कांग्रेस की दांडी यात्रा से सचिन पायलट ने बनाई दूरी, फिर अटकलों का बाजार हुआ तेज

राजस्थान कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कांग्रेस की दांडी यात्रा से दूरी बना ली है। जबकि पायलट जयपुर में ही मौजूद थे। आज सीएम गहलोत, प्रदेश प्रभारी अजय माकन और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा जयपुर से स्पेशल विमान से रतनपुर बाॅर्डर के लिए रवाना हुए, लेकिन जयपुर में ही मौजूद सचिन पायलट ने कार्यक्रम से दूरी बना ली।
6 अप्रैल को गुजरात से शुरू हुई दांडी यात्रा ने राजस्थान में प्रवेश कर लिया है। राजस्थान-गुजरात बाॅर्डर पर डूंगरपुर में सीएम गहलोत जनसभा को संबोधित करेंगे। सभा को प्रदेश प्रभारी अजय माकन, मुकुल वासनिक और गुजरात प्रदेश प्रभारी डाॅ. रघु शर्मा भी संबोधित करेंगे। दांडी यात्रा में शामिल नहीं पर पायलट को लेकर सियासी अटकलों का बाजार एक बार फिर से गर्म हो गया है।
वर्ष 2020 में पायलट कैंप की बगावत के बाद सीएम गहलोत और सचिन पायलट एक दूसरे के कार्यक्रमों शामिल होने से दूरी बनाकर चल रहे हैं। जिस कार्यक्रम में सचिन पायलट जाते हैं उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं पहुंचते और जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत होते हैं वहां से सचिन पायलट नदारद होते है। हाल में महंगाई को लेकर राजधानी जयपुर में आयोजित प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यक्रम में सीएम गहलोत शामिल नहीं हुए थे। जबकि सचिन पायलट समेत उनके गुट के अधिकांश मंत्री धरने में शामिल हुए थे।
सिविल लाइंस फाटक पर दिए गए धरने में सचिन पायलट दिखे तो सीएम नहीं दिखे। इसके कुछ देर बाद सीएम पहुंचे तो सचिन पायलट वहां पर नजर नहीं आए। आज एक बार फिर यही हालात दिखाई दे रहे हैं। विधानसभा के बजट सत्र के समापन के दौरान सीएम गहलोत द्वारा सभी दलों के विधायकों को दिए गए डिनर में पायलट गुट के मंत्री तो शामिल हुए लेकिन पायलट शामिल नहीं हुए।
डूंगरपुर के रतनपुर बॉर्डर पर राष्ट्रीय कांग्रेस के सेवादल के आजादी की गौरव यात्रा की सभा में राजस्थान के ज्यादातर प्रमुख नेता तो मौजूद रहेंगे लेकिन उसमें सचिन पायलट नहीं रहेंगे। गुजरात के साबरमती से 6 अप्रैल को शुरू हुई दांडी यात्रा आज 15 अप्रैल को राजस्थान में प्रवेश कर गई है। दांडी यात्रा का 1 हजार 171 किलोमीटर दूरी तय कर दिल्ली के राजघाट पर समापन होगा। राजस्थान में 700 किलोमीटर तक ये यात्रा निकाली जाएगी।
Sachin Pilot made distance from Congress’s Dandi Yatra, then the market of speculation intensified