गलवान घाटी में क्या हुआ, इसकी पूरी कहानी सुनिए
अगर कोई एक घटना भारत और चीन के बीच रिश्ता हमेशा के लिए बदल सकती थी, तो वो घटना घट गई है। 1975 के बाद पहली बार, लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं में खूनी संघर्ष हुआ है। 1967 के बाद सरहद पर पहली बार जंग के हालात हैं।
गलवान में क्या हुआ?
लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच जंग हुई है। इस लड़ाई में कम से कम बीस भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। इनमें सेना के एक कर्नल और एक जेसीओ शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक कमांडिंग ऑफीसर समेत चीनी सेना के 43 सैनिक मारे गए हैं।
जिस जगह पर ये संघर्ष हुआ वो पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 गलवान और श्योक नदी के संगम पर है। यहीं पर बीते हफ्ते दोनों सेनाओं के बीच डिवीजन कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी
भारत ने दौलत बेग ओल्डी एयरबेस की ओर जाने वाली सड़क को जोड़ने के लिए श्योक नदी पर एक पुल बनाया है। चीनी सेना इसका विरोध कर रही थी। चीनी सैनिकों ने इस महीने की शुरूआत में गलवान घाटी में भारतीय सीमा के अंदर पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर तंबू गाड़ दिए थे। दोनों ओर से सेनाओं के हटने पर सहमति बनने के बाद भारतीय सेना इस पोस्ट पर ये देखने गई थी कि यहां से चीनी सेना हटी है या नहीं। यहां नीचे श्योक नदी बहती है और ऊपर हजारों फीट ऊंची बर्फीली पहाडियां हैं। इन्हीं पहाड़ियों के संकरे रास्ते से होकर भारतीय सेना प्वाइंट14 पहुंची और यहां पहुंच कर भारतीय पोस्ट में लगे चीनी तंबुओं को उखाड़ने लगी। इसी बीच जो चीनी सैनिक यहां से जा चुके थे, वो एकाएक इस पोस्ट के करीब ऊपर की पहाडी की ओर लौट आए। पहाड़ी के ऊपर से चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। उनके पास लोहे के रॉड थे। उन्होंने लाठियों में कंटीले तारों को लपेट कर हथियार बनाया था। चीनी सैनिकों के इस हमले के बीच 16 बिहार रेजीमेंट के कमान्डिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू ने बीच-बचाव की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक चीनी सैनिकों ने उन्हें धक्का देकर पहाड़ी से नीचे श्योक नदी में गिरा दिया। अपने कमांडिंग अफसर की मौत से नाराज बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने रिइन्फोर्समेंट बुलाई और चीनी सैनिकों पर टूट पड़े । शून्य से कम तापमान के बीच, दोनों ओर से करीब 600 सैनिक पहाड़ी के रिज पर गुत्थम-गुत्था होकर लड़ने लगे । दोनों ओर से कई सैनिक पहाड़ी से नीचे गिरने की वजह से मारे गए, जबकि कुछ की मौत सर में लगी चोट से हुई। सोमवार शाम शुरू हुई ये लड़ाई आधी रात के बाद तक चलती रही। सुबह में दोनों सेनाओं के अफसरों के बीच बातचीत के बाद ये लड़ाई खत्म हुई।
ये झड़प इसलिए भी हिंसक हो गई, क्योंकि 5 मई को पेन्गांग झील के पास झड़प में कई भारतीय सैनिकों को सर में गंभीर चोट लगी थी और इस बार वो पूरी तरह जवाब देने के लिए तैयार थे।
सरहद के इस तनाव के लिए चीन भारत को कसूरवार मानता है। ग्लोबल टाइम्स में छपे एडिटोरियल में कहा गया है-
The arrogance and recklessness of the Indian side is the main reason for the consistent tensions along China-India borders. In recent years, New Delhi has adopted a tough stance on border issues, which is mainly resulted from two misjudgments. It believes that China does not want to sour ties with India because of increasing strategic pressure from the US, therefore China lacks the will to hit back provocations from the Indian side. In addition, some Indian people mistakenly believe their country’s military is more powerful than China’s. These misperceptions affect the rationality of Indian opinion and add pressure to India’s China policy.
https://www.globaltimes.cn/content/1191846.shtml
भारतीय सेना की पेट्रोलिंग यूनिट पर हुआ ये हमला एक तरह से 1975 की घटना की पुनरावृति है जब तुलुंग ला दर्रे में असम राइफल्स की पेट्रोलिंग टीम पर चीनी सेना ने हमला कर हमारे चार सैनिकों को शहीद कर दिया था।
गलवान के बाद पेन्गांग झील के पास से भी दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव की खबर आई है।