सुप्रीम कोर्ट की फटकार, मजदूरों की सुने सरकार!

प्रवासी मजदूरों के पलायन पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की नजर पड़ी और गुरुवार को अंतरिम आदेश जारी किया। अपने अहम फैसले में कोर्ट ने कहा कि ट्रेनों और बसों से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से किसी तरह का किराया ना लिया जाए। यह खर्च राज्य सरकारें ही उठाएं और फंसे हुए मजदूरों को खाना मुहैया कराने की व्यवस्था भी राज्य सरकारें ही करें। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गुरुवार को मामले पर सुनवाई की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में दलीलें रखीं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिए आदेश?
- ट्रेन और बस से सफर कर रहे प्रवासी मजदूरों से कोई किराया ना लिया जाए। यह खर्च राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें उठाएं।
- स्टेशनों पर खाना और पानी राज्य सरकारें मुहैया करवाएं और ट्रेनों के भीतर मजदूरों के लिए यह व्यवस्था रेलवे करे। बसों में भी उन्हें खाना और पानी दिया जाए।
- देशभर में फंसे मजदूर, जो अपने घर जाने के लिए बसों और ट्रेनों के इंतजार में हैं, उनके लिए भी राज्य सरकारें ही खाने की व्यवस्था करेंगी।मजदूरों को खाना कहां मिलेगा और रजिस्ट्रेशन कहां होगा, इसकी जानकारी प्रसारित की जाए।
- राज्य सरकारें, प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को देखें और यह निश्चित करें कि उन्हें घर के सफर के लिए जल्द से जल्द ट्रेन या बस मिले। इससे जुड़ी सारी जानकारियां संबंधित लोगों को दी जाएं।
कोर्ट ने पूछे गंभीर सवाल
- प्रवासी मजदूरों को टिकट कौन दे रहा है, उसका भुगतान कौन कर रहा है?
- टिकट के पेमेंट के बारे में कंफ्यूजन है और इसी कारण दलालों ने मजदूरों का शोषण किया है। क्यों ऐसा हुआ ?
- ऐसी घटनाएं हुई है कि राज्य ने प्रवासी मजदूरों को प्रवेश से रोका है। इसका क्या कारण है? इस पर सॉलिसिटर ने कहा कि राज्य सरकारें लेने को तैयार है। कोई भी राज्य प्रवासियों को प्रवेश करने से रोक नहीं सकता। वह भारत के नागरिक हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब पहचान सुनिश्चित हो जाती है कि प्रवासी मजदूर हैं तो उन्हें भेजने में कितना वक्त लगता है? उन्हें हफ्ते-10 दिन में भेजा जाना चाहिए। इसपर केंद्र के वकील ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ऊपर प्रवासी मजदूर भेजे जा चुके हैं। जो पैदल जा रहे हैं, वह अवसाद और अन्य कारणों से ऐसा कर रहे हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या प्रवासियों से किसी भी मौके पर टिकट के पैसे मांगे गए? सवाल ये है कि राज्य सरकारें टिकटों के पैसे कैसे चुका रही हैं? अगर प्रवासियों से पैसे ले रहे हैं तो क्या उन्हें यह रकम वापस की जा रही है? ट्रेन के इंतजार के दौरान उन्हें खाना मिल रहा या नहीं?
- कोर्ट ने कहा कि घर जाने की कोशिश कर रहे प्रवासी मजदूर जिन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, उन्हें लेकर हम परेशान हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि राज्य सरकारें उनके लिए कदम उठा रही हैं। लेकिन, रजिस्ट्रेशन, ट्रांसपोर्टेशन और खाना-पानी देने के मामलों में कुछ खामियां भी देखने को मिली हैं।
केन्द्र का जवाब
- सरकार मजदूरों के लिए काम कर रही है लेकिन राज्य सरकारों के जरिए ये मदद उन तक नहीं पहुंच रही है, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी हुई हैं।
- केंद्र सरकार ने तय किया है कि प्रवासी मजदूरों को शिफ्ट किया जाएगा और सरकार प्रयास जारी रखेगी। केंद्र सरकार ने अभी 3700 ट्रेनें प्रवासी मजदूरों के लिए चला रखीं है और जब तक एक भी प्रवासी रह जाते हैं तब तक ट्रेन चलती रहेंगी।
- पड़ोसी राज्यों के सहयोग से 40 लाख लोगों को सड़क से शिफ्ट किया गया है। एक मई से लेकर 27 मई तक कुल 91 लाख प्रवासी मजदूर शिफ्ट किए गए।
- हर रोज करीब 3.36 लाख प्रवासियों को उनके राज्यों में पहुंचाया जा रहा है। सरकार ऐसे सभी प्रवासियों को उनके घर पहुंचाएगी।
आपको बता दें कि अदालत ने इस मामले को खुद ही नोटिस में लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मजदूरों की हालत खराब है और उनके लिए सरकार ने जो इंतजाम किए हैं वे नाकाफी हैं। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर 28 मई तक जवाब मांगा था। इस मसले पर अगली सुनवाई अब 5 जून को होगी।