अब ‘बस’ करो!
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मिर्जा – तो इस बाजी में आपकी मात हो गयी।
मीर – मुझे क्यो मात होने लगी?
मिर्जा – तो आप मुहरा उसी घर में रख दीजिए, जहाँ पहले रखा था।
मीर – वहाँ क्यो रखूँ? नही रखता।
मिर्जा – क्यों न रखिएगा? आपको रखना होगा।
( संदर्भ- शतरंज के खिलाड़ी, प्रेमचंद)
प्रियंका गांधी ने प्रवासी मजदूरों के लिए हजार बसें चलाने की मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से इजाजत मांगी। मुख्यमंत्री ने इस पेशकश को कांग्रेस की ओछी राजनीति करार दिया। इसके बाद प्रियंका गांधी ने तीन ट्वीट किए। जवाब में मुख्यमंत्री आदित्यगनाथ ने कहा कि यूपी सरकार खुद इस वास्ते बस का इंतजाम कर चुकी है। राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह ने कांग्रेस से कहा कि आप बस का रजिस्ट्रेशन नम्बर,फिटनेस सर्टिफिकेट, ड्राइवर और कंडक्टर का डिटेल्स दीजिए। पहले बसों को लखनऊ लाने की बात हुई, फिर नोएडा और गाजियाबाद में लाने पर सहमति बनी। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कथित तौर पर इन बसों की व्यवस्था की और यूपी राजस्थान सीमा पर लगा दिया। बीजेपी ने बसों के रजिस्ट्रेशन नंबर की पड़ताल की तो पाया कि कुछ बसों के नंबर का रजिस्ट्रेशन कार, ऑटो या स्कूटर के नाम से था। कांग्रेस का इल्जाम है कि बीजेपी सरकार आगरा के रास्ते बसों को आने नहीं दे रही।
हजार बसों की इस कहानी के पीछे राजनीति क्या है?
इसे बेहतर तौर पर समझने के लिए आपको गाजियाबाद, नोएडा और आगरा से हट कर पटना जाना होगा।
कांग्रेस चाहती है कि बिहार के मजदूर गाजियाबाद और नोएडा में उसके लाए बस पर सवार हों और बिहार जाएं। अब इससे जो सियासी संदेश जाएगा, उसे समझिए तो सारी बात समझ में आ जाएगी।
बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन किसी राज्य से मजदूरों को लेकर बिहार पहुंचाने के लिए बस की व्यवस्था बीजेपी की ओर से अब तक नहीं की गई है। बीजेपी शासित गुजरात के राजकोट, सूरत और अहमदाबाद में घर जाने के लिए बेकरार, बेबस, लाचार, भूखे गरीब बिहारी मजदूरों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियां भांजी। बीजेपी शासित कर्नाटक में येदियुरप्पा की सरकार ने कंस्ट्रक्सन लॉबी के दबाव में श्रमिक स्पेशल ट्रेन का चलना तक रोक दिया। ऐसे वक्त में जबकि कुछ महीने बाद बिहार में एसेंबली के चुनाव होने हैं, अगर यूपी की बीजेपी सरकार कांग्रेस को बस ले जाने देती है तो बिहार बीजेपी में इसकी प्रतिक्रिया होनी लाजिमी है। नोएडा और गाजियाबाद में फंसे लाखों बिहारी मजदूरों ने गौर किया है कि जहां योगी आदित्यनाथ केंद्र सरकार से अपने बेहतर रिश्ते का इस्तेमाल कर चार लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को यूपी ले आए, वहीं बिहार में नीतीश सरकार लॉकडाउन की लकीरें पीटती रही। कांग्रेस के ट्वीटर पर पैदल जा रहे बिहारी मजदूरों के वीडियो जारी किए गए हैं, जिनमें वो बीजेपी और खास कर योगी आदित्यनाथ से अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं। नीतीश कुमार को लेकर प्रवासी बिहारी मजदूरों के कई वीडियो वाइरल हो रहे हैं। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के टिकट के लिेए देश भर में जिस तरह प्रवासी बिहारी मजदूर धक्के खा रहा है, उसका आने वाले एसेंबली चुनाव में क्या असर होगा, इसको लेकर बिहार बीजेपी परेशान है। अब ऐसे में योगी आदित्यनाथ की एक कमजोर चाल से बिहार में पार्टी के मात होने का खतरा है।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस सियासी जंग में सच की तलाश फिजूल है, कोरोना के बैकड्रॉप में देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां … शह और मात वाली चाल चल रही हैं। जैसे शतरंज के खिलाड़ी में गोमती के एक किनारे से अंग्रेजी फौज चली आ रही है और इनसे बेपरवाह मीर और मिर्जा गोमती के दूसरे किनारे एक वीरान मस्जिद में अपनी बाजियां चलते रहते हैं।
चाल देखिए…वाह कीजिए…आह करने वाले मजदूरों का क्या है? अगर बस छूट भी गई तो पैदल चले जाएंगे।

BJP ko khud bihar se larna chahie kyoki nitish dubara se tor maror sarkar banane ke paksh me hai
NOTE. Chunav to hona hi nahi chahie abhi bihar ki aarthik stithi ko dekhte hue
Sahi kaha gaya
Congress to chal chuki thi(Bus bhaij di thi)
BJPGame sa walkout ho gaya