डांस की ‘मास्टरजी’
अगर आपने जब वी मेट देखी हो तो फिल्म का एक गाना आपको शायद आज भी याद होगा –ये इश्क है …गाने में करीना कपूर के स्टेप्स देख कर लगता है कि ये डांस नहीं है… जब किसी लड़की को प्यार हो जाता है, तो वो शायद इसी तरह अपनी खुशी का इजहार करती है। ये है कोरियोग्राफी का सरोज खान स्टाइल… देखने में इजी टू आई, एक्टर के लिए इजी स्टेप्स, लेकिन थीम को कंसेप्ट में ढालने के नजरिए से बेहद मुश्किल। इस गाने को कोरियोग्राफ करने के लिए सरोज खान को डोला रे डोला के बाद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार का रजत कमल दूसरी बार मिला।
सरोज खान को हिन्दी सिनेमा का ऑल टाइम नंबर वन कोरियोग्राफर बनाती है सिनेमा में डांस को लेकर उनकी अलग सोच। उनके लिए डान्सिंग… सिर्फ जिस्मानी जुंबिश नहीं है, वो रुहानी इश्क का एहसास है … वो आवाज है, वो संगीत है जो आत्मा से निकलता है और धीरे-धीरे शरीर पर छा जाता है … ..इसलिए वो सेन्सुअस होते हुए भी कभी वल्गर नहीं लगता
सरोज खान सिर्फ तीन साल की थीं, जब उन्होंने पहली बार फिल्म नजराना में चाइल्ड बैकग्राउंड डांसर के तौर पर काम किया था। एक युवा के तौर पर डांसिंग उनका जुनून था, लेकिन हिन्दी सिनेमा में उन्हें काम के तौर पर गाने में हीरोइन के सपोर्ट डांसर के मौके ही मिल रहे थे।
ऐसे ही एक वाकये को याद करते हुए अमिताभ बच्चन लिखते हैं
मैं फिल्म बंधे हाथ में मुमताज जी के साथ काम कर रहा था। तब मुमताज बहुत बड़ी स्टार थीं…मुझे कोई नहीं जानता था, और सरोज जी एक ग्रुप डांसर थीं। वो इतनी अच्छी डांसर थी, कि ग्रुप में से एक होने पर भी उन पर बरबस मेरी नजर चली जाती थी। फिर मैंने गौर किया कि उनका गर्भ अपने जगह से हिल गया था, लेकिन उन्होंने बगैर झिझके उसे ठीक किया और फिर वो डांस करने लगीं।
अमिताभ बच्चन
यही है वो गाना –ये कौन आज आया मेरा दिल चुराने
सरोज खान को पहली बार स्वतंत्र तौर पर कोरियोग्राफर का काम मिला साधना की फिल्म गीता मेरा नाम में। सुनिए जरा देखिए ना …गाने को सुनिए…ये सरोज खान का सिग्नेचर स्टाइल है…यहां गीत के बोल और म्यूजिक का फील पहले आता है और गीता के डांस स्टेप्स बस उस इमोशन से सिंक करते जाते हैं।
सरोज खान का करिश्मा ये था कि.. कई बार बेहद आम से बोल वाले गीत और संगीत उनकी कोरियोग्राफी से यादगार बन जाते थे।
जैसे बाजीगर का गीत –ये काली काली आंखें
सरोज खान ने श्रीदेवी को हवा हवाई, माधुरी दीक्षित को धक-धक गर्ल और ऐश्वर्या को नींबूड़ा वाली पहचान दी।
तेजाब में माधुरी पर शूट हुआ गाना एक दो तीन तो इतना मशहूर हुआ कि कहा जाता है कि लोग बस इस गाने को देखने के लिए थियेटर जाते थे और गाना खत्म होते ही बाहर निकल जाते थे। अपनी पहली फिल्म रिफ्यूजी में सरोज खान के साथ काम करने वाली करीना कपूर खान का कहना है
उन्हें इम्प्रेस करना बहुत मुश्किल है। जब मैं ऱिफ्यूजी में काम कर रही थी, तो कई बार उनकी डांट सुननी पड़ती थीं। एक बार उन्होंने मुझसे कहा – ऐ लड़की कमर हिला…रात के एक बज रहे हैं, क्या कर रही है ? तुम्हें न हाथ हिलाना आता है न पैर, तुम एक्ट्रैस क्यों बनी ? मैंने कहा- मास्टर जी मुझे डांस करना नहीं आता। तब उन्होंने मुझसे कहा- कोई नहीं, तुम चेहरे से डांस करो। मैं बाथरूम बंद कर लेती थी और कंप्लीट गाने पर उनके एक-एक एक्सप्रेशन को याद करके प्रैक्टिस करती थी। मेरी मां ने कहा था अगर तुम्हें हीरोइन बनना है तो तुम्हें मास्टर जी के गाने देखने चाहिए और उन गानों में हीरोइन के क्लोज अप्स पर गौर करना चाहिए।
करीना कपूर खान
सरोज खान को जब किसी का डांस बहुत पसंद आता था तो वो उस कलाकार को शगुन के तौर पर एक रुपये का सिक्का दिया करती थीं। ऐसा ही एक सिक्का अमिताभ बच्चन को डॉन के गाने ..खय के पान बनारस वाला के लिए मिला था.. दो सौ से ज्यादा फिल्में कर चुके, बिग बी इस एक सिक्के के लिए खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं।
सरोज खान ने फिल्म कलंक में ..तबाह हो गई ...गाने में माधुरी दीक्षित को कोरियोग्राफ किया। इस गाने के बारे में उन्होंने कहा
गुलाब गैंग के चार साल बाद मुझे माधुरी के साथ काम करने का मौका मिला। पूरी फिल्म में माधुरी दूसरों को नचवाती है और खुद कभी नहीं नाचती। लेकिन क्लाइमेक्स में जब जफर कोठे पर आता है तब वो मुजरा करती है। तबाही एक सैड सांग है जिसके बीट्स फास्ट पेस्ड हैं, और मुझे उम्मीद है कि इस गाने के बाद लोग एक बार फिर मुझे याद करेंगे। इस गाने के बारे में पढ़कर कंगना ने मुझे फोन किया और फिर मणिकर्णिका का एक गाना …राजा जी …की कोरियोग्राफी मैंने की।
सरोज खान
सरोज खान हिन्दी सिनेमा की पहली कोरियोग्राफर थीं, जो डांस कोरियोग्राफ करने के लिए ऊंची रेट डिमांड और कमांड करती थीं। उनकी कामयाबी से कोरियोग्राफी के पेशे को इज्जत और शोहरत मिली और हमारे यहां, टैलेन्टेड कोरियोग्राफर्स की पूरी टीम तैयार हो गई। इनमें वैभवी मर्चेंट ( हम दिल दे चुके सनम – ढोली तारो), चिन्नी प्रकाश ( जोधा अकबर), बॉस्को-सीजर –( जिंदगी मिलेगी ना दोबारा- सेनोरिटा), गणेश आचार्या – (भाग मिल्खा भाग-मस्तों का झुंड) और रेमो डिसूजा – (बाजीराव मस्तानी –दीवानी मस्तानी) हैं।