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बत्ती गुल मीटर चालू

बड़ी खबर राज्य

बत्ती गुल मीटर चालू

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दो साल पहले शाहिद कपूर की फिल्म आई थी…बत्ती गुल मीटर चालू…फिल्म में एक निजी कंपनी SPTL है, जो मुनाफे के लिए बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बिजली का बिल उपभोक्ताओं को देती है।

मुंबई में आम लोगों के लिए ये सिर्फ कहानी नहीं, हकीकत है…यहां बिजली आ नहीं रही, लोगों पर गिर रही है।

ट्वीटर पर बिजली बिल को लेकर मीम्स बन रहे हैं

‘twitter पर बिजली बिल पर मीम्स देखने के लिए #electricitybill टाइप कर सर्च करें

ज्यादातर लोगों ने बिजली का जो बिल मार्च, अप्रैल और मई के लिए जमा किए हैं, उस औसत से कम से कम तीन गुना बिल उन्हें जून का थमा दिया गया है।

अप्रैल में मेरा बिल Rs 4,390 और मई में Rs 3,850 था, जून का मेरा बिल है  Rs 36,000तापसी पन्नू

अप्रैल में मेरा बिल था Rs5510, जून में मेरा बिल आया है Rs 29,700 इसमें मई का बिल है Rs 18080– रेणुका शहाने

मैं तीन महीने से अपने फ्लैट में न रह कर मां-पिता जी के साथ रह रही हूं। फ्लैट खाली रहने के दौरान आया मेरा बिल, उस बिल का दोगुना है जो आम तौर पर मैं तब देती थी जब मैं वहां रहती थी- अमाया दस्तूर

शिकायत किन कंपनियों को लेकर है?

MSEDCL, BEST, Adani  और Tata Power । सबसे ज्यादा परेशान अदाणी पावर के उपभोक्ता हैं।

खास बात ये है कि बिल में ये इजाफा तब हुआ है जबकि MERC के आदेश के बाद 1अप्रैल से प्रति यूनिट बिजली की दर में  अदाणी ने (12%), टाटा पावर ने (10%), MSEDCL ने (5%) और BEST ने (1%) की कटौती की है। ये सब ऐसे वक्त में हो रहा है जबकि लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की नौकरी चली गई है,तो कई को वक्त पर सैलरी नहीं मिल रही है, स्कूल की ओर से भी फीस की डिमांड आ गई है। जब बिल को सेटल करने लोग कंपनी के दफ्तर जा रहे हैं तो उनसे कहा जा रहा है कि पहले बिल जमा कीजिए, अगले महीने में एडजस्ट हो जाएगा।

क्यों आया ज्यादा मीटर बिल ?

22 मार्च के बाद इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटर के निर्देश पर सभी डिसकॉम ने घर-घर जाकर मीटर रीडिंग बंद कर दी। दिसंबर, जनवरी और फरवरी के औसत के हिसाब से लोगों का मार्च और अप्रैल का बिल आया। मई का बिल बनाते वक्त कंपनियों ने मीटर की वास्तविक रीडिंग के हिसाब से बिल दिया जो लोगों को पहले आए बिल के मुकाबले ज्यादा लग रहा है। अब सवाल ये है कि अगर मीटर रीडिंग के हिसाब से बिल आया तो नामचीन हस्तियों को ये बिल ज्यादा क्यों लग रहा है?   

असली कहानी क्या है?

इसके पीछे की असली कहानी फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू वाली है। अगर आप MERC के बयानों पर गौर करें तो सारी कहानी समझ में आ जाएगी। MERC का कहना है कि जहां कहीं भी AMR –यानी ‘automatic meter reading’ है, वहां कंपनियां मीटर देख कर बिल दे रही हैं। असली कहानी ये है कि ये AMR हैं कितने घरों में। MERC  के मुताबिक MSEDC के पास 611,537, BEST के पास 193, Adani के पास 570 और Tata Power के पास 23,446 AMR हैं। अब MERC के निर्देश पर टाटा पावर 66,000 और अदाणी 700,000 AMR लगाने वाले हैं।अगर ये आंकड़े सही हैं तो अदाणी के 1 फीसदी से कम उपभोक्ताओं के पास वो AMR हैं, जिनसे सही बिल का हर वक्त यहां तक कि मोबाइल पर भी पता चल जाता है।  

तो कहानी ये है कि निजी पावर कंपनियों ने मई महीने का बिल वास्तविक मीटर रीडिंग से नहीं अपना कल्पनाशक्ति का इस्तेमाल कर बनाया। उन्होंने अपनी ओर से ये तय कर लिया कि मई महीने में चाहे अमाया दस्तूर की तरह किसी का फ्लैट बंद ही क्यों न रहा हो, उसका बिल पहले के मुकाबले तीन गुना ज्यादा आना ही चाहिए।

बिजली कंपनियों की लूट पर रेगुलेटर क्या कर रहा है?

जिस MERC -Maharashtra Electricity Regulatory Commission का काम है आम लोगों के हित की हिफाजत रखना, वो पूरी तरह बिजली कंपनियों के साथ नजर आ रहा है। सोमवार को जारी बयान में MERC ने कहा

The electricity bills issued to the consumers for June by the four main companies in Mumbai are as per the rules.

 MERC

 कभी सुना है बिजली बिल जमा करने के लिए EMI ?

लोग घर या कार खरीदते हैं तो बैंक से लोन लेकर दस या बीस साल तक हर महीने EMI चुकाते हैं। अब MERC दरियादिल बन कर आम लोगों से कह रहा है कि बैंक से कर्ज लो और बिजली का बिल चुकाओ।

अगर किसी का बिल मार्च से मई तक के बिल के औसत का दोगुना से ज्यादा है तो उसे तीन EMI में अदा करने की इजाजत दी जाए।

MERC

वो भूली दास्तां लो फिर याद आ गई

जनता बढ़े हुए बिल के लिए EMI ले और निजी पावर कंपनियां …क्या इनके लिए हमारे देश में अलग कानून है?

हमारे यहां पॉवर सेक्टर की पांच बड़ी निजी कंपनियां हैं

  • 1.Adani Power 10440 मेगावाट
  • 2. Tata Power 9432 मेगावाट
  • 3. Reliance Power 6000 मेगावाट
  • 4. Torrent Power 3334 मेगावाट
  • 5. JSW Energy – 3140 मेगावाट

दो साल पहले महंगे कोयले के आयात के नाम पर इन पॉवर कंपनियों को राहत देने के लिए स्टेट बैंक के साथ 11 सरकारी बैंक आगे आए  और उन्होंने इन्हें 50 हजार करोड़ का कर्ज दिया। अब इस कर्ज की शर्त भी सुन लीजिए…. इसमें से आधा यानी 25 हजार करोड़ की रकम ऐसी होगी जिसे देकर बैंक भूल जाएंगे….यानी न सूद न मूल, कुछ भी वापस नहीं मांगेंगे…अब क्योंकि बैंकों के पास ‘जनहित’ के इस काम के लिए पैसों की कोई कमी नहीं लिहाजा इस 25 हजार करोड़ को उन्होंने नाम दिया haircut.

 जनहित के नजरिए से देखें तो ये महज शुरूआत थी। क्योंकि ब्लूमबर्ग के मुताबिक अकेले अडाणी ग्रुप पर सरकारी बैंकों का कुल 99181.09 करोड़ कर्ज है। इसमें अडाणी पॉवर पर 47609.43 करोड़, अडाणी ट्रांसमिशन पर 8356.07 करोड़, अडाणी इंटरप्राइजेज पर 22424.44 करोड़ और अडाणी पोर्ट्स पर 20791.15 करोड़ बकाया है।

वैसे तो आम लोग बैंक से कर्ज लेते हैं तो चुकाने के नाम पर घर, गाड़ी, गहना, जमीन सब गिरवी रख देते हैं, लेकिन पॉवर कंपनियां ऐसा नहीं करती।
वो कोर्ट जाती हैं। और जैसा कि सिर्फ हमारे यहां ही होता है कोर्ट ने मामले की फौरन सुनवाई कर सरकार को कहा कि वो सेक्शन 7 के तहत रिजर्व बैंक को ‘जनहित’ में निर्देश दें।
और सरकार ने भी देरी नहीं की…. सेक्शन 7 का हवाला देते हुए खत लिख कर रिजर्व बैंक से ‘जनहित’ में 12 फरवरी के उस आदेश को रद्द करने को कहा जिसके तहत रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को कहा था कि 2 हजार करोड़ से ज्यादा के बकाएदारों के कर्ज की कोई रिस्ट्रक्चरिंग नहीं करें बल्कि सीधे बैंकरप्सी कोर्ट को इनका मामला सौंप दें। और अपनी वेबसाइट पर इन कंपनियों का नाम जाहिर कर इन्हें शर्मिंदा करें।

अब लॉकडाउन में हुए नुकसान को ये पावर कंपनियां मनमाने बिल से पूरा करना चाहती हैं और रेगुलेशन अथॉरिटी से लेकर राज्य के बिजली मंत्री तक EMI का सुझाव दे रहे हैं।

याद रखिए…ये कहानी अकेले मुंबई की नहीं है। दिल्ली, बंगलुरू, नोएडा, लखनऊ, कोच्ची और चेन्नई के लोग बार–बार ट्वीटर और फेसबुक पर फर्जी बिल को लेकर अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं।  यूपी में तो एक शख्स को 28 करोड़ का बिल भी आ चुका है।

अंगुलिमाल को आशीर्वाद दीजिए, अब वो बिजली बेचने के पवित्र पेशे में है…कोई है जो कहेगा…तुम कब रूकोगे अंगुलिमाल?

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