आतंकियों की पनाहगाह बन रहा है बिहार?

13 दिसंबर…भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला दिन… 19 साल पहले इसी दिन आतंकियों (terrorists) ने भारतीय संसद को निशाना बनाया था। भारत सरकार के मुताबिक यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने किया था। एक बार फिर खुफिया एजेंसियां आगाह कर रही हैं कि एक आतंकी संगठन भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है।
भारतीय खुफिया एजेंसी ने मलेशिया के एक रोहिंग्या आतंकी (terrorists) संगठन की साजिश का भंडाफोड़ किया है। सुरक्षा एजेंसियों को मिले इनपुट्स के अनुसार भारत पर हमले में यह आतंकी संगठन किसी महिला का इस्तेमाल कर सकता है। एजेंसियों को कुछ ऐसे वित्तीय लेन.देन का पता चला है, जिनका संबंध वांछित इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक से है। इसे लेकर खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली, हरियाणा, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल की पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इस संबंध में अलर्ट किया गया है।
चिंता की बात ये है कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार बिहार का टेरर लिंक सामने आ रहा है। खासकर राज्य के सीमांचल और मिथिलांचल इलाके आतंकवादियों की पनाहगाह बन गए हैं।

पहले भी हो चुकी हैं कई घटनाएं
- वर्ष 2000 में बिहार के सीतामढ़ी जिले में पहली बार दो आतंकियों (terrorists) की गिरफ्तारी हुई थी। जिसमें आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के सदस्य मकबूल और जहीर की गिरफ्तारी की गई थी। इसके बाद जांच एजेंसियों के कान खड़े हो गए थे।
- 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेन में बम ब्लास्ट की घटना के बाद पहली बार मधुबनी जिले का नाम आतंकी घटना में आया। तब बासोपट्टी के मोहम्मद कमाल को एटीएस टीम ने गिरफ्तार किया था। इसी दौर में सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) पर प्रतिबंध लगाया गया।
- 25 अगस्त 2007 यानी 13 साल पहले हैदराबाद में दो अलग-अलग जगहों पर बम ब्लास्ट हुए थे। इन धमाकों में 42 लोगों की मौत हो गई थी और 50 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस घटना में समस्तीपुर का रहनेवाले तहसीन का नाम सामने आया था, जो इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य था। उसके पिता ने उसे पढ़ने के लिए दरभंगा भेजा था, जहां से वह गायब हो गया था।
- 7 जुलाई, 2013 की सुबह बोधगया में महाबोधि मंदिर और उसके आसपास एक के बाद एक नौ विस्फोट हुए थे। आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे। हमले के बाद गिरफ्तार हुए मकबूल ने बताया था कि वह कुछ साथियों के साथ बिहार में 15 दिन रहा था, इस दौरान उसने मंदिर की रेकी की और वीडियो भी तैयार किया।
- उसी वर्ष 27 अक्टूबर 2013 को पटना में सीरियल बम ब्लास्ट के बाद से पूरे बिहार में सनसनी फैल गई थी। इस घटना को बोधगया की तर्ज पर ही अंजाम दिया गया।
- 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के अवन्तीपुरा इलाके में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था। गोरीपुरा गांव के पास हुए इस हमले में 44 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें आत्मघाती ने विस्फोटक से लदी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस से टकरा दी थी। इस आतंकी हमले की साजिश के तार बिहार के बांका जिले से भी जुड़े दिखे थे। स्थानीय पुलिस ने यहां से एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया था। चिह्नित आतंकी इससे पहले 2001 में संसद पर आतंकी हमले में भी शामिल था। खुफिया इनपुट के अनुसार वह आतंकी मौलाना मसूद अजहर से जुड़ा हुआ था ।

बिहार से कई आतंकियों (terrorists) की हुई गिरफ़्तारी
- 20 जुलाई, 2006 को मुंबई की एटीएस ने मधुबनी जिले के बासोपट्टी बाजार से मो. कमाल को मुंबई लोकल ट्रेन धमाके में संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया था।
- 1 जनवरी, 2008 को रामपुर (यूपी) सीआरपीएफ कैंप में हुए विस्फोट के सिलसिले में पुलिस ने लखनऊ से सबाऊद्दीन को गिरफ्तार किया था। वह मधुबनी जिले के सकरी थाने के गंधवारी गांव का रहनेवाला था ।
- 2009-10 में दिल्ली ब्लास्ट मामले में मधुबनी के बासोपट्टी के बलकटवा से मदनी की गिरफ्तारी हुई थी।
- 26 नवम्बर, 2011 को दिल्ली पुलिस ने मधुबनी के सिंघानिया चौक व सकरी के दरबार टोला से क्रमश: अफजल व गुएल अहमद जमाली को पकड़ा था।
- दिल्ली विस्फोट के सिलसिले में 12 जनवरी, 2012 को बिहार के दरभंगा जिले के जाले थाना क्षेत्र स्थित देवड़ा बंधौली गांव निवासी नदीम और नक्की को गिरफ्तार किया गया था। दोनों की निशानदेही पर विस्फोट में प्रयुक्त मोटरसाइकिल मिली थी।
- 21 फरवरी 2012 को एटीएस की टीम ने शिवधारा से साइकिल मिस्त्री कफील अहमद को पकड़ा था। उसे आइएम का मेंटर बताया गया।
- जिले के केवटी थाने के समैला गांव से गत छह मई की अलस्सुबह कर्नाटक पुलिस ने संदिग्ध आतंकी मो. कफील अख्तर को गिरफ्तार किया था। बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम विस्फोट में उसकी संलिप्तता सामने आई थी।
- 13 मई को सऊदी अरब में केवटी के बाढ़ समैला गांव के फसीह महमूद को भारतीय सुरक्षा एजेंसी ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से पकड़ा था। आइएम चीफ रियाज भटकल और इकबाल भटकल से जुड़ा फसीह 2008 में बटला हाउस मुठभेड़ के बाद सऊदी अरब भाग गया था। जहां से आइएम को धन देता रहा।
- दाऊद का सहयोगी फजलुर्रहमान भी जाले थाने के देवड़ा बंधौली गांव का है। अभी वह तिहाड़ जेल में बंद है।
- 21 जनवरी 2013 को लहेरियासराय थाने के चकजोहरा मोहल्ला से मो. दानिश अंसारी को कथित आतंकी हमले की साजिश में गिरफ्तार किया गया था। एनआइए सूत्रों के मुताबिक दोनों आइएम सरगना यासीन भटकल के गुर्गे थे।

आतंकियों के लिए सुरक्षित है बिहार?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि आतंकी बिहार को सुरक्षित क्यों मान रहे हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि आतंकवादी (terrorists) बिहार को इसलिए भी चुनते हैं कि उत्तरी बिहार नेपाल से सटा हुआ है। इसी वजह से आतंकियों का भारत में घुसना और बाहर निकलना आसान हो जाता है। यही वजह है कि उत्तर बिहार के कई जिले, जैसे दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और मोतिहारी, आतंकवादियों के छुपने की फेवरेट जगह बन गये हैं। इन जिलों से सटे कई जगहों पर नेपाल की खुली सीमा है, जहां से आतंकी बेरोकटोक आवाजाही कर सकते हैं।
इसी वर्ष बिहार के अधिकारियों को जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तान सेना से प्रशिक्षित आधा दर्जन आंतकियों के राज्य में घुसने की सूचना मिली थी। इसको लेकर पूरे बिहार में अलर्ट जारी किया गया था। जाहिर है, अगर सुरक्षा एजेंसियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो आनेवाले समय में बिहार में आतंकवादियों (terrorists) की जड़ें गहरी होने लगेंगी और जल्द ही ये उनका सबसे सुरक्षित पनाहगाह बन जाएगा।