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फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

कोरोना जरुर पढ़ें

फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

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हमारे यहां दो हजार की आबादी पर अस्पताल में एक बिस्तर है, एशियाई देशों में ये सिर्फ नेपाल से ज्यादा है, अफगानिस्तान के बराबर… पाकिस्तान से कम, बांग्लादेश का आधा, भूटान का एक चौथाई, श्रीलंका से सात गुना कम और मालदीव से दस गुना कम।

हमारे यहां  हजार की आबादी पर एक से कम डॉक्टर हैं, मालदीव में हमसे दोगुने ज्यादा डॉक्टर हैं।

हमारे यहां दो हजार की आबादी पर तीन नर्सें हैं। नेपाल में पांच और मालदीव में 14 हैं।

अब  हमने कोरोना के खिलाफ क्या हासिल किया है ये देखिए

हमारे यहां पेशेंट रिकवरी रेट अभी 42% के करीब है..जो लॉकडाउन 1 के वक्त 7.1%, लॉकडाउन 2 के समय 11.42%, लॉकडाउन 3 के दौरान 26.59%, और लॉकडाउन 4 की शुरूआत में 38% था।

हमारे यहां पेशेंट मोर्टालिटी रेट 3% के करीब है जो बाकी दुनिया के 6% की आधी है।

जो कहीं नहीं हो रहा, वो हो रहा है इंडिया में, हमारे पास एक अदृश्य सेना है, जो हर रोज कोरोना के खिलाफ लड़ रही है।

डॉ.तृप्ति गिलाडा, मसीना अस्पताल, मुंबई

डॉ. तृप्ति गिलाडा मुंबई के मसीना अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज कर रही हैं। तृप्ति जल्द ही मां बनने वाली हैं, लेकिन होने वाले बच्चे और खुद का ध्यान रखने के बजाए वो कोरोना मरीजों के इलाज के बड़े जोखिम वाले काम में लगी हैं। महाराष्ट्र खास कर मुंबई में हालात बेहद मुश्किल हैं, लेकिन फिर भी पेशेंट डबलिंग रेट एक महीने में दो दिन से बढ़कर 14 दिन हो गया है।

दिल्ली के कई अस्पतालों में रेसीडेंट डाक्टर हैं जो दो महीने से घर नहीं गए, अपनी कार में सो रहे हैं, वीकली ऑफ नहीं ले रहे। नतीजा ये है कि दिल्ली में मोर्टालिटी रेट 1.59 है, जो ब्रुसेल्स से 14 गुना, लंदन से 13 गुना कम है। ये बर्लिन से भी कम है जिसे  कोरोना के इलाज के मामले में दुनिया का सबसे बेहतरीन मॉडल करार दिया गया था।

हमारे देश में दुनिया के सबसे बेहतरीन डॉक्टर हैं। भारतीय मूल के लोग जो अभी अमेरिका, यूरोप और मिडल ईस्ट में रह रहे हैं, वो भारत आने के लिए बेताब हैं। उन्हें लगता है कि वो भारत आ जाएंगे तो यकीनन  बच जाएंगे…वो भी इलाज में एक रुपया खर्च किए बगैर।

हमारे देश को खास बनाते हैं  वो लोग, जो प्रचार नहीं करते, लेकिन उनके दिल में देश धड़कता है।

नेशनल लॉ स्कूल बंगलुरू के स्टूडेंट्स ने चार्टर्ड प्लेन से मजदूरों को भेजा झारखंड-सौजन्य एनडीटीवी

नेशनल लॉ स्कूल के छात्रों ने मुंबई में फंसे झारखंड के लोगों के लिए क्राउडफन्डिंग करके पैसे जमा किए, एयर एशिया की एक चार्टर्ड  फ्लाइट बुक की और करीब 177 लोगों को दो घंटे में मुंबई से रांची पहुंचा दिया। इस प्लेन में ज्यादातर मुसाफिर ऐसे थे जिन्होंने पहली बार हवाई जहाज की सवारी की थी।

पांच साल की अरष्या ने पांच लाख जुटाए

दिल्ली की अरण्या दत्त बेदी महज पांच साल की है। उसने अपने पिग्गी बैंक की सारी रकम कोरोना मरीजों के इलाज के लिए दे दी। फिर उसने एक किताब लिखी Be calm with coronavirus’- इसमें बच्चों को कोरोना से बचने के ऊपाय बताए गए हैं। पांच साल की इस बच्ची ने किताब की बिक्री से करीब पांच लाख की रकम हासिल की और ये रकम कोरोना मरीजों के इलाज के लिए दान कर दी।

नुुपुर तिवारी, HealTokyo

नुपुर तिवारी जापान के मित्सुबिशी में काम करती हैं ऑफिस स्ट्रेस की वजह से सुसाइड करने वालों की काउन्सिंग के लिए उन्होंने HealTokyo अभियान चलाया जो बहुत मशहूर हुआ। अब नुपुर योगा और काउन्सेलिंग का फ्री और पेड ऑनलाइन सेशन कर रही हैं। इसकी सारी कमाई वो PM-CARES fund में जमा करती हैं।

 

थोड़ी हममें सच्चाई है, थोड़ी बेइमानी

फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

ये आपकी चॉइस है भीड़ बनो या कबीर बनो

 

 

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3 Comments

  1. alok kumar May 29, 2020

    nice presentation……yes people of India are great patriotic and there are many selfless people all around which make us a country of proud.

    Reply
    1. Ashish May 29, 2020

      Many thanks

      Reply
  2. alok kumar May 29, 2020

    nice presentation

    Reply

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