन सांसद निधि में कोई कटौती नहीं होनी चाहिए। हम इसी के सहारे अपने क्षेत्रों में लोगों से जुड़े मुद्दों पर काम करते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से अपने वेतन में कटौती का फैसला किया है। यह रकम भारत की संचित निधि में जमा होगी। इस फैसले को कार्य रूप देने के लिए एक अध्यादेश लाया जाएगा। बाद में जब संसद का सत्र शुरू होगा तो उसमें इस बारे में कानून पारित करा लिया जाएगा।
जानें कितना मिलेगा वेतन –
यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई है संसद अधिनियम 1954 के वेतन, भत्ते और पेंशन के नवीनतम संशोधन जो 2018 में हुआ था उसके अनुसार एक सांसद की महीने की सैलेरी एक लाख है। लोकसभा के प्रत्येक सदस्य को पांच साल तक हर महीने एक लाख रुपये सैलेरी के रूप में मिलती है। राज्यसभा के सदस्य को इतनी ही सैलेरी हर महीने छह साल तक मिलती है क्योंकि राज्यसभा का कार्यकाल छह साल का होता है। इस सैलेरी के अलावा प्रत्येक सांसद को 2000 रुपये हर दिन का भत्ता भी मिलता हैं। अब सासंदों की सैलेरी एक लाख में से 30 प्रतिशत की कटौती के बाद उनको हर महीने अगले एक साल तक 70 हजार रुपये मिलेंगे।
संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेशन विधेयक लोकसभा में आज पास होने के बाद एक साल तक सांसदों की सैलरी 30 फीसद कटकर मिलेगी। इस बिल का ज्यादातर सांसदों ने खुलकर समर्थन किया है। इसके साथ ही सांसदों ने सरकार से मांग की है कि सांसद निधि में कटौती न की जाए। जब यह बिल लोकसभा में पास किया जा रहा था तब चर्चा के दौरान कुछ सांसदों ने कहा कि सरकार हमारी पूरी सैलरी ले ले, लेकिन सांसद निधि पर कोई कटौती नहीं करनी चाहिए। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार इस बिल के माध्यम से सरकार हमारी पूरी सैलरी ले ले हमें कोई दिक्कत नहीं हैं और कोई भी सांसद इसका विरोध नहीं करेगा, लेकिन हमें सांसद निधि पूरी मिलनी चाहिए।
इसके साथ ही टीएमसी के एक और सांसद सौगत रॉय ने इस बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि 30 फीसदी कटौती के बजाए आप हमारी पूरी सैलरी ले सकते हैं लेकिन सांसद निधि में कोई कटौती नहीं होनी चाहिए। हम इसी के सहारे अपने क्षेत्रों में लोगों से जुड़े मुद्दों पर काम करते हैं। इसके अलावा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से अपने वेतन में कटौती का फैसला किया है। यह रकम भारत की संचित निधि में जमा होगी। इस फैसले को कार्य रूप देने के लिए एक अध्यादेश लाया जाएगा। बाद में जब संसद का सत्र शुरू होगा तो उसमें इस बारे में कानून पारित करा लिया जाएगा।
जानें कितना मिलेगा वेतन –
यह कटौती 1 अप्रैल 2020 से लागू हुई है संसद अधिनियम 1954 के वेतन, भत्ते और पेंशन के नवीनतम संशोधन जो 2018 में हुआ था उसके अनुसार एक सांसद की महीने की सैलेरी एक लाख है। लोकसभा के प्रत्येक सदस्य को पांच साल तक हर महीने एक लाख रुपये सैलेरी के रूप में मिलती है। राज्यसभा के सदस्य को इतनी ही सैलेरी हर महीने छह साल तक मिलती है क्योंकि राज्यसभा का कार्यकाल छह साल का होता है। इस सैलेरी के अलावा प्रत्येक सांसद को 2000 रुपये हर दिन का भत्ता भी मिलता हैं। अब सासंदों की सैलेरी एक लाख में से 30 प्रतिशत की कटौती के बाद उनको हर महीने अगले एक साल तक 70 हजार रुपये मिलेंगे।