Same-Sex Relationship : स्कूल में दिखाई जाएगी ‘समलैंगिकता’ पर आधारित आठ लघु फिल्में

सर्वोच्च न्यायालया ने कलम 377 रद्द कर के समलैंगिक लोगों को नया जीवन दिया है। समलैंगिकता के बारे में समाज में जागरूकता पैदा करने और एलजीबीटीक्यू (LGBTQ ) लोगों को वह जैसे है वैसे ही स्वीकार करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। अब पश्चिम बंगाल के स्कूलों में समलैंगिकता पर बानी आठ लघु फिल्में बच्चों को इन समुदाय के प्रति जागरूक करने के लिए दिखाई जाएंगी। इन फिल्मों को ‘प्रयासम्स बॅड’ और ‘ब्युटीफुल वर्ल्ड फिल्म फेस्टिव्हल’ के लिए भी चुना गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में शिक्षण संस्थान धीरे-धीरे कोरोना वायरस के प्रकोप से उबरने लगे हैं। युवा फिल्म निर्देशकों द्वारा बनाई गयी यह लघु फिल्में जल्द ही स्कूल में छात्रों को दिखाई जाएंगी। ‘प्रयासम’ संयुक्त राष्ट्र बाल निधि (यूनिसेफ) से संबद्ध एक संगठन है। ये 8 फिल्में सलीम शेख, मनीष चौधरी, सप्तर्षि रॉय और अविजीत मरजीत जैसे युवाओं द्वारा निर्देशित हैं।
ये सभी युवा दखिंडरी, महिषाबथान, नजरूल पल्ली के निवासी हैं। यह कोलकाता में ही है। ये सभी छात्र विजुअल बेसिक्स के छात्र हैं। यह एशिया का एकमात्र बुनियादी फिल्म स्टूडियो है जिसे Adobe सपोर्ट करता है। इसका मकसद बच्चों को इस तरह की शॉर्ट फिल्म दिखाकर सर्वसमावेशक शिक्षा को बढ़ावा देना है। साथ में इसके द्वारा यह सुनिश्चित करने का भी प्रयास है कि LGBTQ युवा समाज से अलग या अवांछित महसूस न करें।
इन फिल्मों में समलैंगिकता के कई पहलू देखने को मिलेंगे। यह समलैंगिक लोगों की भावनाओं, उनके विश्वदृष्टि, उनके सामने आने वाली समस्याओं को प्रकट करेगा। उदाहरण के लिए, सलीम शेख की लघु फिल्म ‘देखा’ एक पिता और उसके समलैंगिक पुत्र की कहानी बताती है। ‘दक्खिना’ में ‘मेल एस्कॉर्ट’ की कहानी बताई गई है। उम्मीद है कि ये फिल्में LGBTQ लोगों के प्रति समाज की मानसिकता को बदलने में मदद कर पाएगी।
Same-Sex Relationship: Eight short films on ‘homosexuality’ to be screened in school