देश की सबसे पॉवरफुल बिजनेस लॉबी जिसके बारे में आप कुछ नहीं जानते ?

लॉकडाउन 4 के लिए केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में कुछ ऐसा है जिस पर शायद आपने गौर नहीं किया होगा। Icmr के निर्देश और 28 राज्यों में कानून बनने के बाद कैसे 17 मई को गृह मंत्रालय के आदेश से एक झटके में खुल गई देश में गुटखे की दुकानें ?
17 मई को गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि पान –गुटखा की दुकानें भी खुल सकेंगी। इन दुकानों पर एक साथ पांच से ज्यादा लोग इकट्ठे नहीं होंगे और ग्राहकों के बीच 2 गज की दूरी होनी जरूरी है।

9 पेज के इस आदेश में ज्यादातर बातें समझा कर कही गई हैं, ताकि केंद्र सरकार के आदेश को लेकर किसी तरह का कोई संदेह नहीं हो। लेकिन शराब और गुटखा की दुकानों के खुलने को लेकर ये साफ नहीं किया गया है कि ये दुकानें किस जोन में खुलेंगी और कहां बंद रहेंगी। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद ये सभी जोन में खुल सकेंगी। सोशल डिस्टेन्सिंग और सार्वजनिक जगहों पर शराब या गुटखा सेवन की इजाजत नहीं है। ऐसा करने पर जुरमाने का प्रावधान भी किया गया है।
अब इसमें खास क्या है ये समझिए।
सरकार का ये आदेश ICMR के उस निर्देश के बाद आया है जिसमें साफ तौर पर कहा गया था कि पान और गुटखे जैसी smokeless tobacco को सार्वजनिक जगह पर नहीं खाना चाहिए, क्योंकि इसके बाद थूकने की इच्छा होती है और इससे कोविड 19 के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसके बाद 1 अप्रैल को स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस वास्ते कानून बनाने का निर्देश दिया। 10 मई तक करीब-करीब सारे राज्यों ने इस वास्ते कानून बना कर गुटखे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया।
17 मई के गृहमंत्रालय के ताजा आदेश से देश के सभी राज्यों में बने कानून निरस्त हो गए और कोरोना को लेकर ICMR की गाइडलाइन निष्प्रभावी हो गई।
कितनी ताकतवर है गुटखा लॉबी?
भारत में पान मसाला का कारोबार पिछले साल 42,180 करोड़ का था और ये हर साल 9.3%की दर से बढ़ रहा है।
( स्रोत-https://www.imarcgroup.com/prefeasibility-report-pan-masala-processing-plant)
1970 के दशक में श्री मनसुख लाल महादेव भाई कोठारी ने पान पराग लांच कर इस कारोबार को संगठित किया। इस कारोबार की सबसे अनूठी बात ये है कि वैसे तो ये कारोबार कानपुर से अहमदाबाद और जम्मू तक देश के कई शहरों में फैला है,लेकिन गुटखे के तमाम ब्रांडों के बस नाम अलग-अलग हैं..हकीकत में, एक ही परिवार के बहुत सारे रिश्तेदारों का इस कारोबार पर पूरा कब्जा है।
संसद में एक सवाल के जवाब में बताया गया कि अकेले साल 2012 में सरकार को तंबाकू प्रोडक्ट्स से 19892 करोड़ का सेंट्रल एक्साइज रिवेन्यू हासिल हुआ था।
जो बात बहुत कम लोग जानते हैं वो ये कि तंबाकू प्रोडक्ट में सिगरेट और बीड़ी का हिस्सा कुल कारोबार का महज 9% है, जबकि अकेले पान मसाला का 69%( स्रोत-Tobacco Market in India (2018-2023) Report

अब इसे टैक्स के नजरिए से समझिए। कुल तंबाकू कारोबार में सिगरेट बीड़ी smoking tobacco का हिस्सा है मात्र 9%, जबकि इस कारोबार से सरकार को जो कुल टैक्स मिलता है उसका 80% इसी से वसूला जाता है। जबकि पान मसाला सहित बाकी smokeless tobacco जैसे खैनी, सुपारी का तंबाकू कारोबार में हिस्सा है 91%, लेकिन टैक्स में इनका हिस्सा है महज 20%….
मतलब ये कि तंबाकू का 91% कारोबार जिनके पास है, उनसे टैक्स कम लिया जाता है और जिनके पास महज 9% हिस्सा है वो 80% टैक्स चुका रहे हैं।
इसी तरह बीते साल नवंबर में जीएसटी काउन्सिल की बैठक में तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने पर सहमति हुई। अब पान मसाला के लिए 135% ad valorem तय हुआ जबकि सिगरेट के लिए 290 % ad valorem तय हुआ।
ये है देश में गुटखा लॉबी की ताकत..जिसने आपदा को अपने लिए एक बार फिर अवसर में बदला है। ये महज इत्तेफाक की बात है UFLEX जैसी गुटखे की पाउच बनाने वाली कंपनी लॉकडाउन के उस दौर में भी एक भी दिन बंद नहीं हुई जब देश में सिर्फ essential goods के मैन्यूफैक्चरिंग की इजाजत थी। वैसे क्या आप जानते हैं, इस कंपनी के पास प्राइवेट चार्टर प्लेन है जिससे देश के बड़े नामचीन लोग सफर करते हैं? अब ये नहीं पूछिएगा कि इस सर्विस का पेमेंट वो किस तरह करते हैं? नोएडा के ‘पाताललोक’ की ये एक अलग लेकिन बेहद दिलचस्प कहानी है।