सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजक्ट सेंट्रल विस्टा परियोजना (central vista project) को हरी झंडी दे दी है। तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से यह फ़ैसला सुनाया। इसके साथ ही नये संसद भवन बनने का रास्ता भी साफ हो गया है। इस परियोजना के खिलाफ 10 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिसमें परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी दिये जाने और इसके लिए भूमि उपयोग में बदलाव सहित अनेक फैसलों पर सवाल उठाये गये थे।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
- न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने 2-1 के बहुमत से फैसला सुनाया।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट में पर्यावरण से जुड़ी मंज़ूरियों को स्वीकार कर लिया।
- ज़मीन के इस्तेमाल में बदलाव की अधिसूचना को भी हरी झंडी दे दी गई।
- भूमि उपयोग में बदलाव और पर्यावरण मंजूरी देने के फैसले से न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने असहमति जताई।
- कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी आवश्यक है।
- सरकार से कहा कि समिति से अप्रूवल प्राप्त करने के बाद ही काम शुरू करें।
- कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के प्रस्तावक को सभी निर्माण स्थलों पर स्मॉग टॉवर लगाने और एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया।
क्या है central vista project?
करीब 20,000 करोड़ रुपये लागत वाली सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले करीब 3 किमी लंबे राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों का पुनर्निर्माण या पुनरुद्धार किया जाना है। आईये आपको बताएं इस प्रोजेक्ट की खासियत –
- राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक का तीन किलोमीटर का इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है। ये पूरे देश का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट है, जिसको देखने लोग देश-विदेश से आते हैं। सरकार की मंशा है कि इस तीन किलोमीटर के इलाके को विश्व स्तरीय लुक दिया जाए।
- सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का खाका गुजरात स्थित एक आर्किटेक्चर फ़र्म एचसीपी डिज़ाइन्स ने तैयार किया है। कंसल्टेंसी के लिए इस कंपनी को 229.75 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा।
- 20 मार्च, 2020 को केंद्र ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि के उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया।
- प्रोजेक्ट के तहत नया केंद्रीय सचिवालय भी तैयार किया जाएगा, जिसमें मंत्रालयों के दफ़्तर होंगे और क़रीब 10 इमारतें बनेंगी। इसे 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
- प्रधानमंत्री कार्यालय और उनके आवास को साउथ ब्लॉक के पास ले जाया जा सकता है। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को संग्रहालयों में बदल दिए जाने की भी योजना है।
- उपराष्ट्रपति के आवास को नॉर्थ ब्लॉक के पास ले जाया जा सकता है। प्रोजेक्ट के तहत उपराष्ट्रपति का मौजूदा आवास उन इमारतों में आता है, जिन्हें गिराया जाना है।
- केंद्रीय सचिवालय बनाने के लिए उद्योग भवन, कृषि भवन और शास्त्री भवन की इमारतों को तोड़ा जा सकता है। साथ ही राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे राजपथ को भी नया रूप दिया जाएगा।
क्यों जरुरी है सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
वैसे तो इस प्रोजेक्ट को लेकर तमाम तरह की आपत्तियां उठाई जा रही हैं और इसके खिलाफ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट तक में याचिकाएं डाली, लेकिन केन्द्र सरकार की दलीलों के मुताबिक ये प्रोजेक्ट ना सिर्फ अहम है, बल्कि जरुरी भी है। आईये आपको बतायें सरकार की क्या है दलीलें –
- सरकार के कामकाज में सुधार लाने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी केंद्रीय मंत्रालय एक जगह पर हों। इसलिए इस योजना की ज़रूरत है।
- अलग-अलग मंत्रालयों के अलग-अलग दफ्तरों में एकरूपता नहीं है। मोदी सरकार चाहती है कि एक कॉमन सेंट्रल सेक्रेट्रिएट बनाया जाए, जिससे सभी मंत्रालयों, विभागों और दफ्तरों में कोआर्डिनेशन ठीक से हो सके। साथ ही सभी इमारतें लगभग एक सी हों।
- अभी केंद्र सरकार के अलग-अलग करीब 47 मंत्रालयों, विभागों और दफ्तरों में 70,000 कर्मचारी और अधिकारी काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति भवन के दोनों तरफ नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के अलावा शास्त्री भवन, निर्माण भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन आदि जैसी कई इमारतें हैं, जिनमें अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर हैं।
- केंद्र सरकार ने निजी इमारतों में भी अपने अलग-अलग मंत्रालयों के दफ्तर बना रखे हैं, जिनका सालाना किराया करीब 1000 करोड़ रुपये है। इस योजना से सालाना ख़र्च होने वाले 1000 करोड़ रुपये की बचत होगी।
- इस प्रोजक्ट के पूर्ण होने पर मंत्रालयों के बीच आपसी समन्वय में सुधार आएगा क्योंकि 10 नई इमारतों में शिफ्ट हुए ये मंत्रालय आपस में बेहतर तरीक़े से मेट्रो से जुड़े होंगे।
संसद में जगह बढ़ाने की मांग पिछले 50 वर्षों से ज़्यादा से उठती रही है और पिछली यूपीए सरकार में लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार के कार्यकाल में भी इस पर बहस हुई थी। इसी को देखते हुए केंद्र ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु किया। संसद का नया भवन 20,000 करोड़ के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का ही एक हिस्सा है, जिसमें राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक फैले 13.4 किमी लंबे राजपथ पर पड़ने वाले सरकारी भवनों के पुनर्निर्माण या फिर पुनरुद्धार किया जाएगा।
10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी, लेकिन कोर्ट में फैसला आने तक किसी तरह का निर्माण कार्य शुरु नहीं किया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस पूरे प्रोजेक्ट पर काम शुरु हो जाएगा। नये संसद भवन के निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। वहीं साझा केन्द्रीय सचिवालय को 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ।