सूर्यग्रहण: ज्योतिष या विज्ञान!
मुझे अपनी ज़िंदगी में अब तक एक ही पूर्ण सूर्य-ग्रहण की याद है…। दिन में ही अचानक अंधेरा छा गया था..। लेकिन मेरे अंदर हैरानी की ये याद अब भी है कि उससे घंटों पहले ही पक्षी खामोश हो गए थे..। ग्रहण के वक्त कुत्ते-बिल्लियां दुबक गए थे..। बंदर पेड़ छोड़कर ज़मीन पर आ गए थे और घेरा बनाकर बैठ गए थे..। जितने वक्त तक ग्रहण रहा, मानो धरती ही खामोश हो गई हो..।
अब ये तो हाई स्कूल का ज्ञान है कि सूरज ही धरती पर ज़िंदगी का पालक है..। पृथ्वी पर ऐसा कुछ नहीं होता जो मूल रूप में उससे ना जुड़ा हो..। मैं बात को ज्योतिष की ओर नहीं मोड़ रहा हूं..। हालांकि मेरी मेरी जड़ें अर्ध-आदिवासी रिवायतों से जुड़ी हैं..। हिमालय के पहाड़ तो फिर भी सालाना सेंटीमीटर-दर-सेंटीमीटर बढ़ते रहते हैं..। लेकिन ज्योतिष में पहाड़ी समाज की आस्था अडिग है..। इसके बावजूद मेरी आस्था उनमें नहीं टिक पाई, इसकी बड़ी वजह है कि इन रिवायतों की नींव शोषण पर टिकी है..।
फिर भी तर्कवाद की सीख है कि बिना पड़ताल किसी चीज़ को सिरे से खारिज करना अज्ञान से हाथ मिलाना है..। लिहाज़ा आप मानव-विकास के पन्ने पलटने पर इस बात से इनकार नहीं कर पाएंगे कि गणित का जन्म ही ज्योतिष के चलते हुआ..। ज्योतिष की मज़बूत परंपरा की वजह से ही गणित में भारत के इतने सारे योगदान हैं..। शून्य, दशमलव, त्रिज्यामिति..। अंग्रेज़ी के हर अंक का नाम संस्कृत के अंक के नाम से मिलता-जुलता है..।
ईसा मसीह से तकरीबन 6 हज़ार साल पहले सुमेरियन सभ्यता ने पश्चिमी दुनिया के लिए गणित-ज्योतिष या खगोलशास्त्र के दरवाज़े खोले..। कहा जाता है कि इसका मूल ज्ञान भारत से ही उन्हें मिला..। सुमेरियन सभ्यता ने ही पश्चिमी दुनिया में सबसे पहले तारामंडलों का वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया..। इसके लिए सुमेरियन पुरोहितों ने लगभग 700 मीटर ऊंची मीनार बनवाई और बारी-बारी से पुरोहित उस पर चढ़कर तारों का अध्ययन किया करते थे..। जल्द ही वो इस नतीजे तक पहुंचे कि धरती पर जो भी घटित होता है, उसका सीधा ताल्लुक सितारों से है..। उन्होंने महामारी को संबध भी अंतरिक्ष में होने वाली हलचल से जोड़ा..।
कहते हैं पायथागोरस ने ईसा से 600 साल पहले भारत और मिस्र से लौटने के बाद ही त्रिकोण की भुजाओं का संबंध बताने वाली थिओरम दुनिया को बताई (a2 + b2=c2)..। ये हम सबने स्कूल में पढ़ी है..। लेकिन बहुत कम लोगों ने इस यात्रा के बाद उनके दिए दूसरे सिद्धांत को जाना है..। कॉस्मॉलॉजी यानी ब्रह्मांड विज्ञान में गहरी दिलचस्पी रखने वाले पायथागोरस ने कहा कि अंतरिक्ष की हर चीज़- तारा, ग्रह, उपग्रह- गति के साथ एक ख़ास स्पंदन छोड़ती है..। पायथागोरस ने माना और अब हालिया कुछ प्रयोगों से भी पता चला कि सभी खगोलीय इकाइयों का स्पंदन एक लय तैयार करता है..। इसे अस्तित्त्व का संगीत कह सकते हैं..। हालांकि नासा का ओम वाला वीडियो फेक है..!
(पत्रकार एवं लेखक अवर्ण दीपक के फेसबुक वॉल से साभार)