UPA का नेतृत्व राहुल गांधी के वजह शरद पवार को सौंपा जाये?
शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना के जरिए अब UPA पर निशाना साधा है। सामना में शरद पवार को UPA का नेतृत्व सौंपने की वकालत भी की गई है। इसके अलावा राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठाए गए हैं। सामना में कहा गया है कि जब तक यूपीए में सारे बीजेपी विरोधी शामिल नहीं होते, तब तक विपक्ष मोदी के सामने बेअसर ही रहेगा।
सामना में लिखा गया कि प्रियंका गांधी को दिल्ली की सड़क पर हिरासत में लिया जाता है, राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है और महाराष्ट्र सरकार को काम करने नहीं दिया जा रहा। यह लोकतंत्र के खिलाफ है। सामना में लिखा गया है कि देश का विपक्ष कमजोर है। हालिया विपक्षियों की अवस्था बंजर गांव के मुखिया का पद संभालने जैसी है।
सामना में आगे सीधे कांग्रेस का नाम लेते हुए कहा गया कि कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए नाम का एक राजनीतिक संगठन है। इस यूपीए की अवस्था फिलहाल एक एनजीओ की तरह नजर आती है। यूपीए में शामिल पार्टियां किसानों के आंदोलन को गंभीरता से लेते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार का राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग ही व्यक्तित्व है। उनके अनुभव का फायदा प्रधानमंत्री से लेकर दूसरी पार्टियां भी लेती है। आज कांग्रेस की स्थिति ऐसी पार्टी की हैं जिसके पास पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है।
सामना में कांग्रेस के अगले अध्यक्ष के चयन पर सवाल उठाया है। सोनिया गांधी यूपीए की अध्यक्ष हैं और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष। उन्होंने अभी तक यूपीए का अध्यक्ष पद बड़ी ही बखूबी तरीके से संभाला। लेकिन, इस पूरे सफर में उनका साथ देने वाले मोतीलाल वोरा हो या अहमद पटेल वे अब इस दुनिया में नहीं है। राहुल गांधी व्यक्तिगत तौर पर भले ही जोरदार संघर्ष कर रहे हो लेकिन कहीं ना कहीं कमी है।