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H1B वीजा पर रोक: किसका नुकसान?

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H1B वीजा पर रोक: किसका नुकसान?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशियों को मिलनेवाले एच-1बी वीजा सहित अन्य सभी विदेशी वर्क वीजा जारी करने पर लगी पाबंदी को इस साल के अंत तक के लिए बढ़ा दिया है। ट्रंप सरकार ने अप्रैल में 90 दिनों के लिए ग्रीन कार्ड जारी करने को निलंबित कर दिया था। सोमवार को एक घोषऩा के जरिए इस रोक को 31 दिसंबर, 2020 तक के लिए बढ़ा दिया। नया आदेश 24 जून से प्रभावी हो गया है। वैसे, जिनके पास अभी वीज़ा है, उन पर इस आदेश का कोई असर नहीं होगा।

साल 2015 में राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान H-1B वीज़ा के नियमों में बदलाव किए गए थे और H-4 वीज़ा धारकों को भी अमरीका में काम करने की इजाज़त देने की बात की गई। अब ट्रंप प्रशासन ने फिर से इसमें बदलाव किए हैं। यह वीजा भारत के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के पेशेवरों के बीच काफी प्रचलित है, इसलिए इस फैसले से बड़ी संख्या में आईटी से जुड़े पेशेवरों के प्रभावित होने का अनुमान है।

किस-किस वीज़ा पर रोक?

  • H1-B वीज़ा – ये स्किल्ड वर्करों के लिए है। जिन्हें मिलता है, उन्हें अमरीका में अस्थायी रुप से काम करने की इजाज़त मिल जाती है।
  • H-4 वीज़ा – ये H1-B वीज़ा धारकों के परिजनों को मिलता है। इस तरह वो भी अमरीका में रह सकते हैं।
  • L-1 वीज़ा – कंपनी के अंदर कर्मचारियों के ट्रांसफ़र वाले मामले में दिया जाता है।
  • J वीज़ा – एकेडमिक और रिसर्च से जुड़े लोगों को जारी किया जाता है।
  • H-2B वीज़ा – ये सीजनल वर्करों के लिए जारी किया जाता है।

इन सभी कैटेगरी में इस साल के अंत तक वीज़ा जारी करने पर रोक लगी रहेगी।

ट्रंप ने क्यों लिया ये फैसला?

राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने चुनावी वादे और पार्टी की विचारधारा के अनुरुप ये फैसला किया है। ट्रंप काफ़ी समय से इमिग्रेशन से जुड़े क़ानूनों को सख़्त करने की वकालत करते आए हैं। कोरोना महामारी के दौरान यहां बेरोजगारी दर फरवरी 2020 से मई 2020 के बीच लगभग चौगुनी हो गई। मई में बेरोजगारी की दर 13.3 प्रतिशत थी। इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रंप ने इस घोषणा का मक़सद, मौजूदा आर्थिक संकट के दौरान अपना रोजगार खोनेवाले लाखों अमेरिकियों की मदद करना बताया है। राष्ट्रपति कार्यालय का अनुमान है कि वीज़ा पर पाबंदी के चलते अमेरिकी नागरिकों को करीब 5,25,000 नौकरियां उपलब्ध होंगी। इससे कोरोना काल में बढ़ती बेरोजगारी पर थोड़ी लगाम लगाई जा सकती है।

किस पर पड़ेगा असर?

  • इसका वैसी तमाम अमेरिकी और भारतीय कंपनियों पर असर पड़ेगा, जिन्हें अमेरिकी सरकार की तरफ से वित्तीय वर्ष 2020- 21 के लिए एच-1बी वीजा जारी किए गए हैं। ये वित्तीय वर्ष अक्टूबर से शुरु होगा।
  • इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वो अमेरिकी कंपनियां होंगी, जो अपने काम के लिए विदेशी कर्मचारियों पर ज़्यादा निर्भर हैं।
  • अमरीकी प्रशासन के मुताबिक़, इस नियम से 5,25,000 लोगों पर सीधा असर पड़ेगा। इसमें 1,70,000 वैसे लोग भी हैं, जिन्होंने ग्रीन कार्ड के लिए अप्लाई किया है।
  • अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले हज़ारों भारतीय हर साल H1-B वीज़ा के लिए आवेदन करते हैं। पिछले साल H1-B वीज़ा के 85,000 रिक्त स्थानों के लिए क़रीब 2,25,000 आवेदन आए थे।
  • आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में एच-1B वीजा के लिए आवेदन करनेवालों में भारतीयों की संख्या सबसे ज्यादा है। साल 2018 तक इस वीज़ा के लिए 3 लाख से ज्यादा भारतीयों ने आवेदन दिया था।
  • दूसरे नंबर पर चीन है, जहां के 47,172 लोगों ने इस वीज़ा के लिए आवेदन दिया था।

अमेरिका को कितना फायदा?

  • सॉफ्टवेयर उद्योग के संगठन नास्कॉम ने इस फैसले को गलत दिशा में उठाया गया कदम बताया है। संगठन ने कहा है कि ये अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
  • नास्कॉम के मुताबिक, अमेरिका के इस कदम से नई चुनौतियां खड़ी होंगी और कंपनियों पर विदेशों से अधिक काम करवाने का दबाव बढ़ेगा, क्योंकि वहां स्थानीय स्तर पर इस तरह का कौशल उपलब्ध नहीं है।
  • कई कंपनियों का कहना है कि जिस स्किल्ड लेबर को वो H1-B वीज़ा के तहत नौकरी देती हैं, वो स्किल्ड लेबर अमरीका में नहीं है, इसलिए इस फ़ैसले का अमरीकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा.
  • विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका में बेरोजगारी इसलिए है क्योंकि वहां मैन्यूफैक्चरिंग बंद हो गई है। दूसरी ओर, तकनीक या आईटी के क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों को ज्यादा मौके मिलने की संभावना कम है।
  • कम समय में अर्थव्यवस्था को बेहतर करने लिए टेक कंपनियों का अच्छा प्रदर्शन भी ज़रूरी है। इसलिए इस फ़ैसले से आखिरकार अमेरिकी अर्थव्यवस्था को ही नुक़सान होगा।

कुल मिलाकर देखा जाए तो, फिलहाल भारतीय कंपनियों और आईटी प्रोफेशनल्स को इस फैसले से ज्यादा नुकसान नहीं है। कोरोना महामारी की वजह से ना तो कंपनियां उन्हें अमेरिका भेज रही हैं और ना ही यहां के इंजीनियर इस समय वहां जाना चाहते हैं। कोरोना को खत्म होने में साल भर तो लग ही जाएगा। वैसे भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे अगले 6 महीने के लिए टाला है, जो पूरी तरह से राजनीतिक फायदे के लिए उठाया गया कदम है। अगर डोनाल्ड ट्रंप दुबारा जीत गये, और इस फैसले को और आगे बढ़ाया, तब चिंता की बात हो सकती है। लेकिन अभी ये कौन कह सकता है कि डोनाल्ड ट्रंप दुबारा जीतेंगे ही….और जीतने के बाद भी उनका यही स्टैंड रहेगा भी या नहीं।

Shailendra

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