द बेस्ट फिनिशर…!!!
आप धीरज और धीमी गति के उदाहरण देखना चाहते हैं? तो धौनी को देखिये… धौनी से सीखिये। अपने टारगेट को लेकर चलना और उस पर कायम रहना, धौनी की काबिलियत रही है। अपने व्यवहार और सादगी से लोगों का दिल जीतनेवाले धौनी को प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी भी उतना ही सम्मान देते हैं। शोएब ने अपने वीडियो में आखिरी लाइन कही- यार जैसा थे, वैसा ही रहना। एक लीजेंड के लिए दूसरे लीजेंड के शब्द काफी मायने रखते हैं।
कैप्टन कूल का अविचल रहना ही दरअसल उनकी काबिलियत की सबसे बड़ी प्रमाणिकता है। जब टीम में अस्थिरता की स्थिति थी। सभी बेस्ट प्लेयर कप्तानी की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ चुके थे, तब युवा धौनी को टीम इंडिया जैसे जहाज की कमान मिली। उन्होंने खेल के समंदर में जहाज को ऐसा उतारा कि वह मिसाल बन गया। विकेट के पीछे भी वैसी ही चपलता और नजरें भी उतनी ही तेज।
धौनी होना आसान नहीं है। मौन रहकर खेलना और दुनिया से कुछ लेने की उम्मीद किये बिना अपनी यात्रा पर चल देना भी कोई आसान काम नहीं। आप कल्पना के परे जाकर सोचें कि ये आदमी अपनी असल जिंदगी में कितना सहज होगा। सफ़लता के सारे कीर्तिमानों को ध्वस्त कर… सहज रहना भी योग को दूसरा रूप है। धन , वैभव और प्रसिद्धि के बाद भी रांची जैसे छोटे शहर से अपना जुड़ाव रखना भी धौनी की जिंदगी के प्रति अलग नजरिया रखने का सबूत देता है।
जब दुनिया धौनी के लंबे बाल की दीवानी हो रही थी, तो धौनी चुपचाप उस दीवानगी को अपनी जिंदगी से हटाकर चल पड़े। छोटे बाल और अपने खास अंदाज को ही मिसाल बना दिया। धौनी के अपने में सिमटे रहने को लेकर भी लोग कई बार सवाल करते थे, लेकिन दुनिया की परवाह किये बिना, बिना कोई शोर किये, अपनी विदाई की घोषणा कर धौनी ने एक साथ कई सवालों का भी दे दिया।
ऐसा नहीं है कि धौनी की रिटायरमेंट सिर्फ धौनी को प्रभावित करेगी। धौनी का जाना एक कल्चर को साथ ले जायेगा। स्पोर्ट्स का पन्ना खाली खाली लगेगा। रांची के लोग उसमें अपना लाल खोजेंगे। धौनी अपना खेल खेल कर आराम से निकल गए। वह विनिंग शॉट लगाने के आदी रहे हैं… इसलिए बिना किसी हंगामे के विदा होने की घोषणा कर दी। लेकिन धौनी होना आसान नहीं है। उनके बनने में उन तमाम नजरों और हाथों का भी हमें एहसानमंद होना चाहिए, जिन्होंने धौनी को गढ़ा। उनके शिक्षक, पिता, मां और दोस्त। साथ ही कुछ सीखना है तो धौनी से अपने काम, परिवार और जिंदगी के प्रति प्रतिबद्धता को सीखें।
धौनी ने क्रिकेट को भी नए प्रशंसक दिए, जो सिर्फ धौनी के लिए क्रिकेट देखने आते थे या देखते थे। अपनी गति से, स्थिरता से, मैदान और जिंदगी में फैसला लेनेवाले धौनी के लिए जितना भी लिखा जाए कम है। बेस्ट फिनिशर होना कोई हंसी-खेल नहीं, चाहे वह जिंदगी जीने की ही बात हो या खेल की।
(पत्रकार प्रभात गोपाल झा के फेसबुक वॉल से साभार)