सब याद रखा जाएगा!
ऑनलाइन योगा और जूम क्लासेज के इस दौर में जहां सारा देश आत्मनिर्भर हो कर चीन से मुकाबला करने को तैयार हो रहा है, आज भी कुछ मजदूर हैं जो बहकावे में आकर अपने घर जाने की जिद किए बैठे हैं..पैदल चल रहे हैं, ट्रकों से लिफ्ट ले रहे हैं और कुछ लोगों को जैसा कि अंदेशा है… जानबूझकर…सड़कों पर…रेल ट्रैक पर… अपनी जान दे दे रहे हैं।
Will my death be more meaningful than my life?
Arthur Fleck in the movie joker-2019
यूपी के औरैया में दो ट्रकों की टक्कर में 24 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि 38 घायल हो गए। राजस्थान में फंसे ये मजदूर बिहार, झारखंड, यूपी और बंगाल के थे . अपने घर लौटने के लिए इन्होंने एक ट्रक से लिफ्ट ली थी। ये हादसा सुबह के 3.30 बजे हुआ…जब आटे की बोरियों से लदा ट्रक हाईवे पर एक ढाबे के पास रुके हुए ट्रक से जा टकराया। मजदूर ट्रक में जिन बोरियों पर बैठ कर जा रहे थे, उन्हीं बोरियों में दब कर उन्होंने दम तोड़ दिया।
फिर जैसा कि हमारे यहां होता है…लाशों पर राजनीति शुरू हो गई।
यूपी के सीएम आदित्यनाथ ने दो थाना इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया, सीओ को चेतावनी दी। आगरा और मथुरा के एसएसपी और एडीजी से जवाब तलब किया।
सवाल है, सुबह के 3.30 बजे अजीतमल और औरैया थाना के इंचार्ज ऐसा क्या कर सकते थे, जिससे ये हादसा नहीं होता? क्या वो महाभारत के संजय वाली दृष्टि से देख कर, ढाबे के पास रुके ट्रक को वहां से फौरन जाने का आदेश देते ताकि जब मजदूरों को लेकर ट्रक वहां आए, तो उसे टकराने के लिए मौके पर ट्रक मिले ही नहीं…या वो मजदूरों को लेकर आ रहे ट्रक ड्राइवर से कहते…भाई तू थक गया होगा, ढाबे पर चाय पी ले…फिर थोड़ी देर बाद चले जाना। जाहिर है थाना इंचार्ज कम कसूरवार थे इसलिए इन्हें सिर्फ सस्पेंड किया गया, असली कसूर तो ट्रक का था, जिसे सीज कर लिया गया है और उसके मालिक पर मुकदमा दायर किया गया है। ट्रक मालिक की ये जिम्मेदारी थी कि वो ड्राइवर को कहता कि अगर तुम आटे की बोरियां जैसा जानलेवा सामान ट्रक पर ले जा रहे हो, तो भूल कर भी मजदूरों को लिफ्ट मत देना।
अब इससे हुआ ये कि विपक्ष को सरकार पर, प्रशासन पर, सवाल उठाने का मौका भी न मिला और योगी जी की जय-जयकार हो गई। एक मानवीय त्रासदी थी, जो महज लॉ एंड ऑर्डर इश्यू में तब्दील हो कर रह गई। इसमें केंद्र सरकार के गृहसचिव का वो आदेश भी कहीं खो गया, जो उन्होंने एक दिन पहले प्रवासी मजदूरों के मामले में दिया था-
“It is now the responsibility of all states and union territories to ensure that movement of stranded migrant workers who are willing to go to their home states is facilitated,”
Ajay kumar Bhalla, Home secretary
जाहिर है केंद्र सरकार पहले ही बता चुकी है कि अब से प्रवासी मजदूरों के साथ देश में कहीं भी, कुछ भी हुआ तो जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ राज्य सरकार की ही होगी।
इसके पहले 31 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने साफ तौर पर बता दिया था कि सड़कों पर कोई प्रवसी मजदूर है ही नहीं।
there are no migrant workers on the roads “as of 11 am on March 31” and they have all been taken to the nearest available shelter “The home mecretary is saying that as of 11 am this morning, nobody is on the road,”
Solicitor General Tushar Mehta
सरकार के जवाब से संतुष्ट # Chief Justice SA Bobde ने कहा –
“You will ensure that all those whose migration you have stopped are taken care of in terms of food, shelter, nourishment and medical aid,”
Chief Justice of india, SA Bobde
केद्र हो या राज्य ..हमारी सरकारों में दूरदर्शिता की कोई कमी नहीं है।