एक सर्वमान्य, सर्वादरणीय राष्ट्रपति!
27 जुलाई को भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम (1931-2015) की पुण्यतिथि है। महान वैज्ञानिक भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने में अटलजी ने अहम भूमिका निभायी थी। लेकिन उनके नाम का सुझाव मुलायम सिंह यादव का था। सोनिया गांधी और विपक्ष के अधिकतर नेताओं ने भी इसमें सहमति दी थी। उनको भारत रत्न से सम्मानित करने में भी मुलायम सिंह का खासा योगदान था।
भारत के राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 की अवधि में उन्होंने शानदार सेवाएं दीं। इस शिखर पद से विदाई के बाद भी आखिरी सांस तक वे सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे। बच्चों और युवाओं को प्रेरणा देने के लिए लगातार काम करते रहे।
देश के सबसे बड़े ओहदे पर पहुंचने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे। भारत को परमाणु मामलों और मिसाइल तकनीक में ताकतवर बनाने में उनका अनूठा योगदान था। 1980 में रोहिणी-1 की सफ़ल लॉन्चिंग के बाद उन्होंने रॉकेट और बैलिस्टिक मिसाइल के क्षेत्र में भारत का नाम रौशन किया। उनकी शानदार सेवाओं के नाते ही 1981 में उन्हें पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
1992 से 1999 के दौरान डीआरडीओ के सचिव के रूप में उन्होंने देश को रक्षा मामलों में आत्मनिर्भर बनाने में अनूठी भूमिका निभायी। पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में भी उनकी अहम भूमिका थी। 1997 में डॉक्टर कलाम को देश के सर्वोच्च सम्मान… भारत रत्न से नवाजा गया।
सक्रिय राजनीति से उनका कभी कोई ताल्लुकात नहीं रहा। फिर भी राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित हुआ तो विपरीत राजनीतिक धाराएं भी उनके नाम पर सहमत थीं। 2002 में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के एक साल के भीतर ही उन्होंने 22 राज्यों का दौरा किया। सरहद पर तैनात सैनिकों से लेकर आम लोगों का सुख-दुख करीब से देखा। उनके प्रयासों से राष्ट्रपति भवन देश का नंबर वन इको फ्रेंडली भवन बना।
डॉ. कलाम युवा और विद्यार्थी वर्ग में सबसे लोकप्रिय रहे और गांव-गिरांव, वैज्ञानिक और तकनीकी पक्ष के साथ गरीबों पर उनका खास ध्यान रहा। उन्होंने मुगल गार्डन में देश के तमाम किसानों की बुला कर उनकी समस्याओं की पड़ताल की। उन्होंने तमाम परपंराओं को तोड़ा और किफायत के साथ रहे। राष्ट्रपति भवन में होने वाली इफ्तार पार्टी को रद्द कर उसका पैसा उन्होंने अनाथालयों में भिजवा दिया। बच्चों का विकास और शिक्षा हमेशा उनके एजेंडे में रहा। तमाम व्यस्तताओं के बीच भी वे बच्चों के हर पत्र का जवाब खुद देते थे।
अरविंद कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक