लेह में क्या कर रहे हैं पीएम मोदी?

भारत-चीन तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हालात का जायजा लेने के लिए आज खुद लेह पहुंच गये। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी मौजूद रहे। हालांकि, पहले के तय कार्यक्रम के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह का दौरा करने वाले थे, लेकिन किसी कारण से उनका कार्यक्रम रद्द हो गया।

लद्दाख के इस सरप्राइज विजिट में प्रधानमंत्री मोदी सुबह-सुबह सूरज उगने से भी पहले नीमू की फॉरवर्ड पोस्ट पर पहुंचे। आपको बता दें कि नीमू पोस्ट समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है, जिसे दुनिया की सबसे ऊंची और खतरनाक पोस्ट में से एक माना जाता है। यहां प्रधानमंत्री मोदी ने वायु सेना, थल सेना और ITBP के जवानों से मुलाकात की और हालात का जायजा लिया। इस दौरान सेना के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मोर्चे पर जमीनी हकीकत की जानकारी दी। पीएम मोदी के साथ CDS बिपिन रावत के अलावा सेना प्रमुख एम.एम. नरवणे भी लेह में मौजूद हैं। पिछले दो महीने में चीन के साथ सैन्य और डिप्लोमेटिक स्तर पर कई लेवल की बात हो गई है, लेकिन इसमें अभी तक कोई ठोस सफलता कामयाबी नहीं मिली है।

सेना को संबोधन
नीमू में प्रधानमंत्री ने सेना, वायुसेना और आईटीबीपी के जवानों से बात की और फिर 26 मिनट का संबोधन दिया। आईये आपको बताते हैं उनके इस संबोधन की खास बातें –
- आज जिस कठिन परिस्थिति में आप देश की हिफाजत करते हैं, उसका मुकाबला पूरे विश्व में कोई नहीं कर सकता। आपका साहस उस ऊंचाई से भी ऊंचा है, जहां आप तैनात हैं। आपका निश्चय उस घाटी से भी सख्त है, जिसे आप रोज कदमों से नापते हैं। आपकी इच्छाशक्ति आसपास के पर्वतों जैसी अटल है।
- मैं आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं। मैं गलवान घाटी में शहीद हुए जवानों को भी फिर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज हर देशवासी का सिर आपके सामने आदरपूर्वक नतमस्तक होकर नमन करता है।
- लद्दाख का पूरा हिस्सा भारत का मस्तक है। 14वीं कोर की जांबाजी के किस्से तो हर तरफ हैं। दुनिया ने आपका अदम्य साहस देखा है, जाना है। आपकी शौर्य गाथाएं घर-घर में गूंज रही हैं। आप उसी धरती के वीर हैं, जिसने कई आक्रांताओं के हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया है।
- हम वो लोग हैं, जो बांसुरीधारी कृष्ण की पूजा करते हैं, हम वही लोग हैं जो सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण को आदर्श मानकर चलते हैं। इसी प्रेरणा से भारत हर आक्रमण के बाद और सशक्त बनकर उभरा है।
- विस्तारवाद का युग खत्म हो चुका है। ये युग विकासवाद का है। तेजी से बदलते हुए वक्त में विकासवाद ही प्रासंगिक है। इसी के लिए अवसर हैं। विकासवाद ही भविष्य का आधार भी है।
- बीती शताब्दियों में विस्तारवाद ने ही मानवता का विनाश करने का प्रयास किया। विस्तारवाद की जिद जब किसी पर सवार हुई, उसने हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा किया है। इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मुड़ने के लिए मजबूर हो गई हैं। आज पूरे विश्व ने विस्तारवाद के खिलाफ मन बना लिया है।
- भगवान गौतम बुद्ध ने कहा है कि साहस का संबंध प्रतिबद्धता से है। साहस करुणा है। साहस वो है, जो हमें निर्भीक और अडिग होकर सत्य के पक्ष में खड़े होना सिखाए। साहस वो है, जो हमें सही को सही कहने और करने की ऊर्जा देता है। देश के वीर सपूतों ने गलवान घाटी में जो अदम्य साहस दिखाया, वो पराक्रम की पराकाष्ठा है।

मोदी के दौरे के मायने
मोदी का यह दौरा ना सिर्फ सैनिकों के मनोबल के लिए, बल्कि चीन के लिए बड़ा संदेश है। विदेश मामलों के जानकारों के मुताबिक प्रधानमंत्री के खुद लद्दाख पहुंचने से चीन को ये साफ संदेश जाएगा कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी छोड़नेवाला नहीं है। वहीं, सीमा पर विपरीत परिस्थितियों में, जान को जोखिम में डालनेवाले सैनिकों के लिए प्रधानमंत्री का ये दौरा उनके जोश को बढ़ानेवाला है। साथ ही इससे ये संदेश भी जाता है कि वो सीमा पर अकेले खड़े नहीं हैं…. पूरा देश, पूरी सरकार उनके साथ खड़ी है। वहीं चीनी सैनिकों के लिए ये खबर मनोबल गिराने वाली साबित होगी। दूसरा फायदा ये है कि सीमा पर स्थित संभालने के मामले में विपक्ष की आलोचना झेल रहे पीएम मोदी को इस कदम से थोड़ी राहत मिलेगी।