NCB क्या कर Rhea है ?
बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है…कृषि बिल के खिलाफ किसान देश भर में चक्का जाम कर रहे हैं, देश में कोरोना के मामले 58 लाख के पार चले गए हैं, फिर भी इस वक्त की सबसे अहम खबर ये है कि – NCB क्या कर Rhea है ?
इसके साथ ही ….एक सवाल है ….अगर सुशांत की मौत न होती और बिहार में चुनाव न होता, तब भी क्या बॉलीवुड में ड्रग्स होता ?
कभी-कभी किसी बात को समझाने का सबसे आसान तरीका ये है कि बात आखिरी वाक्य से शुरू की जाए। सिर्फ राजनीति में ये ताकत है कि वो शिकार को शिकारी की तरह पेश कर सकती है। बिहार चुनाव में रिया का जेल जाना तय था, such a girl was needed, and such a girl was found. अगर रिया न होती तो हमारे देश की राजनीति और मीडिया ने एक रिया पैदा कर ली होती।
Rhea न होती, तो जांच एजेंसियों का क्या होता ?
रिया चक्रवर्ती सिर्फ 28 साल की है और एक मिडल क्लास परिवार से है। 8 जून को वो आखिरी बार सुशांत से मिली थी। अगले छह दिन यानी 14 जून को उनकी मौत तक, सुशांत की बहन उनकी देखभाल कर रही थी। अब केंद्र सरकार की चार सर्वोच्च जांच एजेंसिया रिया से पूछताछ कर रही हैं। CBI उऩसे सुशांत की मौत को लेकर, ED उनसे मनी लांडरिंग को लेकर और NCB उऩसे ड्रग्स एंगल को लेकर पूछताछ कर रही है। अब केंद्र सरकार ने पहली बार खास सुशांत मामले के लिए आतंकवाद की जांच करने वाली सर्वोच्च एजेंसी NIA को ड्रग्स मामले की जांच का अधिकार दिया है।
Rhea को जेल भेजने के लिए NCB इतनी बेकरार क्यों ?
सुशांत मौत के ड्रग एंगल की जांच के सिलसिले में NCB ने 59 ग्राम गांजा जब्त किया और रिया समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया। ये मात्रा इतनी कम है कि इसमें आरोपी को आसानी से जमानत मिल सकती थी। लेकिन इस केस में जो बात शायद आप नहीं जानते वो ये कि NCB के इतिहास में पहली बार इस तरह के छोटे ड्रग सीजर मामले में एक आरोपी पर धारा 27A लगाई गई है। 27A को आप NDPS एक्ट का UAPA समझ सकते हैं। 27A में तब तक जमानत नहीं मिल सकती, जब तक कि अदालत पब्लिक प्रोसीक्यूटर की दलील न सुन ले। 27A कितनी सख्त धारा है, इसे इस तरह समझिए कि अगर किसी ड्रग पेडलर के पास दस किलो गांजा जब्त होता है तब भी उस पर आम तौर पर 27A नहीं लगाया जाता। ये धारा तब लगाई जाती है जब जांच एजेंसी एक मामूली ड्रग एडिक्ट से लेकर उसे ड्रग पहुंचाने वाले पेडलर से लेकर उसे एक या कई राज्यों में पहुंचाने और बेचने वाले पूरे सप्लाई चेन को पकड़ लेती है। मतलब ये हुआ कि NCB को लगता है कि रिया सिर्फ सुशांत को नहीं पूरे मुंबई शहर में ड्रग सप्लाई करने वाले नेटवर्क को फाइनांस करती थी। NCB के ये मानने भर से जरूरी नहीं है कि हाईकोर्ट इस राय से इत्तेफाक रखे। लेकिन अगर हाईकोर्ट को NCB की दलील में दम लगा तो रिया के लिए बहुत लंबे अरसे तक जेल से बाहर आना मुश्किल होगा। हाईकोर्ट में अपनी जमानत याचिका में रिया ने दावा किया है
सुशांत सिंह राजपूत ड्रग्स खास तौर पर गांजा का सेवन करते थे और वो तब से इसका सेवन कर रहे थे, जब वे दोनों संबंध में भी नहीं थे। कभी-कभी वो उनके लिए ‘कम मात्रा में ड्रग्स की खरीद भी करती थीं और कई अवसरों पर उन्होंने इसके लिए भुगतान भी किया।’ लेकिन वह खुद ड्रग्स नहीं लेती, न वो किसी ड्रग्स गैंग की मेंबर है। उसका इल्जाम है कि CBI और ED उसके खिलाफ सबूत जुटाने में असफल रही और तब NCB को उसे और उसके परिवार को फंसाने के लिए लाया गया। उसे NDPS की धारा 27-A के तहत गलत तरीके से फंसाया गया है। जब उसके पास से कोई ड्रग्स जब्त नहीं किया गया और NCB सभी आरोपियों के पास से सिर्फ 59 ग्राम मादक पदार्थ जब्त करने में सफल रही तो उसको जमानत से बाहर नहीं आने देने के मकसद से उस पर 27-A लगाया गया। रिया का ये भी इल्जाम है कि उससे पूछताछ के दौरान साथ में महिला अधिकारी नहीं थी।
उसके वकील का दावा है कि रिया ने किसी एक्ट्रेस का नाम NCB के सामने नहीं लिया है।
इसके पहले महाराष्ट्र के 8 वरिष्ठ IPS अपसरों की PIL पर 3 और 10 सितंबर को मुंबई हाईकोर्ट ने मीडिया को रिया मामले में रिपोर्टिंग मे संयम बरतने का आदेश दिया था। कानून की नजर में हर मुल्जिम बेकसूर है जब तक कि उसका जुर्म अदालत में साबित नहीं हो जाता, लेकिन सियासी नैरेटिव को पुख्ता करने के दबाव में जांच एजेंसियों के द्वारा लीक से लैस, हमारा मीडिया जांच एजेंसी की तरह जांच कर रहा है और अदालत की तरह फैसला सुना रहा है।
इसको क्रोनोलॉजी से समझिए। 14 जून को सुशांत की मौत के बाद ये नैरेटिव… डिप्रेशन से शुरू हुआ ..फिर बात उठी कि डिप्रेशन हुआ क्यों …जवाब मिला…बॉलीवुड में नेपोटिज्म है, इससे डिप्रेशन में आए सुशांत…ये नेपोटिज्म करने वाले हैं कौन ? फिर कंगना दीदी ने कहा- बॉलीवुड माफिया- अब निशाने पर करण जौहर और महेश भट्ट जैसे किरदार आ गए … कंगना के मुताबिक इनके द्वारा सुशांत का कतरा-कतरा दिमाग तोड़ा गया- अब सुशांत की खुदकुशी हत्या में तब्दील हो चुकी थी …. सुशांत की हत्या- और दिशा साल्यान सुसाइड में साजिश की तलाश शुरू हुई- दिशा के पिता के हाथ जोड़ने के बाद एकाएक शक की सुई मनी लान्डरिंग की ओर घूम गई – कहा गया कि … 40 करोड़ से घट कर सुशांत के खाते में सिर्फ 1.5 करोड़ रह गए थे ..यानी पैसों के लिए सुशांत की हत्या हुई …. जैसे ही पता चला कि रिया के खाते में सुशांत के अकाउन्ट से कोई रकम ट्रांसफर नहीं हुई वैसे ही एक सुपरनेचुरल एंगल मीडिया ले आया –अब सुशांत की आत्मा से पारानार्मल एक्सपर्ट स्टीव की बात हुई .. इसके बाद कहा गया कि रिया सुशांत को भूत प्रेत की कहानियां सुनाया करती थी- अब कहानी काले जादू की थी – फिर महाराष्ट्र बनाम बिहार- सीबीआई केस- नकारा महाराष्ट्र पुलिस बनाम फर्ज पर कुर्बान बिहार पुलिस की शुरू हुई। इसके बाद कहानी में तीखा मोड़ आया जब मुखौटा उतार कर बीजेपी “न भूले हैं न भूलने देंगे” का पोस्टर लेकर मैदान में उतर गई — – बिहार पुलिस डीजीपी का रिया की औकात वाला बयान – कंगना बनाम सेना – पिक्चर अभी बाकी है
Rheaमीडिया ट्रायल में गलत क्या है ?
NCB से लीक कबूलनामे को सबूत की तरह पेश करने वाला मीडिया इस बात से अनजाम है कि 4 सितंबर 2019 को mohd Fasrin versus state मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक ….जब तक अदालत संतुष्ट नहीं हो जाती कि ये कबूलनामा आरोपी ने अपनी मर्जी से दिया है और इसे दर्ज करते वक्त उसे अपने कानूनी हक बताए गए थे, तब तक इसे सबूत नहीं माना जाएगा।
इसी तरह व्हाट्सएप चैट को सबूत बताते वक्त मीडिया ये नहीं बताता कि अदालत में इसे प्राइमरी एवीडेंस नहीं माना जाता। यानी किसी एक्टर के ड्रग्स लेने के सबूत के तौर पर NCB के पास अगर दिखाने को ड्रग्स नहीं है और सारा केस सिर्फ चैट पर टिका है तो ये अदालत की मर्जी है कि वो section 65B of the Evidence Act of 1872 के तहत इसे मान ले या खारिज करे।
अगर आप बॉलीवुड में ड्रग्स को लेकर देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी NCB की जांच से बहुत संतुष्ट हैं तो आपको ये जरूर जानना चाहिए कि जहां मुंबई NCB 59 ग्राम गांजा जब्त कर अपनी पीठ खुद थपथपा रही है, वहीं हालिया मामलों को देखें तो देश में ड्रग्स की जब्ती में NCB से कहीं ज्यादा बड़ी उपलब्धियां कस्टम एक्ट के उल्लंघन पर नजर रखने वाली DRI– Directorate of Revenue Intelligence की रही है।
एक बार फिर आपको बताएं कि ये कहानी सुशांत को इंसाफ दिलाने की मुहिम से शुरू हुई थी। इस गुनाह के लिए किसी को सजा मिलनी बाकी है, लेकिन अब तक टीवी चैनलों और सोशल मीडिया की इस मुहिम ने सुशांत को मानसिक रोगी और नशेड़ी साबित कर दिया है…और क्योंकि सुशांत अब नहीं हैं, लिहाजा वो अपनी सफाई भी पेश नहीं कर सकते.. ऐसी संभावना है कि सीबीआई की जांच में उनकी हत्या की जगह खुदकुशी की बात सामने आए। ऐसे में इस मुहिम का हासिल क्या रहा..आप खुद ही सोचिए। इसके साथ ही सच शायद ये भी है कि अगर आज शिवसेना बीजेपी से गठबंधन करके सरकार बना ले तो मुंबई पुलिस एक बार फिर देश की सबसे अच्छी पुलिस बन जाएगी और बॉलीवुड से ड्रग्स भी खत्म हो जाएगा
NCB क्या कर Rhea है ?
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