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कोरोना एक: हम तीस!

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कोरोना एक: हम तीस!

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कोरोना के खिलाफ देश के सभी राज्य लड़ रहे हैं, लेकिन क्या ये लड़ाई सारा देश एक हो कर लड़ रहा है। जवाब है ..नहीं। देश में कुछ राज्य इस जंग में दूसरों से ज्यादा बेहतर कर रहे हैं।

कहां कितने टेस्ट ?

महाराष्ट्र में 1मई तक 1.5 लाख टेस्ट हो चुके थे, तमिलनाडु में 8मई तक 2.16 लाख, जबकि झारखंड में 14मई तक का आंकड़ा है 25,494.. 15मई की सुबह 9 बजे तक ICMR के मुताबिक  देश में कुल टेस्ट का आंकड़ा है 20,39,952 …आंकड़ों से पता चला है कि जहां टेस्टिंग ज्यादा हो रही है जैसे दिल्ली, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और जेएंडके में…वहां मौत का आंकड़ा देश के औसत से कम है।

   राज्य       कोरोना के मामले

  1. महाराष्ट्र    27524
  2. तमिलनाडु   9674
  3. गुजरात      9591
  4. दिल्ली      8470

देश में कोरोना से मौत का औसत है 3.1%…सबसे कम 100 में 0.7 है केरल में तो सबसे ज्यादा 5.6  है पंजाब और मध्यप्रदेश में। केरल में देश का पहला मामला 30जनवरी को दर्ज हुआ, 560 तक संक्रमितों का आंकड़ा पहुंचा। अभी सिर्फ 65 एक्टिव केस हैं, 491 मरीज ठीक हो गए….सिर्फ 4 की मौत हुई। ये दुनिया में हाई रिकवरी और लो फैटेलिटी के मामले में सबसे अच्छी मिसाल है।

राज्य     कोरोना से मौत

  1. महाराष्ट्र    1019
  2. गुजरात      586
  3. मध्य प्रदेश    237
  4. पश्चिम बंगाल  215

पॉजिटिव केसेज का आंकड़ा

हमारे देश में हजार टेस्ट पर कोरोना पॉजिटिव होने का मामला 42.1 है। सबसे कम कर्नाटक का 12.8 है तो सबसे ज्यादा दिल्ली का 77.5..इसका मतलब ये है कि कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए दिल्ली को कर्नाटक से ज्यादा संसाधन की जरूरत है।

कहां कितने टेस्टिंग सेंटर ?

राज्य   टेस्टिंग सेंटर

महाराष्ट्र   57

 तमिलनाडु  56  

आंध्रप्रदेश    46

कर्नाटक    28

केरल    17

ज्यादा टेस्टिंग का मतलब है दुश्मन की ज्यादा बेहतर पहचान। ये साफ है कि कई अहम राज्य कम टेस्टिंग सेंटर की वजह से इस लड़ाई के लिए एक तरह से तैयार ही नहीं हैं… जैसे उड़ीसा 8, असम 6, बिहार 6, झारखंड 5

वहीं बेहद प्रभावित राज्य जैसे गुजरात 19, पश्चिम बंगाल और राजस्थान 17 के मुकाबले  कर्नाटक 28, तेलंगाना 21 टेस्टिंग सेंटर के साथ ज्यादा तैयार नजर आते हैं।

टेस्टिंग के नियम कहां क्या हैं?

तमिलनाडु – राज्य में दाखिल होने वाले हर व्यक्ति का टेस्ट होगा, निगेटिव रिजल्ट आने पर भी 7 दिन सरकार के बनाए क्वारंटीन में रहना होगा। इसके बाद अगर कोई सिमटम नहीं है तो 7 दिन के होम क्वारंटीन में रहना जरूरी।

बिहार,झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में प्रवासी मजदूर लाखों की तादाद में लौट रहे हैं, लेकिन बगैर किसी जांच के उन्हें बस थर्मल स्क्रीनिंग कर उनके घर भेज दिया जा रहा है। जहां उन्हें क्वारंटीन किया भी जा रहा है जैसे बिहार में, वहां खाने और साफ-सफाई की बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं।

मथुरा में बिहार और छत्तीसगढ़ के मजदूरों को लेकर जिस तरह यूपी और रााजस्थान की पुलिस में चंद रोज पहले भिड़ंत हो गई, उससे साफ हो गया कि इस जंग को लेकर राज्यों का नजरिया राष्ट्रीय नहीं है। मजदूरों को महानगरों से लाने में भी राज्य एक साथ एक मंच पर नजर नहीं आए। दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों ने लॉकडाउन की वजह से राजस्व में कमी के जिस अहम मुद्दे को उठाया उस पर भी राज्यों में सहमति का अभाव नजर आया।

कोरोना राष्ट्रीय आपदा है, इस लड़ाई को हमें मिलकर, एक साथ, एकजुट होकर एक मोर्चा बनाकर लड़ना था, लेकिन हमारे तीस राज्य इसे अलग-अलग तीस मोर्चों पर लड़ रहे हैं।

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