वन नेशन वन राशन कार्ड से क्या फायदा होगा ?
कोरोना बजट की दूसरी किस्त में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रवासी मजदूरों, किसानों और मध्य वर्ग के लिए कई अहम योजनाओं का ऐलान किया।
वित्त मंत्री के प्रेस कान्फ्रेंस की अहम बातें
- स्ट्रीट वेंडर यानी रेहड़ी, पटरी, ठेला चलाने वालों को दस हजार तक का कर्ज
- मजदूरों को अप्वाइंटमेंट लेटर और सालाना स्वास्थ्य जांच
- मजदूरों को दो महीने तक निशुल्क अनाज, बगैर राशन कार्ड वालों को प्रति परिवार दो महीने तक पांच किलो गेहूं, पांच किलो चावल और एक किलो चना
- मजदूरों को शहरों में किराए पर सस्ता मकान देने की योजना
- एक देश एक राशन कार्ड की योजना अगस्त से लागू होगी
एक देश, एक राशन कार्ड योजना क्यों खास है ?
अभी प्रवासी मजदूर जब काम के लिए महानगर जाते हैं तो वहां वो राशन कार्ड से सस्ता अनाज नहीं ले पाते। राम बिलास पासवान का ड्रीम प्रोजेक्ट- एक देश एक राशन कार्ड योजना से होगा ये कि राशन कार्ड दिखा कर देश भर के 5.5 लाख सरकारी राशन दुकानों में से किसी से भी राशन लिया जा सकेगा। दूसरा फायदा ये है कि अगर मजदूर मुंबई में अकेला है तो वो अपने हिस्से का अनाज मुंबई में ले सकेगा जबकि उसका परिवार बाकी बचे सदस्यों के कोटे का अनाज गांव की राशन दुकान से ले सकेंगे। राशन दुकानदार कई बार मजदूरों के हिस्से का अनाज बाजार में बेच देते थे,पोर्टेबिलिटी से इस पर लगाम लगेगी।
एक देश एक राशन कार्ड की योजना यकीनन बेहद शानदार है, लेकिन सरकार की कई और योजनाओं की तरह राशन की व्यवस्था में भी कई खामियां सामने आई हैं, जिन पर सरकार को सोचना चाहिए।
- राशन कार्ड को आधार से जोड़े जाने की योजना पर पुनर्विचार हो –(ABBA)- Aadhaar-based biometric authentication –झारखंड और राजस्थान में आधार को राशन कार्ड से जोड़ने के खतरनाक नतीजे सामने आए हैं। कई गरीबों को अनाज नहीं मिल पाया क्योंकि 1- आधार कार्ड न होने पर उनके राशन कार्ड को फर्जी करार दिया गया 2- अनपढ़ और गरीब होने की वजह से वो आधार को राशन कार्ड से लिंक करने की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाए, या 3- उनका बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन नहीं हो पाया।
- वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार हो – तमिलनाडु में एटीएम कार्ड की तरह की नॉन बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड योजना से 100 प्रतिशत अनाज का उठाव गरीब परिवारों द्वारा संभव हुआ है। इसी तरह छत्तीसगढ़ सरकार की राशन दुकानों पर लाभार्थी की तस्वीर रखने वाली टैबलेट योजना भी बेहद कामयाब रही है। सरकार अगर एक राशन कार्ड की योजना सारे देश में लागू करना चाहती है तो राशन दुकानों पर भी सभी राज्यों मे एक सी व्यवस्था होने से निगरानी और नियंत्रण आसान होगा।
राशन कार्ड देश में गरीबों के लिए जिंदगी का कार्ड है। झारखंड में 2016 से 2018 के बीच फर्जी राशन कार्ड की जांच के नाम पर छह लाख से ज्यादा राशन कार्ड रद्द कर दिए गए …नतीजा बड़े पैमाने पर भुखमरी।
28 सितंबर 2017 को सिमडेगा में 11 साल की संतोषी की मौत हो गई। उसकी मां का कहना था … हमारे यहां कई दिन से चूल्हा नहीं जला था—संतोषी भूखी थी…भात…भात कहती मर गई।
जांच में पता चला कि संतोषी का परिवार उन परिवारों में से था जिनका राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं होने की वजह से रद्द कर दिया गया था। हाल ही में नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो की संस्था J-PAL यानी अब्दुल लतीफ जमील पोवर्टी एक्शन लैब ने झारखंड में राशन कार्ड को लेकर सर्वे किया तो पाया कि जो राशन कार्ड रद्द कर दिए गए थे, उनमें से दस मे से नौ कार्ड असली थे।