#sachin:15 nov 1989 को आप क्या कर रहे थे?
बहुत कम लोग हैं जो 31 साल पहले किसी तारीख को हुई घटना को याद रख सकते हैं। लेकिन इतिहास में कई बार एक तारीख सिर्फ दिन, महीने या साल का लेखा-जोखा नहीं होता।
16 साल और 205 दिन के सचिन रमेश तेंदुलकर ने पाकिस्तान के कराची में पहली बार टेस्ट मैच खेला। फास्ट बॉलर सलिल अंकोला का भी ये डेब्यू मैच था।
पहली इनिंग में सचिन ने 15 रन बनाए और पाकिस्तान की ओर से डेब्यू कर रहे वकार युनूस की गेद पर आउट हो गए। 24 साल बाद 15 नवंबर के ही दिन सचिन ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ अपना आखिरी मैच खेला था। मैच की पहली इनिंग में सचिन ने 74 रन बनाए। पहले टेस्ट की तरह लास्ट टेस्ट में भी सचिन को सेकेंड इनिंग में खेलने का मौका नहीं मिला।
क्रिकेट की दुनिया में एक से एक महान बल्लेबाज हुए हैं। डॉन ब्रेडमैन, विव रिचर्ड्स, बैरी रिचर्ड्स, गैरी सोबर्स और सुनील गावस्कर। सचिन सबसे अलग हैं…24 कैरेट गोल्ड। अगर आप सचिन को स्टेट ड्राइव लगाते देखें तो आपको लगेगा कि ये क्रिकेट के इतिहास का सबसे सीधा बल्ला है। इससे पहले स्टेट ड्राइव के लिए कोई बल्ला बल्लेबाज के कान के इतने पास से नहीं गुजरा था। ये शॉट इससे बेहतर खेला ही नहीं जा सकता, फिर यही बात आप उनके कवर ड्राइव, स्क्वायर कट और लेग ग्लांस को लेकर भी महसूस करते हैं।
सचिन शॉट खेलते नहीं थे, ऐसा लगता था कि वो कवर ड्राइव का आविष्कार कर रहे हैं, दिलीप सिंह की तरह लेग ग्लांस की खोज कर रहे हैं। 1989 से 2013 तक क्रिकेट की दुनिया सचिन के 200 टेस्ट और 463 वनडे का रिकार्ड बुक ही तो है।
सचिन की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि वो बल्लेबाजी की धुरी बन जाते थे। वो विरोधी टीम के गेंदबाजों को थका देते थे, उनका आत्मविश्वास कमजोर कर देते थे और इस तरह बाकी के बल्लेबाजों का काम आसान हो जाता था।
वो बिग मैच प्लेयर थे। विरोधी टीम जितनी ही मजबूत, सचिन का फॉर्म उतना ही बेहतरीन…अक्सर उनकी सबसे उम्दा पारियां, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ सामने आती थीं।
इंगलैंड के मैनचेस्टर में जब सचिन ने पहली बार टेस्ट सेंचुरी लगाई तो उन्हें शैंपेन की एक बोतल तोहफे में मिली। लेकिन क्योंकि सचिन अभी 18 के नहीं हुए थे, लिहाजा उन्हें शैंपेन पीने की इजाजत नहीं थी। सचिन ने इस शैंपेन को आठ साल तक बचा कर रखा और इसे बेटी सारा के पहले बर्थडे के मौके पर 1998 में खोला।
सचिन के डेब्यू मैच की साइड स्टोरी
सचिन के साथ उस दिन एक और प्लेयर को टेस्ट मैच में शुरूआत करनी थी। अजहर का फॉर्म लगातार खराब चल रहा था। टीम मैनेजमेंट ने अजहर की जगह रमन लांबा को खिलाने का फैसला किया। लेकिन मैच की सुबह रमन को ऊंगली में चोट लग गई और वो मैच नहीं खेल पाए।
मजबूरी में फिर अजहर को खेलने का मौका मिला। अजहर ने मैच की दोनों इनिंग में 35 रन बनाए और पांच कैच पकड़े। अगले मैच में उन्होंने सेंचुरी लगाई। अजहर एक बार फिर टीम इंडिया में परमानेंट हो चुके थे। लांबा को फिर कभी टेस्ट या वनडे खेलने का मौका नहीं मिला। इस सीरीज के खत्म होने के कुछ हफ्ते बाद राज सिंह डूंगरपुर दिलीप ट्रॉफी में साउथ जोन का एक मैच देखने स्टेडियम पहुंचे….वहां उनकी मुलाकात अजहर से हुई। डूंगरपुर ने अजहर से पूछा – मियां कैप्टन बनोगे ? तब तक अजहर ने सिर्फ चार बार फर्स्ट क्लास मैचों में कप्तानी की थी। चार टेस्ट मैच पहलेश्रीकांत की कप्तानी में अजहर का 12मैन बनना तय था, चार टेस्ट मैच बाद वो टीम इंडिया के कैप्टन के तौर पर टॉस के लिए मैदान में उतरे। आने वाले 6 साल तक टीम इंडिया की कमान उनके पास ही रहने वाली थी। ये सब वहीं से शुरू हुआ था ….कराची …1989 ….15 नवंबर